१४ सितंबर २०२०
हिन्दी
हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा हैं,
जो हमें जन्म के साथ सिखाई जाती हैं,
ये हिन्द की बिंदी की तरह हैं,
हिंदी हमारी भाषा हो कर भी
वो हमारी नहीं रही ,
ये भी हमारे कश्मीर की,
तरह हो गई हैं,
जो हमारी हो कर भी,
हमारी नहीं रही,
वर्तमान में युवाओं ने,
अंग्रेजों की अंग्रेज़ी अपनाली,
मानो अंग्रेजों ने हड़प ली हैं,
जमीं हिन्द की,
आहिस्ता-आहिस्ता ही सही,
पर जड़ें जमा रही हैं अपनी गहरी,
आज हिंदी-दिवस हैं,
आज मनाएंगे हम सब मिलकर,
पूर्वजों के श्राद्ध की तरह,
आज के दिन याद किया जायेगा,
खूब लिखा जाएगा,
हर कलमकार की कलम भी,
बड़े जोरों और शोरों से लिखेगी,
हिंदी हमारी मातृभाषा हैं,
इस देश की आन-बान और शान हैं,
हिंदी कोई एक दिवस ही नहीं हैं,
जो हम-सब आज के दिन मानकर,
और कल हम-सब भूल जाएँ,
फिर रख दे हम उसे किसी तिज़ोरी में,
हमारी किसी अमानत की तरह !
हिन्दी एक प्यारी भाषा
हिन्दी जैसी प्यारी-प्यारी हमने देखी नही,
इसके जैसे न्यारी- न्यारी हमनें देखी नही।
महिमा इसके जैसी भारी हमने देखी नही,
ये जैसे सुकोमल नारी प्रेम से भरी हुयी।
महमह महके सृष्टि सारी भाव से भरी हुई।
रस, छन्द, अलंकार, सारे इसके श्रृंगार है।
चरणों में इसके पड़े जो उसका बेड़ा पार है।
सारे उपभाषाएं इसके संगी और साथी हैं,
जैसे कृष्ण राधा के संग गोपी और ग्वालाएं हैं।
इसको हृदय में बसा लो ये हरी का रूप है,
चारों तरफ इसको फैलाओ ये स्वर्ण सा धूप है।
ये चांद सितारों से भी ऊंचा और महान है,
स्वाति के बूंदो सा हल्का, तृप्ति समान है।
सबकी मधुर जुबान है हिन्दी
भारत मां के भव्य भाल की
अरुणिम ललित ललाम है बिन्दी।
भारत के गौरव गरिमा का,
एक मधुरतम गान है हिन्दी।
भारत अपना दिव्य कलेवर,
उस तन का शुचि प्रान है हिन्दी।
भिन्न भिन्न हैं जाति धर्म पर,
सबकी मधुर जबान है हिन्दी।
अलग-अलग पहनावे बोली,
लेकिन सबका मान है हिन्दी।
हर भारत वासी की समझो,
आन वान औ’ शान है हिन्दी।
इसमें है अभिव्यक्ति कुशलता,
भारत की पहचान है हिन्दी।
भारत की पहचान अस्मिता,
और सदा सम्मान है हिन्दी।
प्रगति हमारी समझो इससे,
भारत का उत्थान है हिन्दी।
हिन्दी का समृद्ध व्याकरण,
अक्षर, स्वर विज्ञान है हिन्दी।
हिंदी महान
हिंदी है हमारी शान,
हिंदी से हमारा मान,
जन जन की है हिंदी,
हिन्द की पहचान।।
स्वभाषा पर दो ध्यान,
हिंदी है भाषा महान,
लेखक हिंदी में लिख,
बने जग की शान।।
है पढ़े-लिखे की आन,
अनपढों को भी भान,
ये हिंदी भाषा सबको,
देती सामान्य ज्ञान।।
करो हिंदी का व्याख्यान,
गाओ साथ हिंदी गान,
भारत की मातृभाषा,
करो सब सम्मान।।
हिंदी पर है अभिमान,
अभिव्यक्ति की है जान,
चाहत है हिंदी गीत,
गाए हर ज़ुबान।।
हमारी आन है हिन्दी, हमारी शान है हिन्दी
पराधीनता के बंधन में
हिन्दी को बंधते देखा है
निशदिन अपने घर आंगन में
इसका दम घुटते देखा है।
कब तक हिंदी और लुटेगी
अपने ही घर आंगन में
आज भारतीय भाषा को ही
भारत में लुटते देखा है।।
जिसके आगे दुनियां झुकती,
उस हिन्दी का मान करो
भारत मां के मस्तक सोहे,
उस बिंदी का मान करो।
जिसने यह पहचान दिलाई,
उस हिन्दी का मान करो
जिस मां को दासी बना दिया,
उस मां हिन्दी का मान करो।।
हमारी आन है हिन्दी,
हमारी शान है हिन्दी
पुरातन संस्कारों की,
नयी पहचान है हिन्दी।
यही तो मातृभाषा,
राजभाषा, राष्ट्रभाषा है,
राष्ट्र के भाल पर शोभित,
नया सम्मान है हिन्दी।।
बड़ी गुणवान है हिन्दी,
गुणों की खान है हिन्दी
कि तुलसी, सूर, मीरा से
मिली पहचान है हिन्दी।
जिसे सुनते ही रसना,
नौं रसों का पान करती है
अलंकृत, गीत, मुक्तक, छंद
खुद रसखान है हिन्दी।।
हिन्दी
रखना हो गर हमारी हिंदी का मान
बस एक दिन ना करना सम्मान
ये तो हमारी प्यारी भाषा है
बोलना जिसने सबको सिखलाया है
शब्दों कि अभिव्यक्ति होती है क्या
हिंदी ने ही तो हमको बताया है.
