मकरसंक्रांति महापर्व की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ हिन्दी रचनाकारों के सन्देश इन कविताओं मे पढिए।
मकर संक्रांति शुभमस्तु ~ संजू ‘गौरीश’ पाठक
आते आदित्य मकर में जब,
संक्रांति पर्व होता पावन ।तिल गुड़ की फिर मिठास देखो,
लगती सबको है मनभावन ।
ऊंची उड़ान भर इठलाती,
नभ मे जा दूर पतंगें जब।
संदेशा यह भी देतीं हैं,
रहिए संयुक्त डोर से सब।।सतरंगी इंद्रधनुष आभा,
चहुँ ओर दिखाई देती है।आबाल वृद्ध नर नारी सब
की काया प्रमुदित होती है।।हर नारी सदा सुहागन हो,
हल्दी कुंकुंम यह बतलाता।सौहार्द भाव से मिल जुल कर
रहना सबको है सिखलाता।।लोहरी मनाएं या पोंगल,
संस्कृतियों का सुंदर संगम।कामना यही सब पुलकित हों,
संजू ‘गौरीश’ पाठक
भारत में है पर्वों का क्रम ।।
मकर संक्रांति ~ ललिता पाण्डेय
प्रकृति का मनोरम उत्सव
मकर संक्रान्ति आया
सूर्य की अद्भुत किरणें
और एकता का संदेश संग लाया।कही ओणम कही मकरचौला
तो कही पोंगल हैं ये
कही खिचड़ी दान का त्यौहार
तो कही गंगा-स्नान का हैं ये रिवाज।कही सुहागिनों का गुड़ीपर्व
तो कही लक्ष्मी का त्यौहार है
कही लोहड़ी तो कही बीहू का उल्लास हैं।कही होता कृषि और पशुओं का मान
कही गुड़ और तिल से बने हैं पकवान
और कही पतंगो से भरा हैं ये आसमान।हमारी भारतीय सभ्यता और सांस्कृति
ललिता पाण्डेय
की है ये पहचान
और भारतवर्ष का ये अभिमान।