प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ होने जा रहा है, अयोध्या में आज प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से भूमि पूजन की तैयारी है। सभी के हृदय राममय हो चुके हैं और ऐसे में कलमकारों ने भी अपनी भावनाओं को श्रद्धा और अनुराग की स्याही में डुबोकर पन्नों पर उड़ेल दिया है। आइए उनकी कुछ कविताएं पढ़तें हैं जो इस शुभ घड़ी और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीरामचन्द्र जी को समर्पित हैं।
हम सब खुशी मनाएंगे
खत्म हुआ वनवास आज
अब राम हमारे आएंगे
राजतिलक अब फिर से होगा
हम सब खुशी मनाएंगे।।
सूनी पड़ी अयोध्या फिर से
आज पुनः खुशियों से झूमी
फिर से आज दिवाली होगी
हम सब दीप जलाएंगे।।
राजाराम हमारे होंगे
राजमहल फिर से चमकेगा
प्रजा सभी हैं नयन बिछाए
हम सब फिर मुस्काएंगे।।
खुशियों के आंसू आंखों में
सावन बनकर बरस रहे हैं
बेघर राम का घर फिर होगा
हम सब भवन बनाएंगे।।
खत्म हुआ वनवास आज
अब राम हमारे आएंगे
राजतिलक अब फिर से होगा
हम सब खुशी मनाएंगे।।
हम सब खुशी मनाएंगे।।
मर्यादा पुरुषोत्तम राजा राम
अयोध्या नगरी सजने लगी
मंगल धुन बजने लगी
खत्म हुआ बनवास प्रभु का
सालों लडी लंबी लडाई
अब जाकर ये शुभ घडी आई
ये बहुत बडा दुर्भाग्य हमारा
एक विवादित स्थल में
सिमट गया संसार तुम्हारा
दूर हुये अब सारे व्यवधान
मंदिर निर्माण के शुरू
हो रहे अनुष्ठान
सरयू में बहती अविरल
भक्ति की धारा
मंत्रमुग्ध हो गया है जग सारा।
हो रहा राम मंदिर का निर्माण,
धर्म की विजय का है ये प्रमाण.
जन जन के प्यारे
राजा राम राजा राम
मर्यादा पुरुषोत्तम राजा राम राजा राम
मत ढूँढो मेरे राम को
महलों और चौबारा मे
मेरे राम मिलेंगे
दीन दुखियो की करूण पुकारो में
नही मिलेंगे दर्शन और मंदिर के फेरो में
मेरे राम तो मिलेंगे
शबरी के झूठे बेरो में
राम आप सब के जीवन में
सुख सम्रद्दिग लाये
दूर हो अग्यान का अअंधकार
ग्यान का प्रकाश पुंज फहराये
श्रीराम
आज हम सबके राम आ रहे हैं
वर्षों की मन की मुराद पूरी हो रही हैं
खुशी का एहसास हो रहा हैं
अयोध्या नगरी खास हो रही हैं
तन-मन सारा झूम रहा हैं
दिल मस्ती में बोल रहा हैं
जय श्री राम जय श्री राम
शब्द सजे द्वार सज़ा
चेहरे पर मुस्कान सजी
मन में उमंग दिल में तरंग
दिल मस्ती में बोल रहा हैं
जय श्री राम जय श्री राम
खिल उठा सारा संसार जब दिल से निकला
जय श्री राम जय श्री राम
सजी धजी अयोध्या नगरी में
आज खुशियों का त्योहार है
भगवा हो गया आज सारा हिन्दुतान है
गूंज रहा संसार में एक ही नारा एक ही नाम
शुभ घड़ी आई आ रहे रघुराई
शुभ घडी आई आ रहे रघुराई
धारण किये लल्ला हरे सुनहरे वस्त्र
सबके ललाटो पर छाई खुशहाली
अब और विलंब ना सही जाई
शुभ घडी आई आ रहे रघुराई।।
हो गयी भूमि पूजन
खत्म हुआ सारा विवाद
वर्षो की तपस्या रंग लाई
शुभ घडी आई आ रहे रघुराई।।
सजेगी राम लल्ला की जन्मभूमि
खुलेगी पट होगी भक्तो की अगुुयायी
पावन भूमि मे चारों दिशाओं की मिट्टी समाई
शुभ घडी आई आ रहे रघुराई।।
गूंज उठा अब चारो तरफ जय श्री राम
समाया है कण कण में राम नाम
मंगल बेला अब आई
पूरी अयोध्या नगरी है जगमगाई
शुभ घडी आई आ रहे रघुराई।।
हर ईंट बँधी होगी मर्यादा के आचरणों से
हर शिलाखंड अनुबंधित होगा,
मानवता के उद्धरणों से।
मंदिर की हर एक ईट बंधी होगी,
मर्यादा के आचरणों से।।
हर शिलाखंड अनुबंधित होगा,
तारीख हुई तय मन्दिर की अब,
राम आसित होंगे सिंहासन पर।
होगी ये अगणित अनुपम घड़ी,
जब जीतेगी नीति कुशासन पर।।
होंगे जयघोष गगनभेदी,
भूमंडल गुंजित होगा उच्चारणों से।
मंदिर की हर एक ईट बंधी होगी,
मर्यादा के आचरणों से।।
ना अब अहिल्यायें राह तकेंगी,
शबरी दुखियारी न होगी अब।
अब समरसता की होगी बारिश,
भौतिक बीमारियाँ मिटेगी अब।।
ज़मी धूल जो अपसंस्कृति की,
जल्द हटेगी आवरणों से।
मंदिर की हर एक ईट बंधी होगी,
मर्यादा के आचरणों से।।
कर्तव्य, अहिंसा, सच्चाई के,
मिश्रित गारे से नीवं बनी होगी।
मंदिर की स्वर्णिम भित्तिकायें,
स्वर्ग की प्रति मूर्ति बनी होंगी।।
पापों का बंचक नाश करेंगे,
खुद स्वयं राम अनावरणों से।
मंदिर की हर एक ईट बंधी होगी,
मर्यादा के आचरणों से।।
कोई रावण अब सीता माता को,
