Category: कविताएं

  • करोना और हालात

    करोना और हालात

    हर तरफ आदमी का रोना है हम पे हावी अभी कोरोना है ज़िन्दगी के सफ़ेद धागों में मोतियां सब्र की पिरोना है फ़िक्र उनकी भी कीजिए थोड़ा जिनका फुटपाथ ही बिछौना है इतने आंसू बहा दिए हम ने खुश्क आंखों का कोना कोना है। लोग खामोश और सड़क सुनसान हाए मंज़र बड़ा डरोना है क्या…

  • कोरोना आया

    कोरोना आया

    आया-आया कोरोना आया डर-दहशत का साम्राज्य लाया आओ साथी हो जायें सजग सावधान बचायें स्वयं की परिवार-समाज की जान घरों में छिपकर बैठ जायें काम हो बहुत जरूरी तभी बाहर आयें हाथ धोएं बार-बार कई बार मलमल कोरोना से बचने का ध्यान रखें पल-पल मास्क लगायें, एक मीटर की दूरी बनाये हर जन सेनेटाइजर का…

  • सहयोग

    सहयोग

    आज समस्त विश्व को सहयोग की परमावश्यकता है लोगों के सहयोग की. इस विश्व विपदा की घड़ी में सहयोग की मानवता को बचाने में सहायक होगी. यह युद्ध अब वैश्विक हो चला है, इसके तौर तरीके बदल गये हैं. अब युद्ध अस्त्र शस्त्रों से नहीं धूर्तता से थोपी जा रही है, जो कलंक है. मानवता…

  • दान करो

    दान करो

    कुछ समय देश सेवा में दान करो न मन्दिरों में दान करो न मस्जिदों में दान करो न चर्च में दान करो न गुरुद्वारे में दान करो । अगर दान ही करना है तो कुछ सप्ताह का समय अपने घरों में रहकर वो समय देश सेवा में दान करो। कोरोना को हराने में सामाजिक दूरी बनाने में डॉक्टर और पुलिस-प्रशासन को न परेशान करने में अपना समय उनके लिए…

  • तीन क्षणिकाएं

    तीन क्षणिकाएं

    कलमकार सुधांशु रघुवंशी ने कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं जो जिंदगी के किसी छोर की सच्चाई बता रही हैं आइए उनके मुक्तक व विचारों को पढ़ें। वियोग की पीड़ा से परिचित नहीं फेंकते बहती नदी में कंकड़ उन्हें भय होता है कहीं ठहर न जाए नदी, सागर प्रतीक्षा कर रहा होगा ।१। वह शब्द जिसका…

  • नारीत्व मेरी पहचान

    नारीत्व मेरी पहचान

    गोपेंद्र कुमार गौतम जी की यह कविता पढें जो स्त्रियों की समर्थता और कुछ सवाल जताती है। वास्तव में गुण और कौशल में भी नारी किसी से कम नहीं है। मैं ही जगत जननी, मानवता की मां मैं, मैं ही पालनहार हूं! फिर भी सदियों से, सह रही अत्याचार हूं। कोई मेरे चीर पर, कोई…

  • कोरोना के खिलाफ़ सहयोग

    कोरोना के खिलाफ़ सहयोग

    सूझबूझ से लड़ना होगा हमें मिलकर इस बिमारी से लाॅकडाऊन में बिना किसी कारण से बाहर न निकलें चारदीवारी से वैश्विक पटल पर भंयकर छाया है “कोरोना” का कोहराम सभी से विनती है घर पर ही करना होगा आराम न दिन है इसका न है इसकी कोई शाम सजग रहें, लापरवाही न बरतें कोई इंसान…

  • डॉक्टर रुपी ईश्वर

    डॉक्टर रुपी ईश्वर

    आज मैंने धरा पर भगवान को विचरण करते देखा ईश्वर के वेश में इन्सान को गमन करते देखा आज परमेश्वर डॉक्टर के वेश में वसुधा पर आया है संग अपने जिंदगी की सौगात लाया है जब जब मौत ने भू पर ताडंव मचाया है डॉक्टर रुपी ईश्वर ने हमें मौत से बचाया है चहुंओर जब…

  • लड़ाई जारी है

    लड़ाई जारी है

    सभी की परिवार के प्रति जिम्मेदारी रहती है, यदि उन्हें निभा लें तो हम धन्य हैं। माता-पिता के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है अतः उनके प्रति खास जिम्मेदारी होती है। कलमकार निहारिका चौधरी कहतीं हैं कि माता-पिता को सम्मान दिलाने की लड़ाई जारी है। मेरी ख़ुद से लड़ाई जारी है, जो देखा…

  • महिला एक प्रेरणा

    महिला एक प्रेरणा

    कलमकार पूजा कुमारी बाल्मीकि लिखतीं हैं कि महिला एक प्रेरणा है। हमारे सामने कई उदाहरण हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि महिलाएं हर क्षेत्र कामयाबी के शिखर पर हैं और उनसे हमें सीख लेने की जरुरत है। महिला आज धरती से अस्मा तक नाप चुकी है हर काम में अव्वल, हर जुनून को जी…

