भाई-बहन का रिश्ता
भाई-बहन का रिश्ता,
दुनिया में है सबसे प्यारा।
कभी-कभी कुछ मीठा है,
तो कभी कुछ है खारा।।
कभी माँ की तरह बहन ने,
भाई को भटकती राह से उबारा।
तो कभी पिता बनकर भाई ने,
बहन के भविष्य को सँवारा।।
रक्षाबंधन का त्योहार होता,
भाई-बहनों के लिए न्यारा।
बहन हाथ पर राखी बाँधे, मिले
रक्षा का वचन भाई के द्वारा।।
भाई अगर सागर की लहर है,
तो बहन है उसका किनारा।
हर मुश्किल में भाई-बहन ही,
बनते हैं एक-दूसरे का सहारा।।
एक-दूसरे की खुशियों में ही,
भाई-बहन देखते संसार सारा।
भाई छोटा हो या बड़ा फिर भी
होता, बहन की आँखों का तारा।।
देखो पिंकी राखी आई
देखो पिंकी राखी आई
अपने संग -संग खुशियाँ लाई
चहक उठा मन सब बहनों का
चेहरे पर खुशी की लाली छाई
देखो पिंकी राखी आई
चन्दन, रोली सजती माथे पर
प्यार का धागा बंधी कलाई
मुँह हो मीठा गुड़ के ढेले से
करें आरती दीप जलाई
देखो पिंकी राखी आई
उपहार संग वचन भी देता देखो
जीवन भर देगा तेरा साथ ये भाई
आगे बढ़कर सब दुःख को झेलेगा
अगर कोई विपदा तुझपे आई
देखो पिंकी राखी आई
रक्षा बंधन का त्योहार
रक्षा बंधन का त्योहार है आया
अटूट प्रेम विश्वास है लाया
भाई बहनों को इसने मिलवाया
सारे जग की खुशियां है लाया।
सावन में रक्षाबंधन है आता
संग अपने रक्षा वचन है लाता
भाई-बहन का सौभाग्य जगाता
रेशमी धागे में प्यार बंधवाता।
नहीं मांगती धन दौलत उपहार
बहना चाहे भाई से केवल प्यार
देती है दुआएं यही वह बारंबार
मिले खुशियां जीवन में उसे हजार।
देता संदेश रक्षाबंधन का त्यौहार
भाई बहन के जीवन में रहे बहार
हर रिश्ते से जुदा यह त्यौहार
ना आए इसमें कोई कभी दरार।
धागा नहीं ये है सच्चे रिश्ते की डोर
टूट जाए नहीं इतनी यह कमजोर
भाई बहन के प्रेम का नहीं ओर छोर
इसीलिए तो रक्षाबंधन का जग में है शोर।
रक्षाबंधन
भाई-बहनों की प्रेम का प्रतीक है रक्षाबंधन
ऐतिहासिक गाथाओ को समेटा है रक्षाबंधन
रक्षाबंधन का त्योहार जब भी आता है
चारों तरफ हर्षोल्लास छा जाता है
भूलकर लड़ाई-झगड़ो को भाई-बहन
यह त्योहार मनाते हैं
भाई राखी बंधवाकर अपनी बहनों
को उपहार फिर देते हैं
मेरे प्यारे भैया, तुमसे यही है कहना
जब भी मैं तुम्हें पुकारू
इस राखी की लाज रख लेना
उस कन्हैया की तरह मेरा साथ
निभाते रहना, हर नारी को सम्मान
देना और अपना फर्ज निभाना
बस, यही कहती हैं बहनें अपने भाईयों से
भाई-बहनों की प्रेम का प्रतीक है रक्षाबंधन
ऐतिहासिक गाथाओ को समेटा है रक्षाबंधन
राखी और करोना
जीने की आस लिए
मधुर मधुर अहसास लिए,
फिर आया है सावन देखो।
राखी का त्योहार लिए।
पर कैसे अब आऊँ मैं,
तुझको पास बिठाऊं मैं
गहन समर की बेला है।
थाल कैसे सजाऊं मैं।
अदृश्य एक राक्षस घूम रहा,
सबको नजरों से घूर रहा।
मन की व्यथा जाने ना कोई,
कैसे प्राण निचोड़ रहा।
भगवान से विनती है विशेष,
तुझको दे दूं ए जीवन शेष।
तुझपे कोई न आंच आए,
यही आशीष है अशेष ।
फिर सावन आएगा,
पतझर ये निकल जाएगा ।
थाल को सजाउगीं फिर से
सुन्दर अल्पना और फूल से।
भईया इंतजार करना,
बहना तरस रही कब से।
भाई-बहन के प्यार का बंधन
भारत को कहते हैं त्योहारों का देश,
यहाँ मनाते हैं लोग त्योहार अनेक,
इन्ही त्योहारों में आता है रक्षाबंधन,
जो दिखाता है भाई-बहन के प्यार का बंधन।
सावन की पूर्णिमा को आता है यह त्योहार,
