Category: कविताएं

  • वीर प्रताप राणा

    वीर प्रताप राणा

    वीर भूमि राजस्थान का,वह वीर प्रताप राणा था।जिसके साहस से कांप गया।अकबर ने लोहा माना था। 7 फुट के वीर का,72 किलो का भाला था।200 किलो का कवच पहनकर।चेतक पर चलता,आजादी का वीर मतवाला था। वीर भूमि राजस्थान का,वह वीर प्रताप राणा था। विधर्मी बनाना ना स्वीकार किया।40000 की सेना से,अकबर की,सवा लाख सेना को…

  • राणा प्रताप

    राणा प्रताप

    शोर्य और शूरवीर के प्रतीक राणा प्रतापदूर किया देशवासियों का संताप अपनी वीरता का सिक्का जमायामुगलों को जंग मे हरायाहल्दीघाटी का संग्रामदेता उनकी जीत का प्रमाण विश्वासपात्र चेतक पर स्वारपूरी शक्ति से किया प्रहारमुगल फौज का किया प्रतिकारशत्रु पक्ष का किया संहार धन्य तुम्हारे माता पिताधन्य धरती मेवाड़ कीजिसने तुम्हें जन्म दियालाज रखी मा भारती…

  • गुरुदेव रवीन्द्रनाथ

    गुरुदेव रवीन्द्रनाथ

    अपने रचना का कर गर्जन, विश्व साहित्य का किया, सृजन, नोबॉल पुरस्कार धारी वो, बांग्ला साहित्य मात्र नहीं विश्व साहित्यकारी वो, अटखेलियां दिखाते बादल, नदी सुनहरी। गुरुदेव की कविताएं है, सागर सी गहरी। विपत्ति से जूझना सीखा दे गुरुदेव की रचना, मुझे भावना दे। कड़ियां देखो, गीतांजलि की। परिलक्षित करें, देश को शुभ अंजलि सी।…

  • वृद्धाश्रम

    वृद्धाश्रम

    कलमकार पूजा कुमारी साव ने वृदधाश्रम और आजकल की नई पीढ़ी के नजरिए की दास्ताँ इस कविता में बताने का प्रयास किया है। वृद्धाश्रम की क्या कहूँ करूण कहानी माता-पिता की कद्र शिक्षित वर्ग ने भी ना जानी जना जिसे, लालन-पालन किया बडी़ सिद्धत से, पढा़-लिखाकर खडा़ किया आज उसी ने, माँ-बाप को तौफे में…

  • तीन तीस बजे- वो आखिरी साँस

    तीन तीस बजे- वो आखिरी साँस

    खाये पीये अच्छे से ही सोये थे कि गैस रिसाव हो गया, कुछ भागें किन्तु भाग न सके और थोड़ी दूर जा गिर पड़े, जीव जन्तु जानवर बेसुध पडे, कुछ सोये के सोये रह गये, कुछ कंधे पर कंधा रख सांत्वना देते हुए दुनिया से गुजर गये, दोष किसको दे, दर्द किससे कहें, जिंदगी का…

  • आहट

    आहट

    ये आहट कैसी है मृत्यु की, चारों तरफ हाहाकार मचा है। ये जो पसरा है सन्नाटा, क्या कोई मौत का पैगाम लाया है। कोई तन से हारा, कोई मन से हारा चला जो दो कदम वो फिर समाज से हारा। कोई दामन को बेदाग रखा, कोई कांटों से भरा ताज पहना कोई लड़ा दुश्मनों से,…

  • खुल गयी मधुशाला

    खुल गयी मधुशाला

    मन में विचार सुलग गया कैसी बन्धगी कैसा ताला। शिक्षा मंदिर बंद भयो खुल गयी मुधशाला। संभली हुइ चाल चली सरकार कहे ये है भली एक हाथ को बचाती फिरे दुसरे हाथ को जलाती चली छाती ओर कवच औड़ा पीठ पे पड़ेगा भाला शिक्षा मंदिर बंद भयो खुल गयी मधुशाला। मदिरा रत्न सर्वोत्म हुआ जीवन…

