हिन्दी के प्रचार प्रसार में पत्र-पत्रिकाओं ने विशेष योगदान दिया है। यही वह समय था जब हिंदी पत्रकारिता फल-फूल रही थी। पत्रिकाओं के माध्यम से लेखकों ने समाज में नई चेतना का संचार किया। ब्रिटिश राज के दौरान सामान्य जन-मानस उनके अत्याचारों से त्रस्त तथा रूढ़िवादी परंपराओ और कुरीतियों से घिरे हुए थे। ऐसे में उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक करना और समाज को विकास का संदेश देने में पत्रिकाओं ने बड़ी भूमिका निभाई है।
हिन्दी की प्रथम पत्रिका होने का गौरव ‘उदन्त मार्तण्ड’ को मिला है, सन १८२६ में कलकत्ता से प्रकाशित ‘उदन्त मार्तण्ड’ के प्रथम सम्पादक जुगलकिशोर शुक्ल थे।
१९वीं शताब्दी में संपादित/प्रकाशित प्रमुख पत्र/पत्रिकाएँ निम्नलिखित हैं:
उदन्त मार्तण्ड, बंगदूत, बनारस अखबार, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, हरिश्चन्द्र मैगजीन, कवि वचन सुधा, बाला बोधिनी, हरिश्चन्द्र चन्द्रिका, बंगाल गज़ट, हिन्दी प्रदीप, सरस्वती, ब्राह्मण, आनन्द कादम्बिनी, नागरी नीरद, वैष्णव पत्रिका, सदादर्श, भारतमित्र, हिंदी बंगवासी, भारतेंदु, प्रजा हितैषी, सुधाकर, बुद्धि प्रकाश, मार्तंड, द्वंद्व
१९वीं सदी की हिन्दी पत्रिकाओं के बारे में जानकारी बहुत खूब।