मिलती है अजनबी की तरह!
कलमकार राजन गुप्ता 'जिगर' ने मुलाकात, प्यार और जुदाई से जुड़ी कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं, आप भी पढें। कर रहा हूँ मैं प्यार उससे ज़िन्दगी की तरह, अब तो वो भी मिलती है अजनबी की तरह! दूरियां बढ़ गयी…
कलमकार राजन गुप्ता 'जिगर' ने मुलाकात, प्यार और जुदाई से जुड़ी कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं, आप भी पढें। कर रहा हूँ मैं प्यार उससे ज़िन्दगी की तरह, अब तो वो भी मिलती है अजनबी की तरह! दूरियां बढ़ गयी…
युगों-युगों से यात्रा मेरी, तेरे साथ-साथ चलती रही। जन्मों-जन्मों से गुजर कर, तुम पर ही तो आ के थमती रही। जिंदगी के एक घाट से, मौत के, दूसरे घाट तक का सफर। युगों-युगों से ना बदला है। ना बदलेगा ।…
कलमकार रमाकान्त शरण जी ने प्रभू श्री राम की वंदना में एक स्तुति की रचना की है, आप भी पढें और अपनी राय वयक्त करें। १) हे राम हे रामचन्द्र जानकीवल्लभ हे राघवेंद्र दशरथ कुमार,हे कौशल्यासुत अवधपति सुनले प्रभु तू…
कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाते हैं, उन्हें भावनाओं के माध्यम से ही समझना पड़ता है। कलमकार पूजा खत्री की चंद पंक्तियाँ पढें जो इसी मुद्दे को संबोधित कर रहीं हैं। उफ़ दर्द न हो सीने मे ऐसे जज्बात…
ये कैसी आहट है? क्या सिर्फ़ हवा का झोंका हैं जिसने कर दिया अभिभूत सभी को आज एहसास हो गया कि गुदरत के आगे किसी की नहीं चलती हैं। कभी इस दुनियां को अलग-थलग सपनों का महल बनाते देखी थी!…
भौतिकता की चाह में हम सब बसुधा को भी भूल गये , चन्द्र खोज के बल पर मन में दंभ ग्रसित हो फूल गये । सागर पाटे, जंगल काटे और फिर मांसाहार किया जो देते थे जीवन हमको , उन…
ख़ाली, सुनसान, विरान सा हो गया है आजकल मेरा टाउन लगता! है वक्त की मार ने मानव को करा दिया हैै लाॅकडाउन। परिवार का मोह छीन ले गया है आज का स्मार्टफोन कोरोना वायरस से कैसे बचें हर फोन में…
हे राम प्रभु तुम आ जाओ नाबड़ा दर्दनाक है मंज़रइन्सानियत घूम रही ले खंजरहे राम प्रभु तुम आ जाओ नाचहुंओर ओर छाई है विरक्ति सब कहते हैं मेरा धर्म मेरा जहांनपर कोई ना कहता मेरा आर्यावर्त महाननिशब्द सी है वेदना…
कुदरत ने आज आईना दिखाया है। संभाल के रख इंसान अपने कदम, पर्वत के जैसे ठहरी है जिंदगी, चट्टानों सी स्थिर है जिंदगी। यह अजीब सा सन्नाटा चहू ओर छाया है। कुदरत ने आज आईना दिखाया है| हमारी संस्कृति को…
क्यों अच्छा लग रहा है न? अब पंछियों की तरह कैद होकर तुम ही तो कहते थे न, सब कुछ तो दे रहे हैं हम दाना-पानी इतना अच्छा पिंजरा तो अब क्यों ? खुद ही तड़प रहे हो उसी पिंजरे…
मानवता की सेवा में इन्होंने, अपने दिन रात लगाए हैं! अपने घर की फ़िक्र छोड़कर, यहां लाखों घर बचाएं हैं! सफ़ेद कोट व ख़ाकी वर्दी पहन, फ़र्ज़ अपने निभाए हैं! ज़रूरी चीजें, मास्क के संग सैनिटाइजर भी बंटवाए हैं! मौसमी…
कलमकार सुनील कुमार धरती माता को अपनी यह कविता समर्पित करते हैं। हम सभी उनकी ही संतानें हैं और माता आदर व सम्मान हमारा कर्तव्य है। धरती है हम सब की माता हम इसकी संतान हैं धरती से है अन्न-जल-जीवन…
इस जमाने में हर चीज़ का सौदा होता है। यहाँ तो स्वार्थवश प्यार भी बिकने लगा है। प्यार तो तो एक भावना है जिसे लोग चीज़ समझ सौदा करने की गलती करते हैं। कलमकार मोनिका शर्मा "मन" की इन पंक्तियों…
जीतेगा जीतेगा ऐ कोरोना से जंग हमारा देश जीतेगा, हारेगा कोरोना जंग हरेगा और हमारा देश छोड़कर भागेगा! देश की रक्षा करने के लिए देश के लाल पथ पर खड़े है, अपने घर और परिवार को छोड़कर अपने कर्तब्यों पर…
आज मनोस्थिति ऐसी है कि करे तो क्या करें कुछ सूझता नहीं समय कटता नहीं पर/कुछ तो करना ही होगा और करना ही पड़ेगा वो तो ये है कि हम सबको सहना ही पड़ेगा तब कहीं जाकर हम इस मनोस्थिति…
ईरफान खान गुणों की खान नेक इंसान अभिनेता महान विश्व मे उनकी थी पहचान हालीवुड मे उनको मिला सम्मान फिल्मों और रंगमंच के सशक्त कलाकार कला पारखी और उत्तम आचार मानवता से भरपूर वयवहार सहयोगी कलाकारों मे बांटा प्यार कला…
आज प्रभात पत्नी बोली एक बात हे आर्यपुत्र, कुल भूषण मेरी माँग के आभूषण लॉक डाउन का प्रभाव मन्द हो गया है, मास्क पहनकर जाने का प्रबंध हो गया है। रसोई में रखे आटा दाल मसाले सब के सब हो…
आओ मिल को बचाना है घर पर रहना कहीं न जाना है व्यर्थ ना इसमें समय गवाना है हाथ पे हाथ रख न बैठना है। हमको भारत को बचाना है कुछ सोच कर हल सुझाना है जो हैं सक्षम उनको…
हे पान सिंह तोमर! वर्सेटाइल एक्टर इरफ़ान सर!! तेरे अचानक जाने से स्तब्ध हो गया है जगत अश्रुपूरित हो गया है जगत क्यों चले गए सर आप क्यों छोड़ गए सर आप वालीवुड को व हम सभी साधारण भारतीय को…
कविता का कवि लॉकडाउन में दिल्ली में है और वह उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद में स्थित अपने गाँव को याद कर रहा है जाने की सोचता हूंँ जहाँ, रहते हैं मेरे लोग वहाँ, खेतों की हरियाली देखि, पानी के…