Category: कविताएं

  • एक दिया जलाना है

    एक दिया जलाना है

    कोरोना को हराना है हर देहरी दरवाज़े पर एक दिया जलाना है, दिव्यपुंज से प्रकाशित नया सवेरा लाना है। कोरोना को हराना है।। स्याह अमावस की रात को दीप क्रमिका से सजा कर नया सवेरा लाना है। एक दिया जलाना है। नया चमकता सवेरा लाना है। कोरोना को हराना है।। ~ अनुराग मिश्रा ‘अनिल’

  • जगमगाया हिन्दुस्तान

    जगमगाया हिन्दुस्तान

    जगमगाया हिन्दुस्तान, देवलोक है परेशान, ये ये जगमग ज्योति कैसी है, ये जगमग ज्योति कैसी है? क्या विश्वगुरु भारत अब जाग गया है, कोरोना जैसा रोग क्या भाग गया है, कैसी ये शंख ध्वनि, कैसा नाद है, सारा विश्व देख रहा कैसी फरियाद है, जीवन को जगाने का आह्लाद है, देवराज आओं, ग्रह, नक्षत्र आओं…

  • क़भी सोचा है तुमनें

    क़भी सोचा है तुमनें

    मानवीय व्यवहार और संवेदनाओं को अपनी कविता में शामिल कर कलमकार ऋतिक कुमार वर्मा पूछतें हैं कि क्या आपने कभी सोचा है? पारिवारिक मूल्यों का जीवन में बहुत बड़ा महत्व होता है। जिसने तुझे पाल-पोश कर बड़ा किया जिसने तुझे चलना सिखाया चेहरे पर नन्ही मुस्कान दी अपने पैरों पर खड़ा किया क़भी सोचा है…

  • चलो हंसते-हंसते बुरा वक्त बिताते हैं

    चलो हंसते-हंसते बुरा वक्त बिताते हैं

    कलमकार विपुल मिश्रा बुरा वक्त हंसते हंसते बिताने की बात अपनी कविता में लिखते हैं। बुरे वक्त में धैर्य की जरुरत होती है और हंसते हुए हम इसे हरा सकते हैं। चलो हंसते-हंसते बुरा वक्त बिताते हैं खुद भी हंसते हैं दूसरों को भी हंसाते हैं, चलो हंसते-हंसते बुरा वक्त बिताते हैं। किसी को समझाते…

  • घर पर रहे

    घर पर रहे

    जब तक अपना कुछ न बिगड़ता है, तब तक कोई यहाँ न संभलता है। विपदा भारी जब आती है, तब होती यहाँ तैयारी है। नियमों को ताक पर रखने की अपनी ये पुरानी आदत है। घर पर रहना है सबको तो बाहर निकलने की फितरत है। शहरों तक जब पहुँचा था, तब हम गाँवों में…

  • पलायन

    पलायन

    बेरोजगारी, गरीबी और मजबूरी ने मिलकर एक व्यक्ति इतना तंग किया, एक दिन वह बोरिया विस्तर लादकर घर छोड़कर चल दिया। सोचा! क्या करुँगा, कहाँ जाऊँगा मन मे बडा़ उदास था, कुछ भी करूँगा पर घर लोटकर नहीं जाऊँगा ये उसे विश्वास था। पहुँचा कहीं, फिर उसे दो रोटी का गुजारा मिल गया, जैसे डूबते…

  • मृत शरीर सा छाती लिए

    मृत शरीर सा छाती लिए

    मै इलाहाबाद का नैनी वाला नया पुल भाई मेरी उदासी का हाल क्या जाने कोई? कभी सभी टहलते थे, मेरी छाती पर अपनों के संग और अकेले भी प्रेमी जोड़े इंतज़ार में करते हुए एक दूसरे की रति के लिए छोटे बच्चे परिवार संग, पत्नियां अपने प्रिय अप्रिय पतियों को लेकर देशी विदेशी पर्यटक दिन…

  • युद्ध

    युद्ध

    चल रहा युद्ध अब बिछ रही लाशे शत्रु अदृश्य है थम रही साँसे। न बम है न बारूद खौप है मन में अमेरिका का भी पस्त है इटली त्रस्त है चीन अभी मस्त है भारत दृढ़ है चल रहा युद्ध अब बिछ रही लाशे। ~ सतीश कुमार माहतो

  • शुक्रगुज़ार हैं प्रधानमंत्री जी के

    शुक्रगुज़ार हैं प्रधानमंत्री जी के

    सच कहूँ जब मैंने भी सबकी भांति सुना दीपक जलाना है तो लगा ठीक है अच्छा है इसी बहाने बिन त्यौहार त्यौहार मना लेंगे उत्सुकता जरूर थी कि इस अजीबोगरीब माहौल में आज कुछ अलग सा होगा सकारात्मक भाव लिए मन को बहलाया जा रहा था ये भी ज्ञान था कि इसे आशा का दीपक…

  • एक दिया

    एक दिया

    इस महामारी के अंधकार की लड़ाई में आशा का एक दीपक यूं ही जलाए रहना हैं हमें आपको हम सबको देश का साथ देना हैं। मन के सारे अंधकार को मिटाकर एक दिया जलाए रखना है दौर नहीं हैं ये निराश होने का वक्त नहीं अभी हताश होने का दिए में उस निराशा को साथ…