जब बताता है भाई-बहन के प्रेम का सार,
गूँजते हैं चहुँ ओर रक्षाबंधन के ही सुंदर-सुंदर तराने,
रंग-बिरंगी राखी से सुशोभित होती है हर एक दुकानें।
बांध कलाई पर रेशम का धागा बहन तिलक है लगाती,
तब कहीं उसके मन को एक तसल्ली है मिलती,
राखी के पावन धागे से सुशोभित होती है भाई की कलाई,
मानों सूखे रेगिस्तान में जैसे हरियाली हो आयी।
परन्तु सबको कहाँ नसीब होता है यह अनोखा बंधन,
अनेकों के मन में यह पीड़ा चुभती है टिस बनकर,
किसी भाई को न मिलती है बहन के हाथों की मिठाई,
तो कहीं बहन को नसीब नहीं होती है भाई की कलाई।
मैं भी हूँ उन कुछ दुर्भाग्यशाली लोगों में एक,
जिसे ईश्वर ने नहीं दिया कभी बहन का प्रेम,
क्या इस बार फिर से सूनी रहेगी मेरी कलाई,
हे ईश्वर! क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसी रुसवाई।
लाडले भैया
सुनी न रहे भाई तेरी कलाई ,
राखी की है औचारिक रीत निभाई
लाडले भैया बहनों का तुम स्वाभिमान हो
स्नेह की तस्वीर हो,
माता पिता का तुम अभिमान हो,
दिन एक आता है जब हक तुम पर जतलाते हैं
पूर्ण अधिकार से तेरे आँगन में खिलखिलाते हैं
कच्चे धागों की डोरी अटूट प्रेम की अभिव्यक्ति है
रौनक दौगुनी हो जाती जब राखी कलाई पर सजती है
मेरे प्यारे भैया आज के रोज़ दिल थोड़ा उदास है
हर साल की भाँति मेरी राखी का न तेरे गुट पर राज़ है
महामारी का प्रभाव त्यौहारों पर प्रत्यक्ष है
काल रुपी कोरोना खड़ा उल्लास के समक्ष है
परंतु भाई बहन का रिश्ता औपचारिकताओं से परे है
बहनों के लिए तो भाई ईश्वर की भाँति हर पल साथ खड़े हैं।
बांध दो राखी प्यारी बहना
जीत लिखूँ मैं हार लिखूँ
निर्मल कोमल प्यार लिखूँ
बांध दो राखी प्यारी बहना
एक नहीं सौ बार लिखूँ..!!
सारे जग में सबसे सच्चा,
भाई बहन का प्यार रहा है
लोभ कपट से दूर सदा
स्नेह का भरा भंडार रहा है
स्नेह के इस पावन रिश्ते को
रिश्तों का संसार लिखूँ..!!
भाई बहन का रिश्ता न्यारा
इस जग में सबसे प्यारा है
प्रीत के धागे के इस बंधन को
माँ का दूजा अवतार लिखूँ…!!
बांध दे राखी प्यारी बहना
तन मन से पुकार लिखूँ
कण कण पर मेरे कर्ज है तेरा
जीवन तुझपर मैं उधार लिखूँ..!!
जीत लिखूँ मैं हार लिखूँ
निर्मल कोमल प्यार लिखूँ
आ बांध दे तू राखी बहना
एक नहीं सौ बार लिखूँ..!!
बहन की प्रतीक्षा
भोर बेला में खड़ी घर के द्वारे
विकल मन बहना नैना पसारे
सुनसान सड़क है सुनसान राहें
भरी धुंध-छाया में भैया को निहारे
आने की आशा विश्वास बहुत है
झूमेगी बहना जो भाई घर पधारे
महामारी है तो ये दिन कैसे भूलूँ
तू आ मेरे भईया लूँ मैं सारी बलाएं
दूर हूँ फ़िर भी चिंता तेरी ही रहती
भय कहाँ मुझे भी! मेरी रक्षा तेरे ही सहारे
सज़ा है थाल अक्षत, चंदन, रेशम-डोर से
आजा मेरे भईया तेरी बहना पुकारे
राखी आई, राखी आई
राखी आई राखी आई
भाई- बहनों के बीच खुशियां छाई
बहना देखे सपने अपार
कैसे बनाएगी राखी का त्योहार?
खिलाएगी क्या भाई को मिठाई?
बांधेगी कौन सी राखी भाई?
चारों तरफ महामारी है छाई
सब की खुशियों पर विपदा आई
नहीं टिकेगा अब यह कोरोना
नहीं पड़ेगा अब रोना धोना
हिम्मत ना हारो हौसला ना छोड़ो
दुख, विपदा की फिक्र को छोड़ो
जम कर करो राखी की तैयारी
खरीदो मिठाई और राखी प्यारी
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