Category: कविताएं

  • मानवता

    मानवता

    कोरोना महामारी से इंसान सकुचाया है।हर जगह भय का साया है।क्रूर, निर्दय ह्रदय भी सहज हुआ है।अपने मन का अहम भी भगाया है।अपनी सोच का दायरा भी बढ़ाया है।इस कहर में भी अपना हाथ बढ़ाया है।अपनी लालसा को सिमेटकरनिर्बल, गरीब का सहायक बना है।प्रकृति भी देख मुस्करा गई।यही इंसान की सच्ची मानवता है।जो संकट में…

  • ख़ुद को सुलझाने में

    ख़ुद को सुलझाने में

    जीवन की उलझनों में फंसे होने के कारण हम ख़ुद को सुलझाने का बहुत प्रयास करतें हैं। कलमकार हिमांशु बड़ोनी कुछ उदाहरण द्वारा इस उलझन को व्यक्त कर रहें हैं जिसमें हर कोई कैद है। मीलों मीलों का रास्ता तय करके, जब सागर नदी से मिलने जाता है। तो लंबा इंतजार करवाने के बदले, वो केवल…

  • चाहत

    चाहत

    चाहत यूँ ही समाप्त नहीं होती है। कलमकार सविता मिश्रा ने चाहत की कुछ पंक्तियाँ इस कविता में संजोकर प्रस्तुत की हैं। ये हवा में महकती भीनी भीनी खुशबू तेरे वजूद का आभास दे जाती है। तेरे ख्याल इस स्याह ठंडी रात में गुनगुना सी तपिश दे जाते हैं। क्यू गुमसुम से हम हर मंजर…

  • वे लौट रहे हैं

    वे लौट रहे हैं

    वे लौट रहे है उम्मीदों का शहर छोड़कर आंखों के दरिया का रुख़ मोड़कर। रूखा ही सही, भुखा नहीं है कोई गाँव में शहरों ने तो छाले दिये है पाँव में। जिन घरों में कमरा अलग से हो सग का उनसे भी नहीं संभला बोझ मामूली से बैग का। जिसने एक-एक ईंट लगाई ऊंची इमारत…

  • कोविड-१९

    कोविड-१९

    ये कैसी सजा दी तूने खुदा, जो सबको ठहरा दिया, भागते दौड़ते थे जो, उनको ठिकाने पर रुका दिया। ये होड़ थी जो सबकी एक दूसरे से आगे बढ़ने की, अब ठहरने वाले को ही तूने विजेता बना दिया। जो कभी काटते थे चक्कर शहरों और गलियों की, उनको तूने एक खिड़की पर टिका दिया।…

  • राहुल सांकृत्यायन से महापंडित

    राहुल सांकृत्यायन से महापंडित

    सूर्य रश्मियों की तरह रहे वह प्रकाशवान, राहुल सांकृत्यायन हुए एक लेखक महान। ‘महापंडित’ के अलंकार से हुए सुशोभित, साहित्य में है उनका एक विशिष्ट स्थान।। महान घुमक्कड़ व प्रकांड पंडित रहे राहुल, साहित्य में न जाने कितने नव प्रतिमान गढ़े। मात पिता की जब हो गई असामयिक मृत्यु, बचपन बीता ननिहाल में, जहाँ वो…

  • कोरोना को हराना है

    कोरोना वायरस आया है,दुनिया का अंत लाया है।भारत को जिताना है,कोरोना वायरस को हराना है।भारत में करोना आया है,चीन ने इसे बनाया है।भारत को बताना है,मिलकर कोरोना वायरस को मिटाना है।हाथों को साबुन से धोना है,कोरोना वायरस को हटाना है।अपने घर पर ही रहना है,जनता कर्फ्यू का पालन करना है।दुनिया को बचाना है,कोरोना को भगाना…

  • माँ-बेटी

    माँ-बेटी

    माँ से बिटियाँ का स्नेह होता है लाजवाब बिटियाँ को सुलाती अपने आँचल में लगता है जैसे फूलों के मध्य पराग हो झोली में । माँ की आवाज कोयल सी और बिटियाँ की खिलखिलाहट पायल की छुन -छुन सी लगता है जैसे मधुर संगीत हो फिजाओं में । माँ तो ममता की की अविरल बहती…

  • नारी होना कठिन है

    नारी होना कठिन है

    कलमकार देवकरण गंडास अरविन्दजी जी का मानना है कि नारी होना आसान नहीं बल्कि बहुत कठिन जिम्मेदारी होती है। कोई भी काम उतना कठिन नहीं, जितना कठिन होता है नारी होना। सब को रखना है खुश हर हाल में, पड़े चाहे उसको छुप छुप कर रोना। सदा सबके काम में वो हाथ बंटाए, उसको ही…

  • हनुमान स्तुति

    हनुमान स्तुति

    चिरंजीवी शिवांश भक्तवत्सल भगवान आञ्जनेया महावीर महातपस्वी बलवान कपीश्वर महाकाय दैत्यकार्य विघातक रामदूत बजरंगी दशग्रीव कुलान्तक परविद्या परिहार सिंहिकाप्राण भंजन परशौर्य विनाशन महारावण मर्धन लंकापुर विदायक सीतान्वेषण पंडित सर्वमाया विभंजन केसरीसुत सुरार्चित सीताशोक निवारक कुमार ब्रह्मचारी संकटमोचन महाबली भक्त हितकारी मानव मूढमति समझकर कृपानिधान करो कल्याण बजरंगबली हनुमान ~ आलोक कौशिक

