कोरोना के कहर से
कोरोना के कहर से कांप उठा संसार अब भी संभल जाओ दुनिया के लोगो, वर्ना चारो और मच जाएगा हाहाकार। देशभक्ति की बाते करते-करते जो कभी नही थकते, वही किसी के समझाने पर अपने घर क्यों नही रुकते। प्रशासन को…
कोरोना के कहर से कांप उठा संसार अब भी संभल जाओ दुनिया के लोगो, वर्ना चारो और मच जाएगा हाहाकार। देशभक्ति की बाते करते-करते जो कभी नही थकते, वही किसी के समझाने पर अपने घर क्यों नही रुकते। प्रशासन को…
अस्वमेध को राहु ने घेरा सबके मन में संशय का डेरा विचलित है क्यों आज पथिक मन यह दृश्य भयावह घोर अंधेरा असमंजस की कैसी दशा यह कैसा है यह सुप्तावस्था व्याकुलता सबकी व्याकुल होकर कर रही पार अब परम…
ये साजिश है या कि कुदरत का कहर है सांसे थम रहीं सुना कि हवाओं में ज़हर है इस सदी के इंसां ने कुदरत को यूँ छेडा आलम ये कि आदमी बंद घर के अंदर है उसकी भी सोचिए जिसकी…
सदियों से मनाते आएहो, सभी अप्रैल फूलइस बार नहीं मानना भाई, कारण कोरोना शूल इस बार तिलांजलिदे दो, मूर्ख दिवस कीदुआ में बैठो, करो प्रार्थना, यही है बस की हाल को जानो, चाल को जानो, नही बुलाओ बबूल अपनों से…
सिसक रहे हैं सपनें सबकेआज के हालात सेबेबस जीवन हुआ आज हैकोरोना की मार से..।। आज और कल की चिंता मेंव्यथित हुआ मानव जीवनहुए पलायन को बेबस सबबेकारी की मार से..।। पेट और रोटी का रिश्ताअब कैसे निभ पाएगाभरण और…
मानव कंपित, दुखी बहुत आज हुआ वो खस्ताहाल, मंदिर मस्जिद बंद हो गए काम आ रहे हैं अस्पताल। हां मैं भी एक उपासक हूं मानता हूं प्रभु का कमाल, डॉक्टर उसकी श्रेष्ठ रचना, काम कर रहे हैं बेमिसाल। मंदिर का…
सहमी सी सुबह है, सूनी-सूनी शाम है गतिमान समय में, कैसा ये विराम है। दरवाजे बंद,नहीं खुलती हैं खिड़कियां सन्नाटा बोलता है, चुप-चुप हैं तितलियाँ। दौर कैसा आया, डरे-डरे शहर , ग्राम हैं सहमी सी सुबह है, सूनी -सूनी शाम…
वबा ने रौंद डाली है खिलखिलाती खुशियों को और बेढ़ब सी पसर गई है मुस्कुराती दुनिया ख़लक को बनाने वाले को क्या है मंज़ूर? किसी को आसमां भर दिया है किसी को फलक भर भी नहीं कोई हंसी के यथार्थ…
घर की दहलीज अपनीहम सबको प्यारी हैफिर क्यों न रहे घरक्यों उल्लंघन करे हमलक्ष्मण रेखा कारोग को न्यौता देनेक्यों निकले सड़को परलोक डाउन का मतलबअपने घर पर होगीखुद की सुरक्षाआओ अभी करें संकल्पऔर ले संयम से कामकोरोना से लड़ने केदो…
हौसला रख न ईश्वर को भूल, अच्छे दिन आएगे, करो कबूल. दु:ख भी कटता है और सुख भी कटता है. दिन भी कटता है और रात भी कटती है. पर ईश्वर को तू कभी न भूल, भक्ति में हो जा…
धरती पर आये बन के मसीहा ईश के दूजे रूप में तुम्हे ही चाहा नमन करता "माही" हर उस माँ को अपने बच्चों को डॉक्टर बनाया। डॉक्टर का पेशा भी होता अज़ब मरीज़ को पल में कर देते गज़ब रखते…
पलायन ही तो मेरे जीवन की सच्चाई है कभी प्रकृति की मार से तो कभी जगत के स्वामी की अत्याचार से पलायन तो मुझे ही करना पड़ता है। कभी अपने लिए, तो कभी अपनों के लिए पलायन ही तो मेरी…
हमने गरीब बन कर जन्म नहीं लिया था हां, अमीरी हमें विरासत में नहीं मिली थी हमारी क्षमताओं को परखने से पूर्व ही हमें गरीब घोषित कर दिया गया किंतु फिर भी हमने इसे स्वीकार नहीं किया कुदाल उठाया, धरती…
ये बिन मौसम की बारिश क्या कहने आई हैं। रो रहा हैं खुदा हमें ये बताने आई हैं।। खुदा ने पृथ्वी पर सबसे ताकतवर जीव इंसान बनाया। जिसने अपनी ताकत के दम पर हर जीव को सताया।। अपने शौक के…
घनघोर अज्ञानता के अंधेरे में डूबा है संसार छल कपट भरा सबके मन में भूल गए प्यार क्यों ना आए बताओ जलजला प्रकृति में जब जी रहा हर इंसान अपने ही स्वार्थी में अपने मन को खुश करने के लिए…
हमारे मन में अनेक भावनाओं ओत-प्रोत होती रहती हैं, सभी को हम जाहिर नहीं कर सकते हैं। प्यार तो एक भावना है- कलमकार दीपमाला पांडेय ने कुछ जज्बात इस कविता में लिखकर जाहिर किए हैं। कौन करता है तुझको भुला…
सड़कों पर कितने मजदूर परेशानी में घूम रहे। अपने अपने घर तक पैदल पैदल ही कोसों चल रहे।। ऐसे लोगों के भोजन पानी की मदद कर दीजिए। मास्क व सेनेटाइजर बांट कर राशन पानी दे दीजिए।। जो बाहर फंसे है…
भूख भुला देती है अक्सर पैरों में पड़े उन क्षालों को नहीं रुक सके कदम किसी के लॉकडाउन हड़तालों से। गलती इनसे हुई नहीं है पूछो इक बार बेहालों से हिंदुस्तान ये अपना चलता है सूखी रोटी के निवालों से।…
हम लोग आज भी ना, सावधानी बरत रहें कोरोना से, लड़ना भी है जान सबकी, जोखिम में है फिर भी इंसान बेखबर सा है। क्या आप सबको जान प्यारी नहीं? अपनी नहीं, दूसरों की सही विश्व जहाँ त्राही मम, त्राही…
मजबूर हुए मजदूरों की इस मन की पीर लिखूँ कैसे लाचारी बनी हुई सबकी लौटूँ घर-बार अभी कैसे। इस कोरोना का कहर हुआ और हाहाकार मचा ऐसे चल लौट चलें अपने घर को अब गाँव से दूर रहूँ कैसे। कैसी…