आजकल विद्यार्थी लिखने में वर्तनी की अशुद्धियाँ बहुत करते हैं
हम इस मंच के माध्यम से हिंदी शब्दों के बुनियादी अंतर को आज की युवा पीढ़ी को बताने का प्रयास करेंगे।
1. स्रोत औऱ स्तोत्र
स्रोत- (स् +र+ओ+त) इसका अर्थ है माध्यम, जहाँ से किसी की प्राप्ति होती है
जैसे पानी का स्रोत, आय का स्रोत, ऊर्जा का स्रोत, भाषा का स्रोत। अज्ञानता के कारण हम स्त्रोत लिखते-बोलते हैं जबकि यह कोई शब्द नहीं होता।
स्तोत्र- (स् +त+ओ+त् +र) संस्कृत साहित्य में किसी देवी-देवता की स्तुति में लिखे गये काव्य को स्तोत्र कहा जाता है। जैसे- शिव तांडव स्तोत्र,आदित्य हृदय स्तोत्र, राम रक्षा स्तोत्र।
2. कोष और कोश
कोष का प्रयोग खजाने के लिए किया जाता है, जैसे राजकोष। जबकि कोश का अर्थ होता है पदार्थों के लिए बनाया गया खोल, बर्तन, प्याला, डिब्बा, तलवार रखने की म्यान,शब्द संग्रह के लिए ग्रन्थ।
3. कार्रवाई और कार्यवाही
सुनने में दोनों शब्दों में कोई ज्यादा अंतर समझ में नहीं आता, लेकिन इनके अर्थ पूरी तरह अलग-अलग हैं।
‘कार्रवाई’ कहते हैं- ‘एक्शन’ (ACTION) को और ‘कार्यवाही’ कहते हैं ‘प्रोसिडिंग’ (PROCEEDINGS) को।
उदाहरण के लिए किसी कार्यालय में होने वाले काम-काज को “कार्यवाही” कहते हैं और किसी संस्था पुलिस ,न्यायालय जो कदम उठाए जाते हैं, जो ‘एक्शन’ लिया, उसे “कार्रवाई” कहते हैं।
4. शांति और सन्नाटा
शांति मन – मस्तिष्क के लिए सुखद अनुभूति है, उद्विग्न रहित समय है जबकि सन्नाटा भय सूचक है। ध्यान -साधना , पढ़ाई के लिए शांति की आवश्यकता होती है, सन्नाटा में साधना नहीं हो सकती।
5. ग्रह और गृह में अंतर
ग्रह प्रयोग ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों के लिये किया जाता है, जैसे सूर्य ग्रह, मंगल ग्रह, शनि ग्रह।
गृह- गृह का प्रयोग आम तौर पर घर/भवन के लिए किया जाता है, जैसे कि गृह प्रवेश, गृहकार्य , गृह नगर आदि।
6. अपेक्षा औऱ उपेक्षा
अपेक्षा का अर्थ है उम्मीद, आशा, चाहत, मांग आदि। जैसे- आप से अपेक्षा की जाती है कि आप कल से समय पर आएंगे। अपेक्षित जानकारी कल तक दें।
उपेक्षा का अर्थ है तिरस्कार करना, नकारना, नजर अंदाज करना। जैसे – चुनाव जीतने के बाद नेता जनता को उपेक्षित ही करते हैं। अंहकारी इंसान की हर जगह से उपेक्षा होने लगती है।