एक साहित्यकार के जीवन में लिखना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।एक साहित्यकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि समाज में हो रहे अपराध, देश की व्यवस्था,आस पास का वातावरण और अन्य महत्पूर्ण बातों को अपने शब्दों में लिखें और समाज को सच से अवगत करवाएं।
एक साहित्यकार के जीवन में साहित्य की जितनी महत्वपूर्ण भूमिका है उससे अधिक महत्वपूर्ण है ये समाज, साहित्य और समाज आपस में जुड़े हुए हैं,एक साहित्यकार अपनी लेखनी से उन शब्दो को समाज के सामने दर्शाते हैं जो सत्य है,एक साहित्यकार अपनी भावनाओं को स्पष्ट रूप से समाज की हर एक गति विधियों से सामना करवाती है।
एक साहित्यकार के लिए लिखना बहुत जरूरी है,यही वो जरिया है जो एक साहित्यकार को इस समाज से पूरी तरह जोड़कर रखता है। बहुत जरूरी है एक साहित्यकार के लिए उन शब्दों को लिखना उन भावनाओं को प्रकट करना जो लोगों के मन को अति प्रिय हो जाती हैं साथ ही साथ उस सत्य को भी लिखना जो कड़वा तो है जो लोगों के मन को थोड़ा खटगेगा परन्तु सत्य होगा। एक साहित्यकार के लिए हर उस बात को लिखना जरूरी है जो किसी स्त्री ,बच्चे बूढ़े,समाज के हर नागरिक के हित से जुड़ी बात हो।
लिखना जरूरी है क्योंकि यही एक जरिया है जो सीधे लोगो को अति प्रिय है तथा सीधे उनके मन पे वार करता है क्या सही है और क्या गलत इस बात का प्रदर्शन करने के लिए साहित्य से ज्यादा महत्वपूर्ण और कुछ हो ही नहीं सकता।
लिखना जरूरी है जिससे हम उस बात को लोगों तक पहुंचा सकें जो सत्य है जो समाज के हित में है, जिससे कई व्यक्ति इन बातों से वांछित हैं। एक साहित्यकार को लिखकर प्रसिद्धि पाना हो सकता है,परन्तु उससे पहले एक महत्पूर्ण कर्तव्य भी है सच्चाई की ओर समाज के प्रति,हो रहे अन्याय को कैसे रोका जाए, लोगों की मानसिकता जो अभी भी बहन बेटियों के हित में नहीं है इन सबके सुधार के प्रति पूरा कतव्य है हर उस साहित्यकार का जो लिखना पसंद करता है, अर्थात अगर इस समाज के प्रति अपना कर्तव्य नहीं निभाया तो लिखना व्यर्थ है,बहन बेटियों के साथ हो रहे अन्याय के ख़िलाफ़ लोगों को जरुक नहीं कराया तो लिखना व्यर्थ है।
प्रसिद्धि पाना तो हर कीसिकी चाहत होती है,परन्तु झूठ या अन्य बातों की जगह क्यों ना सच्चाई लिखी जाए जो शायद शुरुवात में आपके समीक्ष कठिन परिस्थितियों का सामना करवा दे परन्तु वही बात बाद में लोगो का दिल जीत ले जिससे सबसे बड़ी जीत उस साहित्यकार की होगी जिसने हमेशा सत्य का साथ दिया हो और हमेशा सत्य ही लिखा हो।
लिखना जरूरी है एक साहित्यकार के लिए क्योंकि वो एक प्रेरणा से कम नहीं ,लिखना जरूरी है एक साहित्यकार के लिए क्योंकि ये वो ईश्वर का दिया गया वरदान है जिससे हम सत्य को लिखकर अपनी भावनाओं को प्रकट कर सकते है।
~ निहारिका चौधरी
लिखना ईश्वर का दिया हुआ एक वरदान है, क्या बात है, बहुत बढ़िया।