Category: COVID19

  • मधुशाला और लाॅकडाऊन

    मधुशाला और लाॅकडाऊन

    बंद हुए‌ सब मंदिर मस्जिदविद्यालय पे लटका टालाबंद है देखो काशी काबालेकिन खुश हैं मतवालालाॅकडाउन में खुला करेगीदेखो अपनी मधुशाला विष का अणु भी बाट जोहतागले में जो टपके हालाकैसा इस का मद मैं देखूंजो मदमाता पीने वालालाॅकडाउन में खुला करेगीदेखो अपनी मधुशाला वहां न‌ कोई दूरी होगीना मुंह पे कपड़े का तालाहाला से सैनिटाइज…

  • एक यात्रा: लॉकडाउन में करना है कुछ काम

    एक यात्रा: लॉकडाउन में करना है कुछ काम

    जब दैनंदिन दिनचर्या अचानक से ठप हो गई। प्राण सारा सिसक गया। वातावरण सारे विस्मय होने लगे। सूरज फीका पड़ गया। चांद भी अपने आने के इंतजार में सुस्ताने लगी।मौसल बेताल हो गया। पशु पक्षियों सहित सभी जीव चिंतित हो उठे। आसमान का रंग गहराता चला गया। सागर सभी तरंगों से चिपट गए। झरने सारी…

  • सब मिलकर ‘कोरोनामुक्त भारत’ बनाएं

    सब मिलकर ‘कोरोनामुक्त भारत’ बनाएं

    हमारा राष्ट्रवाद विश्व के विभिन्न देशों के लिए ‘कोरोना वायरस’ चुनौती का प्रमुख कारक बन चुका हैं। विश्व भर में प्रतिदिन लोगों की मृत्यु के आकडों में वृद्धि हो रही हैं। अमेरिका, इटली, चीन आदि विश्वभर के बड़ें-बड़े देशों के चिंताजनक हालात हैं। भारत में यह धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा हैं। विश्वभर के वैज्ञानिक…

  • मिलकर देश बचाते रहना

    मिलकर देश बचाते रहना

    जख़्मों को सहलाते रहनाअपनापन दिखलाते रहनाआज जरूरत है तुम सबकीमिलकर साथ निभाते रहना..।। आज वक़्त नाजुक है लेकिनधैर्य और साहस मत छोड़ोहर भूखे को मिले निवालामानवता दिखलाते रहना..।। आज परीक्षा है तुम सबकीहोना है उत्तीर्ण तुम्हेंमानवता की बने मिसालेंतुम बस धर्म निभाते रहना..।। आज देश ये जूझ रहा हैबीमारी की आंधी सेआज एक हो जाओ…

  • कोरोना: एक अदृश्य शत्रु

    कोरोना: एक अदृश्य शत्रु

    संघर्षरत सम्पूर्ण जग, तनिक ठहर जाइए योद्धाओं की पुकार है ना घबराइए अदृश्य है शत्रु यह संभल जाइए अपने लिए ही सही मन की चेतना जगाइए भविष्य के लिए पहले वर्तमान चाहिए अदृश्य है शत्रु यह संभल जाइए देव से दुआ करो यह राष्ट्र अब बचाइए आने वाला कल सुखद हो रास्ता दिखाइए अदृश्य है…

  • कोरोना काल में कुछ लोग

    कोरोना काल में कुछ लोग

    वो जो कहते थे वक़्त नहीं मिलता आजकल अपनों के संग वक़्त बिता रहे है। के बहुत खुश है वो नन्हा ये देख कर उसके हिस्से का सारा प्यार उसे मिल रहा है। क्यों की मां आज कल दफ्तर नहीं जा रही है। फेस बुक पर लोग लाइव ज़्यादा आ रहे है। कोई चेता रहा…

  • मन की डोर को बाँधे रखना

    मन की डोर को बाँधे रखना

    लाख जी घबराये मन की डोर बाँधे रखना, नैया मझधार डगमगाये धीरज बाँधे रखना, आँधी आये तूफाँ आये अडिग अचल रहना अँधकार में भी प्रकाश दीप जलाये रखना, जीवन में राह न सूझे गुरुवर को याद रखना सुख में कभी भी अपने मित्रों को न भूलना, ईश्वर की सदैव प्रार्थना स्मरण करते रहना, समस्त प्रकृति…

  • पुलिस जवान

    पुलिस जवान

    यह कविता समाज के उस वर्ग को समर्पित है जो समाज के लिए जी जान से कार्य करते हैं और अपनी जान जोखिम मे डाल कर समाज मे कानून और व्यवस्था को लागू करते हैं । समाज की पुख्ता पहचान पुलिस का जवान पुलिस का जवान कानून और व्यवस्था का रखवाला समाज बिरोधी तत्वों के…

  • मध्यम वर्ग भी रहता है

    मध्यम वर्ग भी रहता है

    सारा ध्यान गरीबों पर और उच्च वर्ग को फर्क नहीं किसी को याद नहीं शायद मध्यम वर्ग भी रहता है। देश में अधिक गरीबी है तनख्वाह भी आती गिनचुनकर कुछ कह नहीं सकता किसी से ही मध्यम वर्ग चुप रहता है। सुनने वाला इनका न कोई चुप रह के तमाशा सुनता है नहीं अधिक कमाई…

  • उम्मीद

    उम्मीद

    पहले जैसे होंगे हालात, उम्मीद लगाये बैठे हैं, गले मिला करेंगे सबसे, ये स्वप्न सजाये बैठे हैं। मिट जायेगी ये मजबूरी, बीच रहेगी अब ना दूरी, चाह रहेगी नहीं अधूरी, मनोकामना होगी पूरी, घर में इन सब बातों का, दिया जलाये बैठे हैं, पहले जैसे होंगे हालात, उम्मीद लगाये बैठे हैं। छट जायेगा ये जो…

