सूर्योपासना का महान पर्व छठ पूजा
छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला हिन्दू पर्व है जो चार दिनों तक चलता है, जिसमें सूर्य देव और छठी मैया की आराधना की जाती है। छठी मैया, सूर्यदेव की बहन हैं, सूर्यदेव को अर्घ्य…
छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला हिन्दू पर्व है जो चार दिनों तक चलता है, जिसमें सूर्य देव और छठी मैया की आराधना की जाती है। छठी मैया, सूर्यदेव की बहन हैं, सूर्यदेव को अर्घ्य…
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की शुरुआत 1999 में की गई थी। आप भी अपने भाई, पिता, पुत्र, दोस्त व सहकर्मी को विशेष होने का एहसास जरूर कराएं। अन्तरराष्ट्रीय पुरूष दिवस (19 नवंबर) पर कुछ विशेष रचनाएँ पढ़ें। International Men's Day…
एक दीप कर्मवीरों के नाम डॉ भवानी प्रधानकलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया चलो एक दीप जलाएंशहीद वीर सपूतों के नामऐसा एक सिद्धांत बनाएंसबके जीवन में खुशियां फैलाएं चलो एक दीप जलाएंदेश के पालनहार मेहनतकशकिसानों के नामऐसा एक अभियान चलाएंसब मिलकर…
आज दीवाली है डॉ. राजेश पुरोहितकलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया मिठाई ले आना बापू आज दीवाली है।सूखी रोटी खाऊंगा न आज दीवाली है।। नये कुर्ते और पाजामे ले आना मेरे।।मैं भी राजकुमार बनूँगा आज दीवाली है।। घर आंगन सबके सजे…
दीपावली त्योहार के महापर्व को प्रेम व भाईचारे के साथ मनाया जाना चाहिए। हिन्दी कलमकारों ने दिवाली पर कुछ रचनाएँ लिखीं हैं, आइए पढ़ते हैं। चलो दीपावली कुछ इस तरह मनाते हैं सपना चौधरी चंचलकलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया चलो…
कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस और अमावस्या को दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष की दिवाली पिछले वर्षों की दीपावाली से भिन्न है; जिसका कारण है कोरोना काल। हिन्दी कलमकारों ने अबकी दिवाली पर कुछ रचनाएँ लिखीं…
OCTOBER-2020: 1) द्रौपदी: नायिका बनी कलंक भरी कहानी की ~ अर्चना शर्मा • 2) गृहणियां ~ मधु शुभम पांडे • 3) होते हुए देखा है ~ कलमकार- अजीत लेखवार जौनपुरी १) द्रौपदी: नायिका बनी कलंक भरी कहानी की अर्चना शर्माकलमकार…
करवाचौथ प्रेम व समर्पण का पर्व है जो जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करता है। सभी माताओं व बहनों के सदा सुहागन एवं खुशहाल जीवन की कामना हिन्दी बोल इंडिया और उसके कलमकारों ने की है। आइए हिन्दी रचनाकारों की कुछ…
१. अटल बिहारी जी छोड़ गए वो छाप अपनी,हर मानस पटल पर,आज भीं कई ऐसे,जो फ़िदा है अटल पर युग पुरुष भारत के,थे वो भाग्य विधाता,पदम् विभूषण, परम् ज्ञानी,भारत रत्न थे दाता रहे राजनीती कें शीर्ष पर,करवा लिया परमाणु परीक्षण,कारगिल…
विजयादशमी की शुभकामनाएँ और कलमकारों के संदेश इन कविताओं मे पढ़ें। यह आशा बनाएँ रखें कि असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की जीत होगी। विजयादशमी ऋचा प्रकाशकलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया विजयादशमी का पावन त्यौहार आया,साथ में…
पुजा कुमारी साह 1. मत पूछो ~ पुजा कुमारी साह मत पूछो मैं कैसी हुं, क्या कहुं मैं कैसी हूँ।। आँखों से निकल कर, गालो से फिसलकर जब आंसू की वो बूंद जमी पर गिर रही थी।तब आपने नही पूछा…
SEPTEMBER-2020: 1) कवि कैसे बनते हैं ~ कलमकार सुभाष चन्द्र 'सौरभ' • 2) मै हिन्दी ~ कलमकार वर्षा यादव • 3) मौत ~ कलमकार सरस्वती शर्मा (सुबेदी) १) कवि कैसे बनते हैं सुभाष चन्द्र 'सौरभ'कलमकार @ हिन्दी बोल IndiaSWARACHIT1765 एक…
पता नहीं माहौल ऐसा क्यों बन चुका है। इंसान में मानसिक विकृतियाँ उसे एक अलग ही रूप में प्रस्तुत कर देती हैं जो एक सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं होता। संकीर्ण मानसिकता के चलते अनेकों बार गंभीर अपराध हो जाते…
१. ताज के सामने ताज के सामने,छाते में,दुकान सजाए बैठा है। वह एक आम आदमी है।हर किसी के,सपने को खास बनाए बैठा है। ताज के सामने,छाते में दुकान से सजाए बैठा है। तस्वीरें बनाता है ।ताज के साथ सबकी,वह सब…
बापू की आत्मा प्रिया सिंहकलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया स्वच्छ देश की कल्पना सिद्ध तभी हो पाएगीजब स्वच्छता सड़कों पे नहीं सोच में रखी जायेगी।अब सुधरे तो कैसे सुधरेगंदगी तो सोच में हैं।आज भी बापू की आत्माबस इसी अफ़सोस में…
१) विदाई वही घरजहां बचपन गुज़राबिटिया काआज सजा हुआ हैआंगन में है गहमागहमीफेरे संपन्न हो चुके हैंफूलों से सजेविवाह-मंड़प में अभी-अभीअश्रुपूरित आंखों से निहारतीकभी घर कोकभी आंगन कोकभी बाबुल कोअपने जीवन-साथी के संगलांघने जा रही हैघर की दहलीज़सधे हुये मन…
1) नवीन जीवन चलो चलते हैं फिर सेजीवन की तलाश मेंकिस अजनबी शहर कीअनजान राहों पर।चलो फिर से बटोरते हैंउन ख़्वाबों कोजो टूट कर बिखर गए थेकिसी अनजान शख्स कीबिखरी हुई याद में।चलो फिर सेउन दिलों कोधड़कना सिखाते हैं,जो टूट…
हिंदी कलमकारों ने शहीद भगतसिंह को नमन करते हुए उनके स्मरण में कुछ कवितायें प्रस्तुत की हैं। आइए इन्हें पढ़ हम भी क्रांतिकारियों के जीवन और योगदान को जानें। मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे। मेरा रँग दे…
बेटियां ~ मनीषा झा घर के आंगन में फुल खिल जाती,जब खुल के हंसती है बेटियां,पुरुष के कदम से कदम मिला कर,नित दिन चलती बेटियां ! हर क्षेत्र में परचम लहराती,अपनी लोहा मनवाती बेटियां,फिर भी क्युं बोझ है लगती,गर्भ में…
बांसुरी वनों में उगता घना हूँबेंत का कोमल तना हूँकोई जाके काट लायाआह कैसा घात पाया छील के चिकना हुआ हूँएक से कितना हुआ हूँमले मुझ पे तेल देखोमनुज का यह खेल देखो क्या हुआ जो खोखले हैंछिद्र मुझ में…