Category: कविताएं

  • हिमाचल दिवस- ७२ साल का हिमाचल प्रदेश

    हिमाचल दिवस- ७२ साल का हिमाचल प्रदेश

    १५ अप्रैल, १९४८ को हिमाचल प्रदेश का गठन २८ से अधिक रियासतों किया मिलाकर किया गया था। इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते जन्मदिन का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ नहीं मनाया जा रहा है। हिमाचल की कुछ छात्राओं ने ‘हिमाचल दिवस’ के अवसर पर कुछ कविताएं प्रस्तुत की हैं। कलमकार राज शर्मा ने इन कविताओं…

  • मिडिल क्लास आदमी

    मिडिल क्लास आदमी

    एक मध्यम वर्गीय परिवार का आदमी कितना संघर्ष करते हुए अपना जीवन यापन करता है, यह सिर्फ वही बता सकता है। कलमकार हैप्पी उज्जवल उस इंसान के संघर्ष का उल्लेख इस कविता में करते हैं। मेहनत के पसीने से तर जाता है। वो काम की तलाश में शहर जाता है हाथ खाली हो, फिर भी…

  • कोरोना के योद्धाओं को प्रणाम करता हूँ

    कोरोना के योद्धाओं को प्रणाम करता हूँ

    कोरोना के योद्धाओं को, मैं प्रणाम करता हूँ। लड़ रहा विश्व, आज जिस त्रासदी से , आगे आएं, इन मनुज अवतारों की, भूमिका को सलाम करता हूँ। कोरोना के योद्धाओं को, मैं प्रणाम करता हूँ। उन डॉक्टरों, पुलिस अधिकारियों, सफाई कर्मचारियों और खाना पहुंचाने वाले, अनगिनत सेवकों का, स्मरण मैं काम करता हूँ। कोरोना के…

  • दीवारें नफरतों की गिरा दीजिए

    दीवारें नफरतों की गिरा दीजिए

    दीवारें नफरतों की गिरा दीजिए, किसी रोते हुए को हसा दीजिए। जीना ना हो जाये दूभर कहीं, जख्मों को ना इतनी हवा दीजिए। मुसीबत में मदद का हाथ बढाकर, उनके दुखों को थोड़ा गला दीजिए। वह अभागा रातभर सोया नहीं, उसे पेट भर खाना खिला दीजिए। हो चली है हवा भीजहरीली सी, प्रकृति नाशकों को…

  • आदमी तन्हा है

    आदमी तन्हा है

    इस दूनिया की भीड़ में आज आदमी तन्हा है । जो प्रकाश दे जग में वो सूरज आज तन्हा हैं। जो खेतों में धान निकाले वो अन्नदाता आज तन्हा हैं। जो औरों के दर्द दूर करे वो भगवान आज तन्हा हैं। जो दीप जलाए ज्ञान के वो शिक्षक आज तन्हा हैं जो दूर करे बीमारी…

  • कुछ वक़्त अब

    कुछ वक़्त अब

    कुछ वक़्त अब तो ठहर घर में आख़िर क्या है, जान से बढ़कर और इस दुनिया में रखा क्या है, जिन बन्द पेटियों में तुम शराब लाते थे, हां वही है जो अब उनमें लाश आ रहे हैं, महज़ खेल तेरा ही महंगा था, बाकी दुनिया में सबकुछ तो सस्ता था, क्यों शौक ऐसे पाले…

  • मुस्कराते चेहरे आज उदास हैं

    मुस्कराते चेहरे आज उदास हैं

      हँसते मुस्कराते रहे चेहरे, आज वो बिल्कुल उदास हैं। रात में मुश्किल से जो रुकते, चारों पहर ही पास हैं।। अचानक आई आपदा से निपटना हो रहा कठिन। शुक्र है परवरदिगार का, हमारी चल रही सांस है।। माथे पर चिंता की लकीरें, जिनके स्वजन परदेश में, कब यह हालात सुधरेंगे, सभी लगा रहे कयास…

  • जनता कर्फ्यू

    जनता कर्फ्यू

    जिंदगी जीने के लिए संगत का असर देखा संक्रमण का उन्माद देखा जो उनसे दूर रहा जिंदगी को ज्यादा जिया जिंदगी कोई खेल नहीं जिसे संक्रमण की आग में झोंक दिया जाए घर पर रहे परिवार का साथ जो परिवार निर्भर है घर के मुखिया पर जो सुखों ख़ुशियों के सपने रोज निहारता तनिक सोचिए…

  • कोरोना की जंग

    कोरोना की जंग

    अखिल विश्व में आतंक तुम्हारा कोरोना।क्या खूब फैलते जल्दी जल्दी कोरोना।। अति सूक्ष्म होकर भी करते काम बढ़े।जो भी सुनता हो जाते हैं कान खड़े।। जिस घर जाकर तुम भय फैलाते।सर्दी खाँसी बुखार उनमें दिख जाते।। बार बार हाथ धुलाई से तुम भाग जाते।सेनेटाइजर देख तुम कभी निकट न आते।। मास्क पहने मानव से तुमको…

  • महाभारत जारी है

    महाभारत जारी है

    महाभारत अब भी, जारी है कोरोना के, महामारी से घर में रहोगे, सुरक्षित रहोगे बाहर निकले यदि, कोरोना का कहर, ढोओगे। लक्ष्मन रेखा को, पार ना करना अगर इससे निज्जात है, पाना है भारत को, यदि बचाना वैश्विक महामारी से है, लड़ना भारत में, विजय पताका है पहराना। विकल्प नहीं, हमारे पास नहीं दोहराना, रामायण…