  • देखा मिसाल दुनिया ने

    देखा मिसाल दुनिया ने

    संकल्प, इच्छाशक्ति की राशि विशाल दुनिया ने एकता के हिंद की, देखा मिसाल दुनिया ने विश्वास की परिधि ने हर मन को था घेरा हुआ लग रहा था रात में कि, जैसे सवेरा हुआ था हर तरफ प्रकाशमान दीप इतने जल उठे बंद सारी बत्तियां थीं पर न अंधेरा हुआ नौ मिनट में सदियों सा…

  • अंधकार से प्रकाश की ओर

    अंधकार से प्रकाश की ओर

    दीप जलाकर हमने दे दिया एकता का संदेश, सबको दिखलाया सदियों से महान भारत देश। अचानक इस विपत्ति का हम करेंगे मुकाबला, एक रहेंगे सदा, हम अकबर डेविड या सुरेश।। पूरी दुनिया को हमने एकता का पाठ पढ़ाया, वसुधैव कुटुंबकम का सदैव ही बात बताया। जब भी हिम्मत हार चुके हैं पूरी दुनिया वाले, हौसला…

  • दीप हम जलाएंगे

    दीप हम जलाएंगे

    दीप हम जलाएंगे, अंधकार निराशा को हम मिटाएंगे मन में जीत की आशा जागयेंगे, कोरोना को हराएंगे जाति-धर्म से ऊपर उठ कर, एकता को दिखाएंगे राजनीति से हट कर, हम राष्ट्रीय हित अपनाएंगे भारत के नागरिक का, कर्तव्य हम निभाएंगे सामाजिक दूरी ध्यान में रखकर, कोरोना वारियर्स बनकर डॉक्टर – पुलिस प्रशासन – सफाई कर्मचारी…

  • एक दीपक जला ऐसा भी

    एक दीपक जला ऐसा भी

    एक दीपक जला ऐसा भी धरा में इतिहास जिसे रखेगा याद सदा। हुआ हैं डामाडोल समस्त विश्व भारत तब भी जगमगा रहा था।। अरबों की संख्या लिए लिए दीप होगा विश्व पटल में अंकित यह। दिखी है फिर भारत की एकता चहुं ओर संकट के बादल छाए।। भारत में एक साथ जो जल गया अस्त्र…

  • मैं दीया हूँ

    मैं दीया हूँ

    मैं दीया हूँ, उजाले का वंशधर , जब तक प्राण वर्तिका घोर तम से लडूँगा। मैं दीया हूँ, उम्मीद की निशानी हर नगर, हर गली निराशा को हरूँगा। मैं दीया हूँ स्वयं मौन का साथी विरक्ति में भी तुम्हारे अकेलापन को भरूँगा। मैं दीया हूँ सत्य पथ का पथिक स्वयं को जलाकर मार्ग रोशन करूँगा।…

  • उम्मीद का दीया

    उम्मीद का दीया

    एक सवाल कुछ यूँ पूछा पापा ने, क्यूँ मौन है आज कलम? क्या दर्द नही होता, इस शायरा को अब? कैसे बयां करूँ, अंतर्मन का युद्ध डरती हूँ कैसे संभालेगी, चार पंक्तियाँ मेरे देश का दर्द। कर हिम्मत करते हैं हाल-ए-दिल बयां, कि मौन रहना मेरी कलम ने सीखा कहाँ!! शहर के शहर खड़े हैं…

  • आओ दीप जलाए

    आओ दीप जलाए

    अंधकार का नाश हो सारे जग मे प्रकाश हो मिलकर ऐसा कदम बढा़यें आओ मिलकर दीप जलायें कोरोना का नाश हो निज शक्ति का अहशास हो भारत को हम विजयी बनायें आओ मिलकर दीप जलायें हिन्दू , मुस्लिम सिक्ख ,ईसाई आपस मे सब भाई भाई निज एकता का अहशास करायें आओ मिलकर दीप जलायें ~…

  • हम सभी

    हम सभी

    चलो जलाये मिलकर दीप ज्योति अंधकार मय कोरोना को दूर भगाये हम सभी अपने देश की एकता को दुनिया को दिखलाये हम सभी पांच अप्रैल रविवार रात्रि नौ बजे कुछ नौ मिनट निकालें हम सभी इस काल मयि कोरोना वायरस को मूल जड़ से नष्ट करने के लिए जागरण करें हम सभी अकेले नहीं हम…

  • आओ दीया जलाएँ

    आओ दीया जलाएँ

    आओ मिलकर कोरोना रूपी वायरस को भगाएँ क्युं न आज फिर एकबार मिलकर हम सभी दीया जलाएँ ॥ त्यौहारों का मौसम है फिर से हम दीवाली मनाएँ दीपों की रोशनी से आज फिर घर सजाएँ ॥ आओ मिलकर फिर दीया जलाएँ …. साथ मिलकर मानवता का पाठ सिखाएँ हिन्दू , मुस्लिम , सिक्ख , ईसाई…

  • मैं गॉव लौटना चाहता हूं

    मैं गॉव लौटना चाहता हूं

    जहां खुली आंखें मेरी, जहां मैंने चलना सीखा, बापू की वह स्नेही अंगुलियाँ, जिसे पकड़कर चलना सीखा, जिस का आशीर्वाद सदा सर पर मेरे, उस माँ के अंक में सोना चाहता हूं, ऐ जिंदगी थोड़ी मोहलत दे मुझे, मैं घर लौटना चाहता हूं। जहां बीता बचपन मेरा, जहां ले मैने अंगड़ाइयां, था प्यार मिला इतना…