Category: कविताएं
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कोरोना सिखा गया
ये मौसम कोरोना का हमें बहुत सीखा गया। पूरे परिवार को एक साथ बैठना सीखा गया रामायण और महाभारत के संस्कार सीखा गया। स्वच्छ्ता के वो प्राचीन मापदंड याद दिला गया। बर्गर पिज्जा और चाउमीन से दूरी सीखा गया। प्रदुषण से रहित एक दिनचर्या दिला गया। लूडो सांपसीढ़ी ताश कैरम जैसे खेलों का दौर आ…
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चल दिये हैं पैदल
बड़ी खुद्दारी के साथ वो अपनी नन्ही सी बच्ची को कंधे पे बिठाये अपने गॉव के तरफ निकल पडा है। शहर से गॉव कि दूरी लगभग हजारो किलोमिटर होगी फिर भी वह चले जा रहा है । उसके पॉव के छाले अब घाव मे बदल गये है, फिर भी हिम्मत नही हारा चलता चला जा…
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रक्तरंजित रोटियाँ
पटरियों पे रक्तरंजित रोटियाँ, रोटियों संग पड़ी थीं बोटियाँ। थक गये क़दम मुसाफ़िरों के, झपकियाँ पटरियों पे सुला गईं। मुफ़लिसी फिर तितर-बितर हुई, घर पहुँचने की आरज़ू कुचल गई। चीत्कार चौखटें कई करने लगीं। दर्द के दामन में वीरानियां सोने लगीं। वो लौट कर फिर ना आयेंगे कभी, ये जानकर दीवारें दर्द से दरकने लगीं।…
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मेरी दूसरी मां
बालपन में उंगली पकड़े, जबमम्मी संग कभी कदारअस्पताल जाता था तोमुझे नहीं पता होता कि हम अस्पताल आए हैऔर आए है तो क्यों आए है?ये अस्पताल होता क्या है? अस्पताल में अपनी छोटी आंखों से मम्मी कोमम्मी की ही तरह किसी दूसरीमम्मी से बात करते हुए देखता था औरसारी बातें सुनता था सफेद कमीज़ पहनेबालों…
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वेदना
कलमकार संजय वर्मा “दॄष्टि” की रचना- वेदना; हम इंसानों को अपनी तकलीफ बहुत बड़ी लगती है जबकि हमारे द्वारा अन्य जीव-जंतुओं को अनजाने में ही अनेक कष्ट पहुंचाया जाता है। उनकी भी तकलीफ को कम करना हमारा ही कर्तव्य है। ना घर, ना घौंसला मुंडेरो और कुछ बचे पेड़ों पर बैठकर गौरय्या ये सोच रही…
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चाह में शाम-ओ-सहर
इरफान आब्दी मांटवी गाजीपुरी की एक गजल पढ़ते हैं और उनकी कलम के भावों पर अपनी प्रतिक्रिया दें। उजलतों में उस ने हम से कह दिया बे-फ़िक्र हूँ पर हमारी चाह में शाम-ओ-सहर रोते रहे अश्क मेरी ख़ैरियत लेने की ख़ातिर दम-ब-दम अपना साहिल छोड़ कर रुख़्सार पर बहते रहे क्या अभी भी इश्क़ के…
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समझ नहीं पा रहा मैं
हम सब भी कई बार ऐसी परिस्थितियों से गुजरते हैं जब कुछ भी समझ नहीं आता है। उस वक्त तो जो भी उचित सलाह देता है वह एक गुरु से कम नहीं। कलमकार मिहिर सिन्हा ऐसी स्थिति को इस कविता में दर्शाने का प्रयास कर रहे हैं। अंधेरी दुनिया में हर वस्तु जुगनू सा है…
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माँ की ममता
माँ जगत की जीवनदायिनी है। खुशियों की त्रिवेणी प्रवाहिनी है। माँ जीवन की बुनियाद है। हर वक्त पुत्र के हित करती फरियाद है। माँ पिता के क्रोध पर शीतल-सा पानी है। दुनिया में कहीं भी माँ का ना मिला सानी है। माँ धर्म-कर्म व प्रेम का साधनापूर्ण योग है। संतान की खुशियों के सारे उसके…
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मेरी प्यारी माँ
आप धूप मेरी मैं छाया तेरी आप दीपक मेरी मैं रोशनी तेरी आप जड़ मेरी मैं फूल तेरी आप बादल मेरी मैं बारिश तेरी आप गगन मेरी मैं पंक्षी तेरी आप आत्मा मेरी मै शरीर तेरी आप दिल मेरी मैं धड़कन तेरी आप जीवन मेरी मैं जान तेरी आप त्यौहार मेरी मैं खुशियां तेरी आप…
