माँ गंगा जिन्हें सभी नदियों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। जो त्रिपथ गामिनी के नाम से भी विभूषित है। वास्तव में माता गंगा पराशक्ति माता जगदम्बा की अनंतानंत महाशक्तियों में से एक है। सृष्टि सृजन करते समय माता दुर्गा ने सात महाशक्तियों को अर्थात सात श्रेष्ठ नदियों को भगवान ब्रह्मा जी को प्रदान की थी। ब्रह्मा जी ने इन सभी को कमंडल में स्थान दिया था। दैत्यों से देवलोक को सुरक्षा प्रदान करने के लिए देवराज इंद्र ने ब्रह्मदेव से प्रार्थना की जिससे माता गंगा स्वर्गलोक में भी अवतरित हुई। सतयुग में राजा बलि से भगवान नारायण अवतारी उपेंद्र (वामन) को तीन पग धरती दान देने के फलस्वरूप विराट रूप धारण किया था। तो वामन भगवान के उस विराट रूप धारत करते समय जब एक पग से समस्त भूमण्डल को माप लिया और दूसरे पग में भू सहित सात भुवनों को अपने विशाल पांव से स्पर्श करते समय जब ब्रह्म लोक में भगवान वामन के पांव का स्पर्श हुआ तो भगवान ब्रह्मा जी कमंडल में माँ गंगा का आवाहन करके नारायण के चरण पखारे थे।
बहुत समय बाद रघुवंश के राजा सागर के वंश में भगीरथ द्वारा गंगा माता को स्वर्ग से धरती पर लाने का श्रेय जाता है। अनंत काल से अपार ऊर्जा लिए हुए माँ गंगा सभी भक्तों के रोग दोष कष्ट पापों को हरती आई है।
भारतीय संस्कृति का कोई भी मांगलिक कार्यक्रम बिना गंगा जल के सम्पन्न नहीं होता। षोडश संस्कारों सहित अन्य प्रकार के सभी धार्मिक आयोजनों में गंगा जल का प्रयोग होता आया है। इस वर्ष 2020 में 30 अप्रैल को गंगा जन्मोत्सव मनाया जाता है।
स्खलन्ती स्वर्लोकादवनितलशोकापहृतये
जटाजूटग्रन्थौ यदसि विनिबद्धा पुरभिदा।
अये निर्लोभानामपि मनसि लोभं जनयताम्
गुणानामेवायं तव जननि दोषः परिणतः॥
स्वर्ग से गंगा माता के वेग को कम करने के लिए भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धारण किया था। तत्पश्चात बहुत काल के बाद अंधकासुर और भक्त प्रह्लाद द्वारा पाताललोक में माता गंगा को ले जाना इन तीन धाराओं को प्रदर्शित करता है। तभी माता गंगा को त्रिपथ गामिनी कहते हैं।
ब्रह्म वैवर्त पुराण में वर्णन आया है कि माता गंगा सरस्वती एवं लक्ष्मी के परस्पर विवाद के कारण एक दूसरों को शाप दे दिया था जिसके कारण इन तीनों देवियों को पृथ्वी पर अवतरित होना पड़ा।अनंत काल से अपार ऊर्जा लिए हुए माँ गंगा सभी भक्तों के रोग दोष कष्ट पापों को हरती आई है।
~ लेखक: राज शर्मा