क्यूँ आती है बोलने मेँ फिर शर्म
क्या भूल गये इसकी ममता का मर्म
क्यूँ बस एक दिन करते है इसे याद
बाद मेँ ना होता इसमें कोई संवाद
दूसरी भाषा पर देते ज्यादा जोर
हिंदी रह जाती बस एक और
इस तरह ना करो अपमान
हमारी हिंदी है हमारी शान
ना अपना सको तो ना अपनाओ
एक का दिखावा मत करवाओ
अपनी भाषा पर गर्व नहीं कर सकते
तो हिंदुस्तानी मत कहलाओ
मै हिन्दी
मै हिन्दी इस देश की भाषा संस्कृत से मै उपजी हूं।
पुष्प की अभिलाषा गोदान उपन्यास कहानी बनती हूं।।
साहित्य सृजन है मुझसे देखो अपनी बात मै रखती हूं।
मीठी मीठी प्यारी प्यारी बोली में ढल जाती हूं।।
स्वर है मेरा सुन्दर मुखड़ा व्यंजन मेरे अंग बने।
मात्राओं के आभूषण से हां मै सजती संवरती हूं।।
खूब सजाया खूब संवारा मुझको लेखक कवियों ने।
भावों के सुन्दर मोती बन कर मै काग़ज़ पे उतरती हूं।।
यूं तो मेरे नाम से जलधी हिंद महासागर कहलाता है।
किन्तु कवियों की कविता में गागर में सागर भरती हूं।।
हिन्दी से हिन्द, हिन्दुस्तानी और हिंदुस्तान है।
संस्कृत मेरी जननी है मै उसकी संतान हूं।।
भारत मां की आवाज़ हूं मै कहानी कविता संवाद हूं।
मन के भावों को सुर में सजाती मै वो सुन्दर साज हूं।
हिन्दी बने विश्व की भाषा
हिन्दी बने विश्व की भाषा
बिगुल बजाना ही होगा,
हिन्दी को उसका खोया
सम्मान दिलाना ही होगा।
तुलसी,सूर,कबीरा वाली
मधुरिम बानी हिन्दी में,
प्रेमचन्द्र से कथाकार की
अमर कहानी हिन्दी में,
हिन्दी में है ज्ञान और
विज्ञान बताना ही होगा,
हिन्दी को उसका खोया
सम्मान दिलाना ही होगा।
‘हिन्दी लाओ’ नारा केवल
हमको नहीं लगाना है,
हर प्रकार से हिन्दी को
ताकतवर हमें बनाना है।
हिन्दी भाषा के हित में
अभियान चलाना ही होगा,
हिन्दी को उसका खोया
सम्मान दिलाना ही होगा।
आओ हम यह प्रण कर लें
सब काम करेंगे हिन्दी में,
छोड़ विदेशी भाषा को
बस नाम करेंगे हिन्दी में।
मूँग दल रही छाती पर जो
उसे भगाना ही होगा,
हिन्दी को उसका खोया
सम्मान दिलाना ही होगा।
रोजी-रोटी की खातिर
संघर्ष करेंगे हिन्दी में,
नव प्रयोग,नव छन्दों से
भाण्डार भरेंगे हिन्दी में।
आँख-मूँद सोया समाज
झकझोर जगाना ही होगा,
हिन्दी को उसका खोया
सम्मान दिलाना ही होगा।
मातृभाषा हिंदी
हिंदी से वह प्रेम हमारा,
हिंदी हिंदुस्तान का नारा,
धर्म-कर्म सब हिंदी में कर,
हिंदी से उत्कर्ष हमारा,
भाषा लगती यह न्यारी है,
जो लगती हमको प्यारी है
शिशु की तुतलाती बोली पर,
माता-पिता सब बलिहारी है
हिंदी के हम प्रेमी जन है,
अक्षर करते शब्द सृजन है।।
अंग्रेजों को भी यह प्यारी,
बज्र में सीखें हिंदी भारी।।
हिंदी दिवस
~ पंकज कुमार
जीवन मेरा यह धन्य हो
जो तेरे लिए कुछ कर सकूं
जब-जब गिरूं निज-राह में
तेरा नाम हो मेरी आह में
ममता की तेरे छांव में
सुख-चैन से कुछ सांस लूं
उद्घोष सा तेरा नाम ले
इस राह में फिर चल सकूं
जब तक जियूं तेरी शान में
तेरी आन में ही मर सकूं
तेरे नाम से जाने ये जग
जीवन सफल मैं कर सकूं
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SWARACHIT1711E | हिन्दी बने विश्व की भाषा |
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बहुत सुंदर कविताएं।
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।