  • कोरोना सब पर भारी है

    कोरोना सब पर भारी है

    न जात देखे न धर्म देखेअमीर देखे न गरीब देखेबड़ी बेरहम बीमारी हैंइससे दुनिया हारी हैंकोरोना सब पर भारी है। सात समंदर पार सेचीन के बाजार सेऐसी ये महामारी हैंत्रासदी ये सारी हैंकोरोना सब पर भारी है। विश्व सारा जूझ रहाहल न अब सूझ रहावुहान से ये आया हैंकहर इसने ढाया हैंकैसी ये लाचारी हैंकोरोना…

  • बन्द रहेंगे मंदिर-मस्जिद

    बन्द रहेंगे मंदिर-मस्जिद

    बन्द रहेंगे मंदिर-मस्जिद, खुली रहेंगी मधुशाला। गांधी जी के देश मे देखो, क्या होता है गोपाला हर जगहा त्राहि त्राहि है, पल पल संकट बढ़ता है। रक्त बीज असुर कोरोना दिन प्रतिदिन ये बढ़ता है। इस आलम में निर्णय ऐसा समझ नही आने वाला बन्द रहेंगे मंदिर मस्जिद खुली रहेगी मधुशाला महामारी ले काल रूप…

  • श्रम साधक

    श्रम साधक

    श्रम साधक को विश्राम नहीं कर्म से नहीं फुर्सत ,आराम नहीं मेहनत उसका कार्य ,करता उसे हराम नहीं चलता ही जाए ,लेता कभी विराम नहीं कर्म ही उसकी सच्ची पहचान ईश्वर का इक अनमोल वरदान राष्ट्र का सदा बढाता मान समाज की आन बान और शान श्रमसाधक है देश का कर्णधार श्रम से करे राष्ट्र…

  • समय है अपनी चेतना जगाने का

    समय है अपनी चेतना जगाने का

    प्रकृति का बलात्कार तो आदम ने बहुत किया हर शतक हमने अनदेखा तो कर दिया विकराल काल के संकेत को कलियुग का है यह अदृश्य असुर सुन सके तो ठीक से सुन इसके तांडव का हर एक सुर एक ताल को एक शतक के अंतराल फिर खड़ा है ये विकराल “काल” करोना प्रकृति का और…

  • शराब की मज़बूरी

    शराब की मज़बूरी

    और देशों की बर्बादी से हम कुछ नया ना सीखेंगे,खबर आई है एक अजीब कि मदिरालय रोशन होंगे।इतने दिनों की मेहनत पर अब पानी फिरने वाला है,लगता है कोरोना का खेल अब तगड़ा होने वाला है।फिर से भीड़ लगेगी अब तो मदिरा की दुकानों में,सोशल डिस्टन्सिंग का बनेगा तमाशा अब बीच बाज़ारो में।अब तक जो…

  • अहंकार का नशा

    अहंकार का नशा

    अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है। हम सभी को ईश्वर से कामना करनी चाहिए कि वह हमें अहंकार से मुक्त रखें। कलमकार नीकेश सिंह ने अहंकार जैसे विषय पर अपने विचार इस कविता में प्रस्तुत किए हैं।   मै चार पैसे क्या कमाने लगा? मुझ पर अहंकार छाने लगा।। अहंकार का अस्तित्व बढ़ता…

  • रविंद्रनाथ टैगोर

    रविंद्रनाथ टैगोर

    आज साहित्य के पुरोधा महाकवि गुरुदेव श्री रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती पर समस्त भारतीयों को बधाई देता हूँ और उनको एक कवितारुपी श्रृदांजलि अर्पित करता हूँ। भारत के साहित्यकार टैगोर महान अपनी सशक्त लेखनी से बनाई पहचान किया आपने अमर राष्ट्र गान वना वो भारत की आन बान और शान साहित्य मे अपना नाम कमाया…

