एक विघ्न हरण मंगल करण, गौरी पुत्र गणेश।
प्रथम निमंत्रण आपको, ब्रह्मा विष्णु महेश।१।
भेज रहे है स्नेह निमंत्रण, प्रियवर तुम्हे बुलाने को।
हे मानस के राज हंस तुम, भूल ना जाने आने को।२।
गंगा की आंचल से, सुर-सरिता की धार रहे।
सफल रहे यह जोड़ी, जब तक ये संसार रहे।३।
कोमल मन है राह कठिन है, दोनों हैं नादान।
मंगलमय हो जीवन इनका, आकर दे वरदान।४।
आते हैं जिस भाव से, भक्तों को भगवान।
उसी भाव से आप भी, दर्शन दे श्रीमान।५।
मिलन है दो परिवारों का, रस्म है खुशी मनाने का।
हमें तो इंतजार है, बस आपके आने का।६।
सोलह सावन बीत गया, बाबुल की अंगनाई में।
बाबुल का घर छूट गया, एक दिन शहनाई में।७।
बूँद की प्यास हो, और नदी मिल जाये।
वर-वधू को जहाँ भर की, ख़ुशी मिल जाये।८।
कोशिश की पर रहा विवश, मैं स्वयं द्वार न आ पाया।
इस लिए निमंत्रण देने को, मई पत्र रूप बनकर आया।९।
जब होती है प्रभु की कृपा, संयोग स्वयं जुड़ जाते हैं।
अपनों के स्वागत करने के, अवसर यूं ही मिल जाते हैं।१०।
आस लगाए बैठे हैं, आएं सपरिवार।
स्वागत को तैयार हैं, हम पूरे परिवार।११।