Valentine’s Day- Sunday, 14 February 2021: Valentine’s Day, also called Saint Valentine’s Day or the Feast of Saint Valentine, is celebrated annually on February 14.
इश्क का ताजमहल
इश्क के नाम पर
इश्क की बाजिया सजेगी।
शतरंज की बिसात पर
घनघोर तमाशा होगा।
जब हुस्न, इश्क के नाम पर
नंगा होगा सरेबाजार, ओर
अनगिनत ताजमहलो के चिराग
बुझा दिए जाएंगे।
और खंडहर हो जाएंगे
कई ताजमहल।
फिर से,
दरारों पर लगाया जाएगा
इश्क का मरहम
एक बार फिर
ताजमहल के गुंबद चूमेंगे
इश्क के आसमा को।
और फिर से ताजमहल तैयार होगा,
खंडहर हो जाने को।
वैलेंटाइन डे नहीं,
देश प्रेम दिवस मनाएंगे
आधुनिकता की होड़ में
वैलेंटाइन डे नहीं, देश प्रेम दिवस मनाएंगे।
आज के दिन देश की खातिर
जिन शहीदों को हुई फांसी
उन्हीं देशभक्त,
भगत सिंह-राजगुरु- सुखदेव,
की याद में, देश प्रेम दिवस मनाएंगे।
आधुनिकता की होड़ में,
वैलेंटाइन डे नहीं, देश प्रेम दिवस मनाएंगे।
आज के दिन देश की खातिर
पुलवामा में जो शहीद हुए
उन शहीदों की शहीदी पर
नतमस्तक हो जाएंगे।
वैलेंटाइन डे नहीं, देश प्रेम दिवस मनाएंगे।
मत खोने दो मूल्य प्रेम का
प्रेम को एक दिन में,
नहीं समा पाओगे?
यह तो अनंत
हर दिन का आधार है।
हम हर दिन को ,
मूल्यवान बनाएंगे।
आधुनिकता की होड़ में ,
वैलेंटाइन डे नहीं, देश प्रेम दिवस मनाएंगे।
एक गुलाब उन शहीदों के नाम
वेलेंनटाइन याद रह गया
उनको याद करेगा कौन!
ख़ुद की हस्ती मिटाई जिसने
सरहद पे जान गवाईं जिसने,
हिना भी ना सुखी हाथों की
माथे की बिंदियां हटाई जिसने,
उस बूढ़ी माँ की हालत तुम पूछो
कलेजे के टुकड़े की अर्थी उठाई जिसने!
वेलेंनटाइन याद रह गया
उनको याद करेगा कौन
क्या उनको अख्तियार नहीं था
क्या उनको जीवन से प्यार नहीं था,
वो भी ग़ुलाब थमा सकते थे
महफ़िल में रंग जमा सकते थे,
लेकिन ये उनको नहीं ग़वारा था
क्योंकि हिन्दोस्तां उनको प्यारा था !
वेलेंनटाइन याद रह गया
उनको याद करेगा कौन
मिट गए, मग़र झुके नहीं
आंधी-तूफ़ां में भी कदम रुके नहीं,
क्यों खाई सीने पे गोली
ताकि तुम खेल सको रंगों की होली,
थी उनकी भी चम्पा-चमेली
थी गाँव मे उनकी भी बड़ी हवेली!
लेकिन तुम भूल गए उनकी कुर्बानी
तुम्हें अच्छी नहीं लगती उनकी कहानी,
तुम्हारे कल के लिए वो पास्ट बन गये
गोलीबारी,धमाकों में ब्लास्ट बन गये,
आज तुम उनकी वजह से प्रथम बने हो यारों
वो अंतिम बेचारे, लास्ट बन गये !
वेलेंनटाइन याद रह गया
उनको याद करेगा कौन!
आओ सब एक “दीप” जलाएँ
उनकी शहादत पे ग़ुलाब चढ़ाएं
जियें-मरें वतन की ख़ातिर
मेरा वतन गुलिस्तां,गुलशन बन जाए
चहूँ और हो उजियारा
मिट्टी में अमन के तरु खिल जाएं!
तेरी इजाजत
तेरी इजाजत हो,
तो एक बात बोल दूं।
तेरी आंखों में देख लूं,
या दिल तड़पता छोड़ दूं।
गर तेरी रजा हो तो,
मोहब्बत का इस तरह
एक दूसरा पन्ना लिखूं,
आऊं करीब तेरे और,
होंठों को तेरे चूम लूं।।
दिल को सुकून अदा करूं,
या सांसों को मचलता छोड़ दूं।
तुझको लगा लूं गले से,
या तुझको तरसता छोड़ दूं।