किंचित अपहृत नहीं कर पाएगा।
विश्व हिन्दुत्व की लेकर मशाल,
हर हिन्दू बेटा अलख जगायेगा।।
कलयुग में भी सतयुग के दर्शन,
होंगे सभी चारणों से।
मंदिर की हर एक ईट बंधी होगी,
मर्यादा के आचरणों से।।
प्रभु का स्वागत है
मन्दिर के शुभ शिलान्यास पर,
हृदय कमल अति हर्षित है,
साक्षी बन जायें नयन मेरा,
मेरा चंचल मन आकर्षित है।
प्रभु राम की पुण्य गाथा,
पवित्र ग्रन्थों में वर्णित है,
जन्मस्थल पर बन रहा मंदिर,
आज पूरा हिन्द आनन्दित है ।
मृत्यु लोक में खुशियाँ छायी,
देव लोक भी पुलकित है,
देख लूँ एक झलक प्रभु को,
मन में सुंदर छवि कल्पित है।
गा रहे है सब भजन कीर्तन,
सुनने को कर्ण विचलित है,
हम भी गाएं मंगल गीत,
गीत संगीत से सुसज्जित है ।
हर घर में दीपक जलाकर,
कर रहें भगवान का स्वागत है,
चारों तरफ बट रही मिठाई,
खाने को जिह्वा लालायित है।
राम लला विराजेंगे
छँट चुका है बादल मिट चुका है अँधेरा,
खत्म हुआ वनवास हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम का,
समाप्त हुई दर-ब-दर भटकने की वो नसम पीड़ा,
अब श्री राम लला जल्द ही विराजेंगे अपने घर पर।
न जाने कितने ही रोड़े आये थे मंदिर के मार्ग में,
कितनों की कपट विद्या झेला हमारे आराध्य प्रभु ने,
अंततः आज जीत हुई सत्य की फिर से असत्य पर,
अब श्रीराम लला जल्द ही विराजेंगे अपने घर पर।
आज होगा सपना पूरा हर कट्टर हिन्दू के मन का,
अब तो हुआ श्रीराम प्रभु के मंदिर का संकल्प पूरा,
अयोध्या की पावन धरती पर होगा फिर से उत्सव,
अब श्रीराम लला जल्द ही विराजेंगे अपने घर पर।
न तो है आज कार्तिक महीने की शीतल रात,
न ही है आज अमावश्या की वो तिमिर भरी रात,
मगर फिर भी आज हम सब मनाएँगे दीवाली,
क्योंकि अब श्रीराम लला जल्द ही विराजेंगे अपने घर पर।
राम
राम प्रेम हैं।
राम मित्र हैं।
राम सदभाव हैं।
राम आस्था हैं।
राम विश्वास हैं।
राम जीवन हैं।
राम दीपक हैं।
राम उमंग हैं।
राम आशा हैं।
राम रंगोली हैं।
राम भजन हैं।
राम अयोध्या हैं।
राम मिथिला हैं।
राम हर्ष हैं।
राम उल्लास हैं।
राम सूर्योदय हैं।
राम इतिहास हैं।
राम आर्दश है।
राम मर्यादापुरुषोत्तम हैं।
राम आगाज हैं, नये युग का।
राम संग्रह हैं, जीवन मूल्यों का।
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम लला
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम लला,
धरती पर आए ले चौदह कला।
तारिका के तारणहार बने,
अहिल्या को उद्धार किये,
शिव धनुष को खंडन कर,
माता सीता का वरण किये,
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम लला
धरती पर आए ले चौदह कला !
माता कैकेई के मन से पिता आज्ञा से,
सब छोड़ कर वन गमन किये,
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम लला,
धरती पर आए ले चौदह कला !
सबरी के झुठे बेर ग्रहण किए,
प्रिय मित्र निषाद राज बने,
ऊंच-नीच के भेद खत्म किए,
जातिवाद को नष्ट किए,
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम लला,
धरती पर आए ले चौदह कला !
नल-नील और वानर दल संग,
सागर पर सेतु बांध दिए,
फिर लंका में प्रवेश किए,
आप ही के कृपा से से हरि,
हनुमन्त लंका दहन किए,
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम लला,
धरती पर आए ले चौदह कला !
अन्यायी,अत्यारी रावण बहुत,
बध रावण का करके न्याय किए,
अयोध्या में राम राज्य स्थापना कर,
सब प्रजा के मन हर्षित किए,
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम लला,
धरती पर आए ले चौदह कला!
नारी जगत में सम्मानित रहे,
इसलिए पुनः त्याग सीता किए,
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम लला,
धरती पर आए ले चौदह कला !
अयोध्या में हो रही मंदिर निर्माण,
इस से ही होगी जग कल्याण,
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम लला,
धरती पर आए ले चौदह कला !
जय श्री राम
त्याग का पर्याय
प्रतीक शौर्य का
पुरुषों में उत्तम
संहर्ता क्रौर्य का
परहित प्रियता
भ्राताओं में ज्येष्ठ
कर्तव्य परायण
नृप सर्वश्रेष्ठ
शरणागत वत्सल
हैं आश्रयदाता
दशरथ नंदन
भाग्य विधाता
भजे मुख मेरा
तेरा ही नाम
जय सिया राम
जय श्री राम
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