प्रकाशमय दिवाली

प्रकाशमय दिवाली

दीपावली त्योहार के महापर्व को प्रेम व भाईचारे के साथ मनाया जाना चाहिए। हिन्दी कलमकारों ने दिवाली पर कुछ रचनाएँ लिखीं हैं, आइए पढ़ते हैं।

चलो दीपावली कुछ इस तरह मनाते हैं

सपना चौधरी चंचल
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

चलो यह दीपावली कुछ इस तरह मनाते हैं..
उदास से चेहरों पर मीठी मुस्कान ले आते हैं.

पटाखों का शोर व प्रदूषण व्यर्थ इस उत्सव में..
आओ ढेरों दीप जलाकर धरा-गगन जगमगाते हैं.

चलो यह दीपावली कुछ इस तरह मनाते हैं..
मिष्ठान्नों सी मिठास, किसी के जीवन में बढ़ाते हैं.

नयी चीजें, कपड़े, आभूषण तो बहुत लिए हमनें,
कुछ सहयोग-दान कर यह दीपावली ख़ास बनाते हैं.

सकारात्मकता व समृद्धि का यह उज्जवल पर्व..
दिलों में सबके प्रेम व सौहार्द्र के दीप जलाते हैं.

चलो यह दीपावली कुछ इस तरह मनाते हैं..
उदास से चेहरों पर मीठी मुस्कान ले आते हैं.

अयोध्या नगरी में दिवाली

मधु शुभाम पांडे
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

अयोध्या नगरी में हो रही आज दिवाली,
झुमों नाचो गाओ सब मिल और बजाओ ताली,
लगता है वर्षों की तपस्या पूर्ण आज हुई है।।
दुल्हन के जैसी ये अयोध्या नगरी सजी हुई है।।
लगती है अयोध्या नगरी जैसे उमर हो बाली,
अयोध्या नगरी में हो रही आज दिवाली

सारे विश्व मे रामलला का अब परचम फहराएगा।।
हर घर का अब बच्चा बच्चा राम नाम गुण गायेगा।।
चारों ओर भक्ति की रोशनी छुप गई रतिया काली।।
अयोध्या नगरी में हो रही आज दिवाली

दिवाली

ऋचा प्रकाश
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

दिवाली का त्यौहार आया,
अनेको खुशियों का पैगाम लाया,
हर घर घर में दिए जलते,
रंगोलियों से आनन्द बढ़ाते,
जगमग-जगमग करता यह सारा जहाँ हमारा

चौदह वर्ष वनवास काट,
पुरुषोत्तम राम के आगमन से,
धूम मची अयोध्या में,
खुशियों की लहार दौड़ी,
दुल्हन सी सजी अयोध्या नगरी,
दिए से स्वागत हुई,
हर कोने में सत्य की दीप जगमगाती,
बुराई रूपी अंधकार मिटी,
वही से ये अनोखी प्रथा चली

अनेक खुशियों और उमंगो से
भरी यह त्यौहार
हर्षोल्लास से मनाते,
छत्त, बाहर, भीतर दिए से सजाते,
मिठाई, पकवान बनते,
आतिशबाजियों की गूंज से,
चमक उठता यह आसमां,
रौनक लाती सबके चेहरे पर,
खिल उठता यह सारा जहाँ अपना

चलो रोशन करें सबके घर

डॉ. राजेश पुरोहित
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

अवध में लौट आये श्रीराम
जपो मन प्यारे जय श्रीराम
माता सीता भाई लक्ष्मण से
स्वागत करो सब अंतर्मन से

घी के दीये की थाल सजा
देहरी का आकर दीप लगा
आंगन उजियारा हो सबका
आ दीपशिखा सा बढ़ता जा

अंधियारे से लड़ना सीखो
आगे कदम बढ़ाना सीखो
मंजिल दूर नहीं है तुम से
थोड़ा थोड़ा चलना सीखो

दुल्हन सी सजी अयोध्या
कितनी मनोहर लगती है
रिश्तों की ये बगिया तो
प्रेम , प्यार से सजती है

मिष्ठानों की भर भर थाली
चुन्नू, मुन्नू डेविड ने खाली
अरमानों के पंख लगाकर
उड़कर चली आई दीवाली

आस का दीपक जलाकर
स्नेह की बाती सजाकर
प्रेम से फिर दीप बनाकर
चलो रोशन करें सब के घर

मन मंदिर के दीप जलाएं

दिनेश सिंह सेंगर
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

कर्मों के घृत में डूबी, सत, रज, तम की बाती सुलगाएं।
मिट जाएगा घोर अंधेरा, हम अपना संकल्प निभाए।।
मनमंदिर के दीप जलाएं, मन मंदिर के दीप जलाएं…

वसुधा के हर घर आंगन को, मानव मन के निर्जन वन को।
अंधकार मय, मय दानव को, अपना अनुपम तेज दिखाएं।।
मनमंदिर के दीप जलाएं, मन मंदिर के दीप जलाएं…

हम जुगनू ना जीत सकेंगे, भीषण तम ना चीर सकेंगे।
पर जुनून लेकर हम दिल में, अपना रण कौशल दिखलाएं।।
मनमंदिर के दीप जलाएं, मन मंदिर के दीप जलाएं…

किसे खबर है कौन कहां है, विश्व वहां है आप जहां है।
हम भारत की माटी से फिर, विश्वविजय का स्वप्न सजाएं।।
मनमंदिर के दीप जलाएं, मन मंदिर के दीप जलाएं…