  • रविंद्रनाथ टैगोर: महान कलाकार

    रविंद्रनाथ टैगोर: महान कलाकार

    हम सब कवियों की अरमान लिए खुद में आत्मविश्वास लिए भारतवर्ष की शान बने रवीन्द्रनाथ टैगोर सा प्रसिद्ध हुए। था जुनून दिल में, सोलह की उम्र में रची थी कई रचना अपनी विचार में साहित्य में भी रुचि रखे अपने ही लय में रवीन्द्रनाथ ठाकुर कहलाए भारत देश में। एक ही रचना अपनाए दो राष्ट्र…

  • शराबी की कथा

    शराबी की कथा

    लाकडाउन के चलते मंदिर बंदमस्जिद बद गुरुद्वारे बंदबंद विधालय और महाविद्यालयलाकडाउन खुला तो,खुले तो केवल मदिरालय इस ढील के दौरान देखा अजब़ नजाराशराब के ठेकों पर भीड़ थी,शराब की तलब मेशराबी फिर रहा था मारामाराशराब के लिए पैसा है,मगर ढूंढता सरकारी सहारानशे मे होता शेर,सूफी हालत मे होवें बेचारा नशे की होती बुरी आदतसभ्य समाज…

  • लॉकडाउन १९+२१

    लॉकडाउन १९+२१

    रहते हम सब घर में हीचाहे दिन हो या रात,सारा कुछ है बंद पड़ाहो गई पुरानी बात।पहले तो संतोष थाबीत जाएँगे दिन इक्कीस,थोड़ा मन तब घबड़ायाजब प्लस हो गए और उन्नीस।थोड़ी सी परेशानी हैपर ठीक ठाक है हाल,लेकिन चिंता की बात येअब बढ़ गए हैं बाल।शायद सब कोई मानेंगेहै बड़ी समस्या आई,जब भी आईना देखते…

  • छलक के बोतल, दो बूंद गिरा

    छलक के बोतल, दो बूंद गिरा

    आओ मिलकर करें तज़किराहे! कहां मिला, पीने को मदिरा? जल बहुत पिएऔर ऊब गएबिना सांझ केदिनकर डूब गएजब खुलेकोई मधुशालातभी जमेगीदिल का प्याला छलक के बोतल, दो बूंद गिराहे! कहां मिला, पीने को मदिरा? एकांतवास सेसूख गएबिन दारू के सबभूख गएबन्दी जैसनजीवन बनामुर्गा दारू कानहीं ठना किया है ठेका, खूब मुजाहिराहे! कहां मिला, पीने को…

  • नज़राना (कुंडलियाँ छंद)

    नज़राना (कुंडलियाँ छंद)

    कैसा नजराना मिला, सकल विश्व को आज।चलते चलते थम गये, आवश्यक सब काज।।आवश्यक सब काज, बला ये कैसी आयी।काली मेघ समान, घटा बनकर जो छायी।सबके समक्ष उदास, ठाड़ा असहाय पैसा।व्यथित मनुज समाज, मिला नजराना कैसा।।१॥ नजराने की सोचकर, दिल हो जाता बाग।बजने लगते हर तरफ, तरह तरह के राग।।तरह तरह के राग, पुण्य की बछिया…

  • मधुशाला

    मधुशाला

    सौत बनकर आ गई जिंदगी मेंक्या उसमें जो मुझमें नहीं हैउतावले चल दिए उस ओरमधुशाला पीने पहुंच गए हैंसब मयखाने की ओरघर में अकेली फिर हो गईजब लौटें होश नहीं रहतावह मार पिट करते हैंमुझको अबला समझते हैंबेसुध कर देता है मधुशालायह है बस जहर का प्याला ~ सूर्यदीप कुशवाहा