होली – रंग – कोविड

होली – रंग – कोविड

नीताराम शर्मा

इस बार होली के बिना अधूरे ~ नीताराम शर्मा

होली के बिन हम सब
रंग रंग करके आया ये पर्व
होली इस बार खिली नहीं
सारे संसार में रंग नहीं खिल पाए
हम सबके चेहरे रंग से खिल नहीं पाए
सारा संसार दुःखी है
जंग इतनी बड़ी थी हम ठीक से लड़ नहीं पाए
रंग रंग दे होली कोरोना से डर है
ये पर्व मना नहीं पाए
कई त्योंहार हमसे छूट गए
अनेक रंग से रंगा पर्व आया
कैसे मनाएं होली कोरोना ने अपना पैर पसार रखा है
घर घर होली खेलें
अनेक रंग से खिले चेहरे
उड़ते खिलते रंग नृत्य गायन में


अमित चंद्र तिवारी

रंगों का त्यौहार ~ अमित चंद्र तिवारी

बिछड़ों को मिलाना है
बड़ी दूरियों को घटाना है
तोड़ के सारे भ्रम जाल
रंगों का त्यौहार मनाना है

है त्यौहार अटूट प्रेम का
ना देखता रूप रंग का
मोहन होकर भी काला
है प्रियतम राधा रानी का
भेद-भाव को मिटाना है
रंगों का त्यौहार मनाना है

पाल रखी कुछ भ्रांतियां
इस त्यौहार के प्रति
करके मदिरा सेवन
करते अपमान इस पर्व का भी
कुरितियां को मिटाना है
रंगों का त्यौहार मनाना है

करते तो दहन होलिका का भी
लेते क्या उससे कुछ शिक्षा भी?
क्यों जल गई ना जलने वाली
इस बात को अंतर्मन में लाना है
रंगों का त्यौहार मनाना है


आकाश कुशवाहा

बुरा न मानों होली है ~ आकाश कुशवाहा

लग न जाए कहीं रंग,
इस बात का है मन में भ्रम।
बक्शो इन सब बातों को,
और भूल जाओ जीवन के गम।
नए-नए रंग लगाकर,
होली खेलो सब के संग।।
पर रहना थोड़ा बचके,
क्योंकि घूम रही रंगो की टोली है।
पर बुरा न मानो होली है।।

इन रंगो की टोली में,
नहीं है कोई कम।
इस टोली में तो सब में है,
कुछ अलग सा ही दम।।
इन सब रंगों के बीच,
लोगों ने सबसे,
बोली मीठी बोली है।
इसलिए बुरा न मानो होली है।।

इस होली में तो है,
कुछ अलग-सी ही बात।
होती है इसमें तो,
सब लोगों का ही साथ।
खुशियों के रंग लगाकर,
रखो तुम हाथों में हाथ।।
और सब लोगों ने इसमें,
रंगों की पोटली खोली है।
पर बुरा न मानो होली है।।

यह सिर्फ होली नहीं है,
यह तो खुशियों की बात है।
सब लोगों का,
रहता तो इसमें हाथ है।
नई-नई खुशियां बाटके,
सब एक-दूसरे के साथ हैं।।
तभी इन सब लोगों की,
आज मस्ती डोली है।
इसलिए बुरा न मानो होली है।।

सबका मन भाती है,
ब्रज की लठ वाली होली।
मन आक्रषण कर लाती है,
हरियाणा की धुलन्दी वाली होली।
तो फिर हम सब भी मिलकर,
खेलें चलो, मस्ती वाली होली।।
होली के सागर में लोगों ने,
रंगों की गोलियां घोली है।
पर बुरा न मानो होली है।।

होली का त्यौहार लाता है,
मिठाइयों की दावत।
लोगों की होली पर होती है,
गुजियाँ खाने की आदत।
बच्चे भी करते हैं,
इस पर थोड़ी बहुत शरारत।।
चलो हम भी इस त्यौहार पर,
खुशियां बटोरने के लिए,
फैलाते अपनी झोली है।
और बोलें एक ही बात की,
बुरा न मानो होली है, बुरा ना मानो होली है।।


सीमा रंगा

होली फौजी की ~ सीमा रंगा

फौजी साहब के मन में
खुशी निराली है आज
छुट्टी की बात होने वाली है
झूम झूम वर्दी आज लगाई है
खुशी झलक रही चेहरे में