  • कर्मवीरों के आगे नतमस्तक हिन्दुस्तान है

    कर्मवीरों के आगे नतमस्तक हिन्दुस्तान है

    कभी सीमा पर, कभी अस्पतालो में, कभी बीच सडको पर‌, वो यूं नजर आते हैं। छोड मां आंचल वो नित रोज सेवा पर जाते हैं। जिनके जज्बातो के आगे नतमस्तक हिन्दुस्तान है। वो देशभक्त, वो कर्मवीर, वो ईश्वर भगवान है। कभी मां की लाज बचाने को, कभी परहित जान बचाने को, कभी शांति का मार्ग…

  • क्या लिखा जाए

    क्या लिखा जाए

    सवाल है आखिर क्या लिखा जाए? मुल्क के हालात लिखूं या ऊंची नीची जात लिखूं मौसम की बदमिजाज लिखूं या हवाओं के सर्द आगाज लिखूं चारो तरफ़ फैली हाहाकार लिखूं या ईश्वर पर कुछ विश्वास लिखूं काली विषेली धुएं की प्रहार लिखूं या भोजन के लिए तड़पते इंसान लिखूं बारिश में भीग कर नहाना लिखूं…

  • कोरोना योद्धा

    कोरोना योद्धा

    करें हम वन्दना तेरी हे कोरोना योद्धा। दया धर्म परोपकार समदृष्टि से काम करते कोरोना जग से मिट जाये प्रतिपल कर्म ऐसा करते, पूरी दुनिया देख रही तेरे हृदय की विशालता माँ-बाप, बीबी-बच्चों से तूँ हो गया जुदा। हे कोरोना… पनपता विद्वेष जो जन-मन विनीत भाव से भरते राजा-रंक पर रख समभाव देश का मान…

  • आत्ममंथन

    आत्ममंथन

    ये कैसी आहट है? क्या सिर्फ़ हवा का झोंका हैं जिसने कर दिया अभिभूत सभी को आज एहसास हो गया कि गुदरत के आगे किसी की नहीं चलती हैं। कभी इस दुनियां को अलग-थलग सपनों का महल बनाते देखी थी! वह सिर्फ़ ख़्वाब था या हकीकत थी। हम पहले भी जीरो थे अभी भी है…

  • भौतिकता की चाह में

    भौतिकता की चाह में

    भौतिकता की चाह में हम सब बसुधा को भी भूल गये , चन्द्र खोज के बल पर मन में दंभ ग्रसित हो फूल गये । सागर पाटे, जंगल काटे और फिर मांसाहार किया जो देते थे जीवन हमको , उन संग दुर्व्यवहार किया। तब हो कुपित प्रकृति ने ये कोरोना ईजाद किया, मानव को शिक्षा…

  • कोरोना और लाॅकडाऊन

    कोरोना और लाॅकडाऊन

    ख़ाली, सुनसान, विरान सा हो गया है आजकल मेरा टाउन लगता! है वक्त की मार ने मानव को करा दिया हैै लाॅकडाउन। परिवार का मोह छीन ले गया है आज का स्मार्टफोन कोरोना वायरस से कैसे बचें हर फोन में है बचाव की रिंगटोन। करना नहीं कभी अपने हौसले डाऊन सूर्य उदित ज़रूर होगा करके…

  • हे राम! प्रभु तुम आ जाओ ना

    हे राम! प्रभु तुम आ जाओ ना

    हे राम प्रभु तुम आ जाओ नाबड़ा दर्दनाक है मंज़रइन्सानियत घूम रही ले खंजरहे राम प्रभु तुम आ जाओ ना चहुंओर ओर छाई है विरक्ति सब कहते हैं मेरा धर्म मेरा जहांनपर कोई ना कहता मेरा आर्यावर्त महाननिशब्द सी है वेदना ना है कोई उक्ति हे राम प्रभु तुम आ जाओ नाराम राज्य तुम ला…

  • खुद को लॉकडाउन रखना है

    खुद को लॉकडाउन रखना है

    कुदरत ने आज आईना दिखाया है। संभाल के रख इंसान अपने कदम, पर्वत के जैसे ठहरी है जिंदगी, चट्टानों सी स्थिर है जिंदगी। यह अजीब सा सन्नाटा चहू ओर छाया है। कुदरत ने आज आईना दिखाया है| हमारी संस्कृति को आज फिर से हमने अपनाया है। सारी आदतों को हम ने दोहराया है। बाहर से…

  • पिंजरे में बंद मानव

    पिंजरे में बंद मानव

    क्यों अच्छा लग रहा है न? अब पंछियों की तरह कैद होकर तुम ही तो कहते थे न, सब कुछ तो दे रहे हैं हम दाना-पानी इतना अच्छा पिंजरा तो अब क्यों ? खुद ही तड़प रहे हो उसी पिंजरे में बैठकर। क्यों बंधे हुए हाथ-पांव अच्छे नहीं लग रहें तुम्हें? मगर तुमने भी तो…

  • सफ़ेद कोट व ख़ाकी वर्दी

    सफ़ेद कोट व ख़ाकी वर्दी

    मानवता की सेवा में इन्होंने, अपने दिन रात लगाए हैं! अपने घर की फ़िक्र छोड़कर, यहां लाखों घर बचाएं हैं! सफ़ेद कोट व ख़ाकी वर्दी पहन, फ़र्ज़ अपने निभाए हैं! ज़रूरी चीजें, मास्क के संग सैनिटाइजर भी बंटवाए हैं! मौसमी आफ़त के झोंकों ने, न इनके हौंसले डिगाए हैं! हमें अपनों संग रखा, पर ख़ुद…