  • माँ! आँचल में छुपा ले

    माँ! आँचल में छुपा ले

    माँ तुम मुझे अपनी आँचल में छुपा ले इस कोरोना महामारी से बचा ले माँ तुम मुझे अपनी आँचल में छुपा ले फैल गई कोरोना महामारी पूरी दुनिया में तेजी से अब देश सुरक्षित न रहा इस महामारी से फैल गई कोरोना महामारी पूरे राज्यों में तेजी से अब गाँव भी सुरक्षित न रहा इस…

  • घर

    घर

    सुबह हुई तो निकले घर से, शाम हुई तो लौटे घर, घर में रहकर घरवालों को भूल गया, ब्यस्त हुए सब, मस्त हुए सब, घर को, गैराजों में बदल दिया, बेड़ रोए, टीवी रोए, रोए घर का हर कोना, पूछ रहा है कोना-कोना, क्यों मुझको तुम भूल गए थे? “कोविड” ने फिर रहना सिखाया, बाते…

  • जलियाँवाला बाग अमर शहीदों को सलाम

    जलियाँवाला बाग अमर शहीदों को सलाम

    जलियाँवाला बाग के शहीदों को शत-शत नमन। अमर शहीदों को सलाम करती हुई इमरान संभलशाही की एक कविता पढ़ें। करता हूं मन से मै अमर शहीदों को सलाम कुर्बान हो गए देश के खातिर, गूंज रहा है जिनका नाम उन समूहों को नमन है जिसमे सब भारत के भाल जलियावाला बाग़ कांड से जो अमर…

  • आई है अपनी बैसाखी

    आई है अपनी बैसाखी

    चलो मनाएँ कृषि पर्व को बैशाखी है सबकी साथी। कृषियों के दिल की है चाभी आई है अपनी बैसाखी।। खेतों में फ़सलें आ जाती आती है अपनी बैशाखी। बच्चे बूढ़े खुश हो कहते आई है अपनी बैशाखी।। खड़ी फसल को देख कृषक के मन को कितना है हर्षाती। कृषियों के त्योहारों वाली आई है अपनी…

  • आकर्षण

    आकर्षण

    कभी-कभी आकर्षण को हम प्यार समझने की गलती कर लेते हैं जबकि सत्य कुछ और ही होता है। कलमकार अनिरुद्ध तिवारी आकर्षण के मुद्दे पर चंद पंक्तियाँ इस कविता में प्रस्तुत की हैं। तुम्हारी नजरों की गुस्ताखियां आज उलझे एहसासों को जगा गई वैसे आंखें खूबसूरत है तुम्हारी! सिर्फ इतना समझ लो अपरिचित हूं, गैर…

  • आज क्या खास लिखूं

    आज क्या खास लिखूं

    समझ नही आ रहा मुझे आज क्या खास लिखूं। कुछ अलग लिखूं आज या रोज की तरह बकवास लिखूं। ये कोरोना के मौत का कहर लिखूं या चाइना द्वारा फैलाया जहर लिखूं। सेनेटाइजर से लोगों का प्यार लिखूं या मास्क के लिये लोगों का मार लिखूं। डॉक्टरस के लिये दिल से सलाम लिखूं या स्कूल…

  • दीपक हूं मैं

    दीपक हूं मैं

    एक दीपक का कर्म होता है अंधकार मिटाकर उजाला फैलाना और प्रकाश सदैव सकारात्मक दिशा की ओर इशारे करता है। कलमकार सुनील कुमार की एक ऐसी ही कविता पढ़ें जो आपको ऊर्जावान बनाएगी। दीपक हूं मैं जलता रहूंगा तिमिर धरा का हरता रहूंगा भटके हैं राही जो जीवन पथ से पथ उनके आलोकित करता रहूंगा…

  • याद करेगा हिंदुस्तान

    याद करेगा हिंदुस्तान

    कोरोना का ये अभियान रखना है देश का ध्यान याद करेगा हिंदुस्तान। घर में रहना हमारी शान यही हमारा है बलिदान याद करेगा हिंदुस्तान। बच्चों बुजुर्गों का रखना मान पूरा रखना हमे इनका ध्यान याद करेगा हिंदुस्तान। कितनों ने झोंकी जान करना हमें उनका सम्मान याद करेगा हिंदुस्तान। घर में रखो पूरा सामान लक्ष्मण रेखा…

  • कम नहीं मेरी जिंदगी के लिए

    कम नहीं मेरी जिंदगी के लिए

    हम कृतज्ञ हैं जो कलमकारों ने अपना स्नेह और सहयोग सदैव प्रदान किया है। डॉ कन्हैयालाल गुप्त जी ने हिन्दी बोल India के समर्थन में चंद पंक्तियाँ लिखी हैं जो उनके स्नेह को दर्शाता है। तुने इतना मान बढ़ाया, कम नहीं मेरी जिंदगी के लिए। मेरी रचनाओं की कदर की, सम्मान दिया कम नहीं है…

  • लोग पूछेंगे सवाल हज़ार

    लोग पूछेंगे सवाल हज़ार

    हमारी कई हरकतों को देखकर लोग हजार सवाल पूछा करते हैं। कलमकार तृप्ति मित्तल ने इंसान की इस मानसिकता को अपनी कविता में संबोधित किया है। हमें सकारात्मक सोच के साथ आगे आगे बढ़ते रहना चाहिए। लोगों की निगाहों को आदत है देखने की, कुछ ढूंढते हैं हर पल, वो आँखों में तुम्हारी। तुम हालात…