  • थाम ले तू महामारी

    थाम ले तू महामारी

    विश्व गुरु बनने का अवसर आया है थाम ले तू महामारी को, नाम अमर कर जाओ तुम। दिखा दे तू दम मिट्टी का, है यह राम का पावन धरती सकल राष्ट्र तेरे साथ है, सकल विश्व को मार्ग दिखाओ। दिखा दो महानता देश की, घर में रहकर साथ निभाओ तुम समय नहीं यह कोहराम का,…

  • शशिवल्लभ जी के घनाक्षरी छन्द

    शशिवल्लभ जी के घनाक्षरी छन्द

    महावीर हनुमान जयंती विशेष रात दिन साधना में, राम की आराधना में, शत्रु को विनाश और, काल हु पे भारी है। धीर बीर बल धारी, उमा पति अवतारी, अंजनी के जाए सुत, बाल ब्रह्मचारी है। बल को बखान हनु, रीछ जामबन्त सुनि, पैठि दशमाथु राजु, बाटिका उजारी है। अक्षय को क्षय कर, लंक को दहन…

  • कोरोना की बात

    कोरोना की बात

    आओ बच्चों आज लिखें कोरोना की बात लिखें। कोरोना महामारी को हम, मानवता पर घात लिखें।। कोरोना ही कोरोना बस, सारे जग का रोना है। मास्क लगाना, दूरी रखना, और हाथों को धोना है।। चाइना से पैदा होकर, सारे जग में फैल गया। कोरोना की आफत से अब, अमरीका भी दहल गया।। संक्रमण का रोग…

  • हनुमान जयंती- संकट हरेगें हनुमान

    हनुमान जयंती- संकट हरेगें हनुमान

    हनुमान जयंती आज हनुमान जयंती है, ऐसा लगता है जैसे सारी दुनिया बंसती है। आज दिवस है बड़ा ही पावन, आज अवतरण राम मनभावन। अंजनी सुत वो केशरी नंदन, मंगल करण जग महा जग वंदन। अष्ट सिद्धि नव निधि के निधान हो, राम भक्तों में तुम सबसे महान हो। तुम्हारा भजन कीर्तन राम को भाता…

  • कोरोना- विकट समय

    कोरोना- विकट समय

    विकट समय विकराल घड़ी तू पंछी पछतायेगा, रहले कुछ दिन पिंजरे में, या प्राण पखेरू उड़ जाएगा, विकट समय विकराल घड़ी तू पंछी पछतायेगा, तू सदियों से उड़ने की सोचे धरती का तू चांडाल रहा, प्रकृति में हाहाकार मची, सज़ा तेरा बाजार रहा, अब तो थोड़ा सहम जा बन्दे, या फिर मुंखी खायेगा, विकट समय…

  • जीतेंगे हम

    जीतेंगे हम

    जीतेंगे हम ये जंग भी बड़ी शान से कोरोना को हराएंगे हम जी जान से अब और नहीं सहेंगे कोरोना की मार अब हम भी करेंगे वार सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनेटाइजर इसके हैं ये हथियार सब मिलकर पालन करो इसका तभी होगा उपचार बेवजह सड़को पर मत निकलो पुलिस प्रशासन का दो साथ तभी…

  • कोरोना से लड़ना है

    कोरोना से लड़ना है

    सुनसान है गलियाँ विरान पड़े हैं सभी चौराहे कोरोना नामक वायरस हर जगह फैलाये बैठा है बांहें। न जाने किस राष्ट्र पर है इसकी नापाक निगाहें सतर्क रहें सजग रहें पांवों को कुछ दिन घर पर ही टिकायें। बेवजह-बेमतलब इधर उधर न जायें लाॅकडाउन का समय परिवार के साथ ही बितायें। बैठे -बैठे घर पर…

  • हम जीत सकते हैं

    हम जीत सकते हैं

    न कोई योजना थी न कोई था उपाय महामारी टूट पड़ी हर व्यक्ति हुआ असहाय इटली, चीन, अमेरिका या भारत ,पाकिस्तान कोरोना की बीमारी से हर मुल्क हुआ परेशान अब बनी योजनायें सारी अब सारे किये गये जतन कितनी मौतें हुई किसका दोष जैसे विष बरसाया हो गगन हे प्रभु! कृपा करो जग पर हर…

  • कोरोना- घर मे रहना

    कोरोना- घर मे रहना

    घर में रहना, घर में रहना, सबसे विनती, कहना है। कोरोना है बड़ी बीमारी, सबको बचके रहना है।। मुंह पर पट्टी, हाथ धुलाई, रखना हर पल साफ-सफाई। कोरोना से बचना है तो, आइसोलेशन सहना है।। दुनिया भर के देश दुरूखी है, कैसा आलम, बेबसी है, सही समय पर चेत उठो अब, वरना फिर तो ढहना…

  • नफ़रत

    कलमकार अजय प्रसाद जी ने अपनी सुपुत्री अंशु प्रसाद की एक कविता हम सबसे साझा की है। बहुत अच्छा लगता है जब नई पीढ़ी भी साहित्य में रूचि दिखाती है। आइए इस नन्हे कलमकार की स्वरचित पंक्तियाँ पढें। जीने की आश हैं नफ़रत किसी की तलाश हैं नफ़रत । जो रात को सोने ना दे…