Category: कविताएं
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हर ओर एक अजब सन्नाटा है
भोर से साँझ तक औरसाँझ से रात तक भोर तकहर पल अब यूँ है लगताजिंदगी ही एक रहस्य हो जैसेपेड़ों पे गौरैइया, दिन में भी चुप हैंलगता है एकदम बौउरा गये हैंऔर ये गली के कुत्तेरात के सन्नाटे में भी सब चुप हैं अजब खामोशी हैघर के भीतर अपनों केसिर्फ दिल की धड़कनऔर पड़ोसियों के…
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एक युद्ध ऐसा भी- कोरोना
हुए युद्ध जब धरा पर,कांपे रण और थल।आपत्त में सब लोग,हुआ था काल विकराल।। घर में रहे सुरक्षित,जन जन को ये फरमान।हुआ एक युद्ध ऐसा भी,करे फैसले का सम्मान।। दिन इक्कीस पूरे है,एक एक ये बीत जाएंगे ।फतह हासिल होगी,मुक्ति महामारी से पाएंगे।। रह जाएगा इतिहास में,महामारी का यह युद्धबिना शस्त्र के जीता होलड़ा एक…
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कवि हूं मैं
कम शब्दों में बड़ी-बड़ी बातें कह देना कवि की कला है। शब्दों का ताना-बाना बुनकर वे अपनी रचना को कविता का रूप देते हैं। कलमकार मुकेश बिस्सा स्वयं के बारे में लिखते हैं कि कवि हूं मैं। कवि हूं मैं लिखता हूं कुछ पंक्तियां जो होती है थोड़ी आड़ी थोड़ी तिरछी भरी जिसमे जिंदगी की…
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फूलों की बातें
इस संसार मेन हर चीज हमें कुछ न कुछ सीखा सकती है बशर्ते हम सीखना चाहें। कलमकार संजय वर्मा फूलों की बातें बता रहें हैं की किस तरह फूल अपना जीवन जीते हैं और एक सार्थक संदेश देते हैं। फूलों का ये कहना दिल की बातें दिल में ही रखना छीन ले जाता कोई खुशबू…
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प्रकृति के बिन कुछ नहीं
प्रकृति के बिन कुछ नहींना अस्तित्व हमारा, ना अस्तित्व दुनिया कामाँ सी संवारती हमेंगोद में लेकर, पालती हमेंगुरू सा ज्ञान, हर उपादान द्वारा देकरईश्वरत्व का पहचान कराती हमें।सूर्य सा तेज देकर, ऊर्जावान बनने कीनदी सा चिरंतन बहकर बाधाओं को पार कर,आगे बढ़ते रहने की शक्तिपंक्षियों का कल्लोल से कर्मरत रहने का संदेश,जगने का आह्वनतालाब सा…
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भारत माँ के सपूत
हंदवाड़ा शहीदी को नमन करती एक कविता। कौन कहता है बेटे विदा नहीं होते है जब तिरंगे में लिपटा उनका देह आया होगा। उन सपूत की माँ का दर्द भला कौन समझ पाया होगा। कोई मोल नहीं लगा सकता उनके प्रेम के क्षमता का, फिर क्यो भूल जाते है सब उनकी ममता का। वो देश…
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आओ हम फिर दीप जलाये
हंदवाड़ा, जम्मू कश्मीर में पाँच शहीदों की शहादत पर एक कविता। बुझे आग को फिर सुलगायें। जो माता को शीश चढ़ायें। उनपें हम नत मस्तक हो जायें। भारत माँ के सच्चे लाल। देश की जो रक्षा में अपने जीवन का देकर बलिदान। अपने प्राणों की लौ से वह देश की रक्षा में बलिदान। तन देकर…
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सेना के जवान
हंदवाडा के शहीदो को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि। शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा। जयहिंद, जय भारत हाँ वो सेना का जवान है, फक्र है उसपे,अभिमान है। दो माँओं का दर्द ये मुझसे, अब नही देखा जाता। एक धरा ये माँ है उसकी, एक जना जिसने…
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जाती है अब जान
मोहब्बत कभी-कभी दर्द भी दिया करती है, इसलिए संभल कर दिल लगाएँ। कलमकार आलोक कौशिक की एक गजल पढें। हुई भूल जो समझा उन्हें शाइस्ता जाती है अब जान आहिस्ता-आहिस्ता करना ना मोहब्बत कभी बेक़दरों से ऐ दिलवालों तुझे वफ़ा का है वास्ता मंज़िल तो मिलती नहीं ऐसे राही को तक़लीफ़ों में ही गुज़रता है…
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कुछ दरकी सी जिंदगी