सीओ साहब से मिलना है
महीनों बाद छुट्टी मिलने वाली हैं

जाकर घर में होली जो मनानी है
रंगों के साथ तो खेलना है
पर मुसीबत देश पर आई है
बॉर्डर पर फिर से चहल कदमी हुई है
पता लगते ही फौजी ने
छुट्टी ना जाने का मन बनाया है
मन को आज तसल्ली दे दी
इस बार ना सही
अगली बार खेलूंगा होली
मैं तो खुश हूं पूरा देश होली खेलेगा
मन में लाखों सवाल पाले

फिर बॉर्डर का रुख किया है
फिर भी फौजी के चेहरे पर
खुशी निराली है


मनीषा कुमारी

रंगों का त्योहार है होली ~ मनीषा कुमारी

प्यार से सबको गले लगाने का त्योहार हैं होली
दुश्मन को दोस्त बनाने का त्योहार हैं होली।
रंग-बिरंगे फूलों से घर-आंगन को सजाना हैं
पुआ-पुरी पकवान आज घर मे बनाना है।
रंगों का त्योहार है होली, खुशियों की बौछार है होली।।

हर गलियों में बज रही है ढोल-मृदंग
हर कोई लाल पिले रंगों के है संग।
नफरत को इस होलिका में दफ़नाना हैं
सबको प्यार से अपना बनाना है।
रंगों का त्योहार है होली, खुशियों की बौछार है होली।।

आज रंगीन है धरा और आसमां भी
झूम रहे है बच्चे के साथ बूढ़े और जवां भी।
लाल-गुलाबी खुशियों के रंग चारों तरफ छायी है
मस्ती और उमंगों की बज रही चारों तरफ सहनाई है।
रंगों का त्योहार है होली, खुशियों की बौछार है होली।।

खुशियों के सागर में पुरी दुनिया डूबी हैं
भेदभाव को मिटाकर रंगों सभी झुमी हैं।
सबके जुबा पे एक ही नगमा और तराना है
इस बार होली में सब मिलकर कोरोना को हराना है।
रंगों का त्योहार है होली, खुशियों की बौछार है होली।।

मास्क भी पहनना है, हर सुरक्षा अपनाना है
वैक्सीन भी लगवाना है, कोरोना को मिटाना है।
इस बार होली में कुछ ऐसा कर गुजर जाना है
एक इतिहास बानाना है कोरोना को दुनिया से भगाना हैं
रंगों की त्योहार है होली, खुशियों की बौछार हैं होली।।

आओ मिलकर मनाये ये होली का त्योहार
रंगों की खुशबू से महकाएं ये घर-आँगन संसार।
रंग बिरंगे बादलों से हो रही है खुब बौछार
एक दूजे के संग मना रहे सब ये पावन त्योहार।
रंगों की त्योहार है होली, खुशियों की बौछार है होली।।


रवींद्र कुमार शर्मा

खूब नाचेंगे सब के संग ~ रवींद्र कुमार शर्मा

आओ सब मिल कर खेलें होली
पिचकारी से निकली रंगों की गोली
गले मिलते हैं प्यार से एक दूसरे के
निकली है मस्त मतवालों की टोली
कोई पीले रंग में रंगा है
कोई हुआ है लाल
कोई फैंक रहा पानी में डाल कर
कोई फैंक रहा सूखा गुलाल
उड़ रहा गुलाल छाई है मस्ती
दुआ मांग रहे हैं सारे
शांति प्यार और भाईचारा बना रहे
त्योहार मिल जुल कर मनाते रहें सारे
रंगों का त्योहार हैं होली
सब मिल जुल कर हैं मनाते
जात पात मज़हब कोई भी हो चाहे
गले मिलते एक दूसरे के गुलाल हैं लगाते
खुशियों का त्योहार है होली
आपस का प्यार सत्कार है होली
जीवन रंगों से भर जाए सबका
यही संदेश देती हरबार है होली
मन में है उल्लास बहुत
दिन है होली का खास बहुत
शिकवे भूलें और याद करें
जो दिल के हैं पास बहुत
पिचकारी से निकले जो रंग
लेके आएंगे नई उमंग
गले मिलेंगे इक दूजे के
खूब नाचेंगे सबके संग