पथ से नित कंटक चुन चुन कर, प्रेम जाल फूलों से बुनकर।
बुझे हुए सब दीप जलाकर, अपने सोए भाग्य जगाएं।।
मनमंदिर के दीप जलाएं, मन मंदिर के दीप जलाएं…

आओ दीपमय दीवाली मनाये

ललिता पाण्डेय
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

आओ खुशियों भरी दीवाली मनाये
मुरझाते चेहरों में मुस्कुराहट वापस लाए
बना कुम्हार की माटी को स्वर्ण
आओ हम सब दिये वाली दीवाली मनाये

रंगो की रंगोली बना
घर आँगन महकाये
चलो इस बार दीये
हम खुद ही सजाये।

मिलजुल बनाये तोरणहार
हरियाली घर वापस लाए
इस बार दीवाली अपनी और
दूसरो की रंगीन बनाये।

खील,बताशे और फुलझड़ी
हर बच्चे को मिल पाये
माँ लक्ष्मी कृपा करो
हर देहली में रौनक छाये।

खुशियों का यह पर्व
हर अंतर्मन को छू जाय
कर तिमिर को दूर
दीवाली दीपमय हो जाये।

दिवाली आई

कलानाथ रजत साव
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

दिवाली आई, दिवाली आई
सभी के घरों में खुशियां छाई
आगे आओ मिलकर बहन व भाई
सब मिलकर करो घर की सफाई
तभी घर में आएगी लक्ष्मी माई
चारों तरफ गूंजेंगी दिवाली की बधाई
सभी जगह बटेंगे लड्डू और मिठाई
देखो चारों ओर दिवाली की खुशियां है छाई
दीपक की रोशनी में नहाएगी पूरी दुनिया भाई
ऊंची-ऊंची इमारतों पर बत्तींयो की लड़ियां है छाई
आप सभी को हमारी ओर से दिवाली की ढेरों बधाई
दिवाली आई, दिवाली आई.

दीपावली

सविता मिश्रा
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

धर्म पे धर्म की,असत्य पे सत्य की
विजय का उल्लास पर्व है दीवाली

पूरा कर वनवास अंत कर दुष्टों का
प्रभू श्री राम अयोध्या आये हैं

घर घर पुरवासी के आनंद मंगल छाये है
हर ऑगन मे बिखरी प्रकाश मालाएं हैं

देख रोशनी और चहल-पहल
पूनम का चाँद भी शर्माया है

प्यार मोहब्बत भाईचारे संग आज दिवाली मनाये
नफरत और वैमनस्यता को जीवन से दूर भगाये।

शुभ दीपावली

आलोक
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

रोशन हुई दुनिया ,
संस्कृति के उजालों से,
हर आशियाना जगमगाया ,
रंगीन दियों के उजालों से,
सितारे भी धरा से कहने लगे,
मेरा रंग भी आज फीका लगने लगा ,
धरा के रोशनी भरे अंदाज से,
ये रोशनी बनी रहे, खुशियां बनी रहें,
ये दिया बुझने न पाये, रोशनी फैली रहे,
अंधेरे को दूर भगाएं,
हर घर आंगन में चहुंओर रोशनी का वास हो,
माँ लक्ष्मी का आगमन हो

खुशियां ही खुशियां हर दामन से बंधी हो
दुख कोशों दूर हो
कांटों की राहों में मखमल मिले
हर दिल मे केवल उजियारा मिले
दिल से अमीर बनें
सोच से अमीर बनें
सब अपने बनें कोई दूजा न रहे
सबकी थाली भरी रहे
प्यासे को तृप्ति मिले
भूखे को भरपेट अन्न मीले
खुशहाल रहें, सदा खुशहाल रहें
स्वस्थ रहें, मस्त रहें,
ऐसी दीवाली का आगमन हो

संस्कृति का गुणगान हो
सबकी राहें आसान हो
आंखों में अश्रु की जगह
संतुष्टि का संचार हो
देश भक्ति की अलख जगे
हमारे प्रहरी अमर रहे
अमर ज्योत की रोशनी से
दुश्मन का विनाश हो
चहुंओर सुख शांति का वास हो
ऐसी दीवाली का आगमन हो
ऐसी दीवाली का आगमन हो

दीपों का त्योहार

चेतन दास वैष्णव
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

यह पर्व हैं पुरुषार्थ का,
यह दीप के दिव्यार्थ का,
हर घर की देहरी पर दीप
सबको जलाना हैं,
ताकि वो अंधकार से
लड़ता यह चलता रहे,
हारेगा यह अंधियारा
जो छाया हैं घोर- अंधियारा,
जीतेगा यह जगमग उजियारे से,

आज के इस दीपों के त्योहार से,
दीप ही ज्योति का पहला तीर्थ हैं,
सदा यह कायम रहे इसका अर्थ
वरना सब यह व्यर्थ हैं,
मिलकर आज हमें मनाना हैं
यह दीपों का त्योहार हैं,
महामारी में भी
आज का दिन दीपों से जगमगाना हैं,
सरकार के सारे आदेशों को मानना हैं,
दो गज दूरी की भी पालना जरूरी हैं,
मिलना हाथ नहीं हैं सिर्फ अभिवादन करना हैं,
साथ में रहना हैं साथ किसी का भी छोड़ना नहीं हैं,
पटाखे फोड़ने नहीं हैं दिलों को जोड़ना जरूरी हैं,
कोई भी वंचित न रह जाए खुशियों से,
कोई भूखा भी न रह जाए खाने से,
ये भी याद हमें रखना हैं याद से,
सारे मिलकर मनाए दीपों का यह त्योहार,
फिर से मिलकर लाए हम सब रामराज इस धरा पर.

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