स्त्रियों के जीवन पर कलमकार सुप्रीता वात्स्यायन लिखतीं हैं कि वह दो भागों में बट सी गई है। मायके और ससुराल के बीच जिंदगी भी कुछ दरक गई है; आइये यह कविता पढें। ऐसे क्यूँ है नारीजीवन दो भागों में दरकी सी बाबा मुझको बतला दो क्या यही नियति है लङकी की आधा जीवन घर…
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उम्मीद की एक किरण
उम्मीद ही है जो हम सभी को जिंदा रखती है। उम्मीद के ही बल पर हम सकारात्मकता की ओर बढ़ते हैं। कलमकार राज शर्मा ने भी उम्मीद को बताने के लिए यह कविता प्रस्तुत की है- विपदा घेरे अंधियारा करे, षड्यंत्र रचे सब ओर। उम्मीद की जब दिख जाए, फिर जगमग चहुं ओर।। समस्या आए…
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तुझमें हैं-तुझमें हैं
हमारे भीतर अच्छाई और बुराई दोनों ही रहती है, अंदर की ऊर्जा का सदुपयोग कर हम कर्तव्यवान बन सकते हैं। कलमकार हिमांशु बड़ोनी हम सबका मनोबल बढ़ाती हुई कुछ पंक्तियाँ इस कविता मे लिखीं हैं, आप भी पढ़ें। तुझमें हैं – तुझमें हैं, बापू के प्यारे दुलारे,तीन बन्दर तुझमें हैं!गहरी पीर चीरने वाले,सात समन्दर तुझमें…
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रात सोचते गुजरेगी
कलमकार आनन्द सिंह की कविता “रात सोचते गुजरेगी” पढिए। आपने भी रातों में सोने के बजाय सोचने का काम किया होगा और नींद कोसो दूर खड़ी होकर आप ही को निहारती रही होगी। ना जाने क्यों यूं मध्यनिशा में नींद मेरी उर जाती है भविष्य की चिंता हर बार क्यों विचलित सी कर जाती है…
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संकट कोरोना काल का
जूझ रहा संकट से जग, कैसी महामारी आई है। जीवन कष्टों में झूल रहा, कैसी लाचारी छाई है।। त्राहिमाम मचा हुआ है, धरती के हर कोने में। देखो दुनिया सहम रही है, सांसे भी अब लेने में।। मिलकर सबको संग, एक संकल्प लेना होगा। बीमारी के जाने तक, संयम से रहना होगा।। कर्मवीर योद्धाओं का…
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विषाणु
तबाही के आसार नज़र आने लगेलोग घरों में बीमार नज़र आने लगेरौनक ए शहर फ़ीकी पड़ गई यहाँठप्प सारे कारोबार नजर आने लगेमुख्तलिफ रंगों सी ज़िंदगी जीने वालेसुफियाने उनके विचार नज़र आने लगेघर से निकलना तो ख़तरे में पड़ना हैवक़्त के आगे नाचार नज़र आने लगेशहर ए ख्याल में ही मिला किए जोजिंदगी के तलबगार…
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खुली रहेगी मधुशाला
बंद रहेगी मंदिर मस्जिदखुली रहेगी मधुशालायह कैसी महामारी हैचुप देख रहा ऊपरवाला। नहीं मिल रहा राशन पानीमिलेगी लेकिन मधुशालाघर में बैठके मक्खी मारोदर्द में है पीने वाला। नशा मुक्त भारत हो जाताकैसे चलती मधुशालाव्यवसाय रुका है गरीबों काजो नोट की जपते थे माला। आपत्ति नहीं जताओ कोईखुलने दो ये मधुशालाकोरोना शायद मुक्त हो सकेजब भीड़…
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मधुशाला और लाॅकडाऊन
बंद हुए सब मंदिर मस्जिदविद्यालय पे लटका टालाबंद है देखो काशी काबालेकिन खुश हैं मतवालालाॅकडाउन में खुला करेगीदेखो अपनी मधुशाला विष का अणु भी बाट जोहतागले में जो टपके हालाकैसा इस का मद मैं देखूंजो मदमाता पीने वालालाॅकडाउन में खुला करेगीदेखो अपनी मधुशाला वहां न कोई दूरी होगीना मुंह पे कपड़े का तालाहाला से सैनिटाइज…
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मिलकर देश बचाते रहना
जख़्मों को सहलाते रहनाअपनापन दिखलाते रहनाआज जरूरत है तुम सबकीमिलकर साथ निभाते रहना..।। आज वक़्त नाजुक है लेकिनधैर्य और साहस मत छोड़ोहर भूखे को मिले निवालामानवता दिखलाते रहना..।। आज परीक्षा है तुम सबकीहोना है उत्तीर्ण तुम्हेंमानवता की बने मिसालेंतुम बस धर्म निभाते रहना..।। आज देश ये जूझ रहा हैबीमारी की आंधी सेआज एक हो जाओ…