हमारी नज़र में विद्यार्थी को सिर्फ एक चुनौती स्वीकार करनी होती है और वह है वार्षिक परीक्षा। किंतु ऐसा नहीं है, उन्हें इस दौरान कई बड़े-बड़े फैसले लेने होते हैं। जीवन में सफल बनने का पहला पड़ाव है छात्र बनना। कलमकार साक्षी सांकृत्यायन की विद्यार्थी जीवन पर रचित यह कविता पढें।
कितना मुश्किल हो जाता है विद्यार्थी जीवन को जीना
प्यार, परिवार, पढ़ाई, करियर सबको इक धागे में सीना।उम्मीद संजोए घर से निकला तबतक कोई फ़िक्र रही ना
इस होड़ भरी बाज़ार में आकर निकल गया है पसीना।इसी भीड़ में नज़र पड़ी उनपर दिल धड़क गया ये कमीना
लो प्यार हो गया है दिल को अब दिल ख़ुद की ही सुने ना।प्यार में जब से जकड़ गए हैं क़िताब से दिल ये लगे ना
कितना मुश्किल हो जाता है विद्यार्थी जीवन को जीना।।धीरे-धीरे कुछ वक़्त बाद जब चाहा करियर को पाना
विद्यार्थियों की लम्बी कतारों में आये नम्बर ही कहीं ना।विद्यार्थियों का कैसा जीवन है कभी उनका हाल पूछना
करियर और प्यार के साथ में उनको कैसे पड़ता है जीना।प्यार, परिवार, पढ़ाई, करियर इन चारों के साथ में जीना
कितना मुश्किल हो जाता है विद्यार्थी जीवन को जीना।~ साक्षी सांकृत्यायन
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