हमारा राष्ट्रवाद
विश्व के विभिन्न देशों के लिए ‘कोरोना वायरस’ चुनौती का प्रमुख कारक बन चुका हैं। विश्व भर में प्रतिदिन लोगों की मृत्यु के आकडों में वृद्धि हो रही हैं। अमेरिका, इटली, चीन आदि विश्वभर के बड़ें-बड़े देशों के चिंताजनक हालात हैं। भारत में यह धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा हैं। विश्वभर के वैज्ञानिक इसका तोड़ नहीं निकाल पा रहें हैं, इन परिस्थितियों में बचाव हीं उपचार हैं।
जब किसी बीमारी का बचाव हीं उपचार हैं तब हमारे देश में ‘कोरोना वायरस’ का संकट अधिक भयंकर हो सकता हैं क्योंकि हम विश्व जनंसख्या में प्रमुख स्थान पर हैं। हमारी स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं क्योंकि साधन हमारे पास सीमित हैं। अतः हमें अधिक सावधानी बरतनें की आवश्यकता हैं।
‘कोरोना वायरस’ के मद्देनजर चहुंओर से भीषण दृश्य देख देश के प्रधानमंत्री ने सम्पूर्ण देश में ‘बंद’ किया। जब ‘बंद’ का निर्णय देशहित में किया गया हैं, जनहितार्थ किया गया हैं तब राजनीति करने की आवश्यकता नहीं हैं। जनसहयोग, जनसुरक्षा, जनसुविधा आदि पर अधिक बल देने की आवश्यकता हैं। राजनैतिक दलों को अपने राजनैतिक भविष्य की चिंता अधिक सताती हैं, अतः देशहित को गौण कर राजनैतिक लाभ लेने का अवसर नहीं चूकतें। क्या यहीं राजनैतिक दलों के भीतर राष्ट्रवाद शेष हैं?
वर्तमान परिस्थितियों में हमें देश के चिकित्सकों, पुलिसकर्मियों, मीडिया कर्मियों, सामाजिक संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, जनसेवकों आदि का आभार प्रकट करना चाहिए जो अपनी जान की परवाह किए बगैर हमारी बेहतर सेवाओं के लिए प्रतिदिन जुझ रहे हैं। जब हम इन कर्मवीरों को देखते हैं तब हमारा राष्ट्रवाद निखरता हैं। हम अपने राष्ट्र पर गौरवान्वित होतें हैं।
आज हमें देखने की आवश्यकता हैं की राष्ट्रहित के मार्ग में चुनौती क्या हैं? एक वर्ग जो अपने स्वार्थ की पूर्ति हेतु सम्पूर्ण देश में संकट उत्पन्न करता हैं व दूसरा वर्ग देश के कर्मवीरों पर थूकता हैं, पत्थर मारता हैं आदि। साइबर ठग नित नयें-नयें अपराध की रचना कर रहें। घरों में महिला हिंसा में बढ़ोतरी हो रही हैं आदि। वर्तमान परिदृश्य में उपरोक्त निदंनीय कृत्य अक्षम्य हैं। इस प्रकार की घटनाएं हमारे भीतर के राष्ट्रवाद को चोट पहुंचाती हैं।
एक ओर देश ‘कोरोना’ संकट से जुझ रहा हैं दूसरी ओर सीमा पर हमारे जवान दुश्मनों का सामना कर शहीद हो रहें हैं। घुसपैठिए देश में आकर तनाव उत्पन्न कर रहें हैं। देश के गद्दार भी मौका नहीं चूक रहें हैं। इस प्रकार आपात स्थिति में सम्पूर्ण राष्ट्र ‘कोरोना’ नामक शत्रु से, आतंक से, घुसपैठियों से, गद्दारों से एकजुट होकर सच्चे सैनिक की भांति युद्ध करें। उसे परास्त करें। परस्पर उलझें नहीं। प्रशासन का सहयोग करें। इन परिस्थितियों में सच्चें अर्थो में यहीं हमारा राष्ट्रवाद होना चाहिए। आइए हम सब मिलकर ‘कोरोनामुक्त भारत’ बनाएं। ‘आतंकमुक्त भारत’ बनाएं ।
लेखक- मयंक शर्मा, (पाली, मारवाड़)