अमित मिश्रा

बिन प्यार सब रंग फीका है ~ अमित मिश्रा

हमने तो बस यही सीखा है
बिन प्यार सब रंग फीका है
दिल से दिल जब मिलता है
प्यार का रंग तब खिलता है
खाके झुमे सब भांग धतूरा
बिन प्यार सब रंग अधूरा
प्यार के रंग में रंग जाना है
दुश्मन को भी गले लगाना है
जब सरहद पे गोली चलती है
तब दिल में ही होली जलती है
प्यार की पिचकारी चलती है
तभी सुकू से हर माँ सोती है
कचरा जला दिए हो होली में
लेकिन मैल बसा है बोली में
ये कैसा तुझ पर रंग चढ़ा है
पी कर सड़क पे गिरा पड़ा है
इसका तो कुछ तात्पर्य नहीं है
ये बिल्कुल तेरा कर्त्तव्य नहीं है
जब सर पर रंग प्यार चढ़ेगा
तब ही हर कोई गले लगेगा
प्यार के रंग में रंग जाओ तुम
सबको गले लगाओ तुम


प्रीति शर्मा “असीम”

जिंदगी के रंग ~ प्रीति शर्मा “असीम”

कोई रंग भरने जीवन में तेरे
बाहर से नहीं आएगा
तेरे जीवन में रंग
तो तेरे ही भरने से आएगा।
कोई रंग भरने जीवन में तेरे ,
बाहर से नहीं आएगा।

किस सोच में हो
कोई बांध के रंगों को सारे इंद्रधनुष
तेरे हाथ में थमा जाएगा।
जिंदगी को तेरी रंगों से रंगीन ,
वह कर जाएगा।
कोई रंग भरने जीवन में तेरे ,
बाहर से नहीं आएगा।

हकीकत के उन बदरंग दागों से लड़
तू अपनी हिम्मत से जिंदगी में रंग नये
जब तक ना भर पाएगा।
दुनिया के रंगों के इंतजार में
बंदरंग तू हो जाएगा।
कोई रंग भरने जीवन में तेरे,
बाहर से नहीं आएगा।

तेरे जीवन में असल रंग तो,
तेरे भरने से ही आएगा।


कमल राठौर ‘साहिल’

यारो की टोली ~ कमल राठौर ‘साहिल’

फागुन का उत्सव
यारो की टोली
निकल पड़ी अलसुबह
धमाल करने
गैंडा, लप्पा, फुटिया
चंदू, ओर खाटिया
यारो की टोली

होली के रंग में रंगने
भांग और जाम के सुरूर में चढ़ने
निकल पड़ी यारों की टोली

होली के सुरूर में
कोई खुद को रंग लगाता
तो कोई किसी को
रंग गुलाल से नहलाता

होश रहा जब तक
प्रेम से गले लगाया
बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद भी
नहीं उन्होंने भूलाया।

जब पहुंचा खुमार चरम पे
टांगा – तोड़ी कर
गोबर का स्वाद चखाया
इस हरकत से
यारों का भी सिर चकराया।

शर्म की सीमा टूट गई
जब उसने कुत्ते से मुंह चटवाया
होली के शोरगुल में
कोई ना उसको पहचान पाया

यारों की टोली ने
यह कैसा फागुन का
त्यौहार मनाया
रंगों से सारोबार हो
कीचड़ में लथपथ घर पर आया

यारों की टोली और
होली का त्यौहार
यारों ने जमकर मनाया।


डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह “सहज़”

परम्पराओं का अभिमान ~ डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह “सहज़”

होली आईं होली आई
आया रंगों का त्योहार
परम्परओं का अभिमान,
होलिका दहन, धुलेंडी,
अबीर, रंग और गुलाल,
सखी सहेली, सांवली,
वो हो गई लालम लाल,
ढोल बजाए ये होली की,
उमंगे प्यारी सी मृदंग,
प्यार मुहब्बत मिली हुई,
है, ये होली की हुड़दंग,
रंग बिरंगा यौवन आया,
महका महका हर पलाश,
रंग गुलाल है उड़ने वाला,
खुशियों का वो आभाष,
पशु ,पक्षी, पेड़ और पौधे,
मन में पल रहा उल्ल्हास,
बालियां गैहूँ की खैतों में,
कैसे मुस्कातीं इठलाती हैं
प्रकृति भी सुंदरता की ये
चादर ओढ़े मुस्काती है


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