  • बेअदब

    बेअदब

    कलमकार अजय प्रसाद जी कहते हैं कि हम तो सीधी सरल भाषा में लिखते हैं परंतु यह हो सकता है कि किसी को बेअदबी सी महसूस हो जाए। हाँ! सही कहा आपने अदिबों की नज़र में ‘बेअदब’ हूँ मैं । क्योंकि न मैं कहता गज़ल हूँ ‘बहर’ में ,न लिखता हूँ कोई गीत,नवगीत,कविता,दोहा छ्न्द के…

  • जय श्री राम

    जय श्री राम

    त्याग का पर्याय प्रतीक शौर्य का पुरुषों में उत्तम संहर्ता क्रौर्य का परहित प्रियता भ्राताओं में ज्येष्ठ कर्तव्य परायण नृप सर्वश्रेष्ठ शरणागत वत्सल हैं आश्रयदाता दशरथ नंदन भाग्य विधाता भजे मुख मेरा तेरा ही नाम जय सिया राम जय श्री राम ~ आलोक कौशिक

  • कोरोना असुर का माँ संहार करो

    कोरोना असुर का माँ संहार करो

    आए नवरात्रे तेरे शेरावालिये, आए नवरात्रे तेरे महाकालिये। जहां घर-घर में तेरी ज्योति प्रकाश करती हैं , वहां आज कोरोना की महामारी हाहाकार मची है। जहां मंदिरों में बैठकर मां तेरे भजन गाए जाते हैं, आज उन मंदिरों के द्वार बंद पड़े है। जहां लोगों की जुबान पर मां मां की धुन होती है, आज…

  • रामनवमी

    रामनवमी

    जन्म लिया प्रभु ने धरती पर तो यह धरती बनी सुख धाम, गर्व है, हम उस मिट्टी में खेले जहां अवतरित हुए प्रभु राम। राम नाम में सृष्टि है समाहित इस नाम में बसे हैं चारों धाम, हर संकट को झट से हर लेते सब मिल बोलो जय श्री राम। जिनकी मर्यादा एक शिखर है…

  • श्रीराम की स्तुति

    श्रीराम की स्तुति

    हे जगत के महावीर स्वामी, तू सदा कल्याण कर चर अचर सकल जगत का, तू महा कल्याण कर हे दशरथ सुत! तेरे चरण को पखार कर प्रणाम है तू धरा का तेज़ मानस, कण कण में बसा नाम है साहस नहीं कैसे लिखूं, मर्यादित पुरुषोत्तम नाथ पर बस मिट ही जाऊं भक्ति में तेरे, हस्त…

  • मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम

    मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम

    अखिल ब्रह्मांड के नायक, मानव में है उत्तम । कार्य सब मर्यादित किए, कहलाए पुरुषोत्तम।। अभिनय एक से अनेक है, पुत्र शिष्य रणधीर । चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को, जन्म लिए रघुवीर।। पितु आज्ञा किए शिरोधार्य, किए गमन भू तारी। तीर्थ बने जहां चरण पड़े, नारायण के अवतारी। जीवन नैया पार लगाए, दिव्य छवि जग…

  • मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र

    मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र

    है अद्भुत तेरी लीला प्यारी, जनता सुख, त्यागे सुकुमारी, सीता बिछड़े न राजधर्म, प्रभु शरण है दुनिया सारी, वन को जाय न अकुलानी, महल बिसराय हे कृपानिधानी, वन का राज सहज स्वीकारा, मुख पर सूरज तेज़ स्व-अभिमानी, विचरण कर वन असुर गिरायो, हर सुर के तुम सुर कहलायो, पाप नाश तुम ईश्वरदानी, अतुल मुख कर…

  • पलायन को मजबूर जिंदगी

    पलायन को मजबूर जिंदगी

    ऐश्वर्य की आस में बस गए जो देश परदेस, आपत्त काल में याद आया उन्हें निज देश। मजबूरी ले गयी जिन्हें अपनी माटी से दूर कोरोना के खौफ से घर चलने को मजबूर। खाली हाथ आए घर से काम की तलाश में आज फिर घर चले दो निवालों की आस में। बेहतर कल की आस…

  • कोरोना के कहर से

    कोरोना के कहर से

    कोरोना के कहर से कांप उठा संसार अब भी संभल जाओ दुनिया के लोगो, वर्ना चारो और मच जाएगा हाहाकार। देशभक्ति की बाते करते-करते जो कभी नही थकते, वही किसी के समझाने पर अपने घर क्यों नही रुकते। प्रशासन को सख्ती करने पर क्यों करते हो मजबूर, कुछ दिन की बात है प्यारो, रह लो…

  • प्रलय

    प्रलय

    अस्वमेध को राहु ने घेरा सबके मन में संशय का डेरा विचलित है क्यों आज पथिक मन यह दृश्य भयावह घोर अंधेरा असमंजस की कैसी दशा यह कैसा है यह सुप्तावस्था व्याकुलता सबकी व्याकुल होकर कर रही पार अब परम पराकाष्ठा अर्चन विघ्नों का कैसा यह कालखंड प्रतिकूलता प्रतिछन कर रही समन्वय मानो पर गई…