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सुला दो न माँ
बहुत भूख लगती है कभी तोप्यार से अब भी तुम खिला दो न माँ ख़ुद बच्चों की माँ हूँ फिर भीतुम्हारी ममता की छाँव तलाशती हूँउस एहसास को तुम फिर से जगा दो न माँ बीमार होने पर पहले की तरहमेरे सिरहाने तुम बैठकरमाँ का प्यार मुझपर भी लूटा दो न माँ मैं अब भी…
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माँ संसार से रुबरु कराए
हमें इस संसार से रुबरु कराएवो माँ ही तो है।दुनिया भर की प्यार लुटाये,वो माँ ही तो है।नन्हीं नन्ही जीवन को जो,जग में जीना सिखलाये,वो माँ ही तो है।ममता की गोद में जो,आँचल का आश्रय दिलाये,वो माँ ही तो है।निराहार स्वंय कैसे भी जीती,पर सीने से लगा जो दूध पिलाये,वो माँ ही तो है।अपनी खुशियों…
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प्रकृति और हम
प्रकृति की रक्षा करना हर इंसान का दायित्व है। इसकी क्षति संपूर्ण जीव-जंतुओं के लिए घातक सिद्ध होती है। कलमकार अतुल चौहान की यह कविता पढें जो हमें पर्यावरण के प्रति सतर्क करती है। जाने क्यों यह थम सा गया है, किस विपदा ने घेरा है, युगों-युगों से बढ़ता आया, जाने क्यों यह बंद हो…
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चिड़ीमार
कलमकार लक्ष्मीकांत मुकुल इस कविता में गांव का दृश्य रेखांकित करते हुए कुछ तथ्य बताएँ हैं, आप भी पढें उनकी यह कविता- चिड़ीमार। जब काका हल-बैल लेकर चले जायेंगे खेत की ओर वे आयेंगे और टिड्डियों की तरह पसर जायेंगे रात के गहराते धुप्प अंधेरे में आयेगी पिछवारे से कोई चीख वे आयेंगे और पूरा…
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हादसे मेरे शहर में
इस शहर के बारे में कलमकार मुकेश बिस्सा अपने विचार इस कविता में प्रकट कर रहे हैं। अकेला हूँ ज़िन्दगी के सफर में कितने सपने हैं मेरी नजर में। आते है सलामती पाने को कुछ हादसे हैं उनकी ख़बर में। सोया है तन्हा सागर अभी देखो हैं राज़ इसकी लहर में। किसी से दुनिया ने…
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माँ तेरा चेहरा
माँ तेरा चेहरा तो मुझको याद नहीं हैबचपन में था खोया तुझको। लेकिन तेरा बेटा हूँ मैंकेवल यह सुधिएक अनोखा सम्बलदे देती है मुझको।। आँख मूँदकर जब भीमन में देखा तुझकोतुझको वहीं कहीं पर ही मैंने पाया है। तेरा बेटा हूँ तुझ बिन जीना है मुझकोसोचा तो सूरज-साभीतर उग आया है।। एक प्रेरणा दिये सरीखीमुझमें…
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मां के आँचल तले सुख
मां! मुझे जीवन भर, तेरे आँचल का आश्रय चाहिए आँचल तले स्वर्गीय सुख का, मां! वही अनुभव चाहिए अनुपम सुख और शांति, मां! केवल तुझसे है सब कुछ तेरे आँचल तले, मां! प्रेममय होना चाहिए। कठोर पीडा़ में भी, मां! वही छांव चाहिए घोर अशांति में, मां! शांति का भरमार चाहिए तेरे पैरों तले मां!…
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तू ही मेरी पूजा
तू ही मेरी पूजा, तू ही मेरा मन्दिर है ममता की खान, तू प्यार का समन्दर हैविपत्तियों मे तू शिखर के समान है‘माँ’ तेरी चर्चा जग मे महान हैमुझको ‘माँ’ ने संस्कार दिए, सिखलाया कोई ऐब नहींमुझको मेरी ‘माँ’ से बढ़कर दुनिया मे कोई देव नहीं संघर्ष देख निज माता का, किस्मत पर इतराता हूँअतीत…
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हर गुण सिखायेगी माँ
माँ है वोतुम्हे हर गुण सिखायेगीआगे चल कर तुम्हे तम्हारी माँ ही याद आयेगीसीख लोगी गर माँ से तुम दुनीया तुम्हे कभी ना डरा पायेगीनही सूनोगी ताने तुमससुराल मे भी मुस्कुराओगी माँ है वोतुम्हे हर गुण सिखायेगीलोक लाज कि बाते भी मॉ ही तुम्हे बतायेगीबच्चो का पालन करना वो भी तुम्हे सिखायेगीमाँ है वोतुमको भी…