पलायन- एक सच्चाई

पलायन ही तो मेरे जीवन की सच्चाई है कभी प्रकृति की मार से तो कभी जगत के स्वामी की अत्याचार से पलायन तो मुझे ही करना पड़ता है। कभी अपने लिए, तो कभी अपनों के लिए पलायन ही तो मेरी…

0 Comments

सच बताते हैं

आइये हम अपको सच बताते हैं जिक्र नहीं कहीं वो सब दिखाते हैं। कैसे, क्यों और कब हुआ हादसा पूरी बात आज और अब बताते हैं। हम किसी घटना रोकते ही नहीं पहले उसका पूरा विडियो बनाते हैं। चाहे कोई…

0 Comments

पलायन का जन्म

हमने गरीब बन कर जन्म नहीं लिया था हां, अमीरी हमें विरासत में नहीं मिली थी हमारी क्षमताओं को परखने से पूर्व ही हमें गरीब घोषित कर दिया गया किंतु फिर भी हमने इसे स्वीकार नहीं किया कुदाल उठाया, धरती…

0 Comments

कोरोना- बिन मौसम की बारिस

ये बिन मौसम की बारिश क्या कहने आई हैं। रो रहा हैं खुदा हमें ये बताने आई हैं।। खुदा ने पृथ्वी पर सबसे ताकतवर जीव इंसान बनाया। जिसने अपनी ताकत के दम पर हर जीव को सताया।। अपने शौक के…

0 Comments

जस्बात

हमारे मन में अनेक भावनाओं ओत-प्रोत होती रहती हैं, सभी को हम जाहिर नहीं कर सकते हैं। प्यार तो एक भावना है- कलमकार दीपमाला पांडेय ने कुछ जज्बात इस कविता में लिखकर जाहिर किए हैं। कौन करता है तुझको भुला…

0 Comments

हे राम! अब तो लो अवतार

घनघोर अज्ञानता के अंधेरे में डूबा है संसार छल कपट भरा सबके मन में भूल गए प्यार क्यों ना आए बताओ जलजला प्रकृति में जब जी रहा हर इंसान अपने ही स्वार्थी में अपने मन को खुश करने के लिए…

0 Comments

मदद मजदूरों की

सड़कों पर कितने मजदूर परेशानी में घूम रहे। अपने अपने घर तक पैदल पैदल ही कोसों चल रहे।। ऐसे लोगों के भोजन पानी की मदद कर दीजिए। मास्क व सेनेटाइजर बांट कर राशन पानी दे दीजिए।। जो बाहर फंसे है…

0 Comments

भूख भुला देती है अक्सर

भूख भुला देती है अक्सर पैरों में पड़े उन क्षालों को नहीं रुक सके कदम किसी के लॉकडाउन हड़तालों से। गलती इनसे हुई नहीं है पूछो इक बार बेहालों से हिंदुस्तान ये अपना चलता है सूखी रोटी के निवालों से।…

0 Comments

सावधान क्यों नहीं?

हम लोग आज भी ना, सावधानी बरत रहें कोरोना से, लड़ना भी है जान सबकी, जोखिम में है फिर भी इंसान बेखबर सा है। क्या आप सबको जान प्यारी नहीं? अपनी नहीं, दूसरों की सही विश्व जहाँ त्राही मम, त्राही…

0 Comments

प्यार का ज़िक्र

कलमकार अमन आनंद ने प्यार के जिक्र को अपने अंदाज में लिखा है। प्रेम का इजहार भी कवियों को कविताएँ लिखने का के लिए खास मुद्दा जान पड़ता है। न यूँ नज़रों से क़त्ले आम कर दे ये दो प्याले…

0 Comments

इस मन की पीर लिखूँ कैसे

मजबूर हुए मजदूरों की इस मन की पीर लिखूँ कैसे लाचारी बनी हुई सबकी लौटूँ घर-बार अभी कैसे। इस कोरोना का कहर हुआ और हाहाकार मचा ऐसे चल लौट चलें अपने घर को अब गाँव से दूर रहूँ कैसे। कैसी…

0 Comments

पलायन- घर जाने के लिए

आज वीरान सड़कों पर भीड़ का रेला देखासिर पर सामानों की गठरी हाथ मे बच्चों को देखा। लोग पलायन कर रहे एक जगह से दूसरी जगह जा रहेअपने घर जाने की जिद ठान रखी है इन्होंने। भूखे प्यासी जनता भटक…

0 Comments

हो महान! अब सब को दिखलाओ तुम

हो महान अब सबको दिखलाओविश्व गुरू वाला रूप बतलाओ।हर महाशक्ति हमसे हारी थीमहान भारत की हर नारी थी।कोरोना हमसे दूर ही रहनायहां गंगा का निर्मल नीर हैं बहता।मिलजुल कर हम साथ हैं रहतेजाति धर्म में भेद ना करते।हैं महान विश्व…

0 Comments

संयम

संयम का यह वक्त है, देश करे पुकार अब तो जनता मान ले, वक्त की ये धार जीवन में संयम बड़ा, होता महत्वपूर्ण अंग अनुशासन के बिना, चले न देश, न जीवन आज जरूरत संयम की, बात ये लो मान…

0 Comments

पलायन- मजदूरों का

कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन से दिहाड़ी मजदूर की पलायन करने की हृदय विदारक व्यथा को व्यक्त करने की एक कोशिश कलमकार सूर्यदीप कुशवाहा ने की है। मैं गरीब हूं बदनसीब हूं लॉक डाउन है बच्चे रो रहे हैं…

0 Comments

पलायन- इंसानियत का

पलायन इन्सानों का नहीं इंसानियत की हैजंग लगी रहनुमाई और सड़े सियासत की है।अब तो बात हद से भी है आगे निकल चुकीअब कहाँ यारों काबू में सब ज़्म्हुरियत की है।दोषारोपण के खेल में हैं माहिरों की जमातेंकिसको कितनी चिंता…

0 Comments

लक्ष्मण रेखा

लक्ष्मण रेखा खींच ली पर किया क्या इसका अनुमान. है नहीं आसान यह है नहीं आसान. नहीं माना माता जानकी ने पार की लक्ष्मण रेखा. देखा क्या हाल हुआ, रावण ने अशोक वाटिका में रखा. रोते रोते राम लखन का…

0 Comments

जय जय राजस्थान

राजस्थान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ३० मार्च, १९४९ में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना था। कलमकार देवकरण गंडास अरविन्द ने इस विशेष अवसर पर चंद पंक्तियाँ लिखी हैं। वीर प्रसूता है यह…

0 Comments

कोरोना से बचिए और जागरूक रहिए

कोरोना महामारी बचिए और जागरूक रहिए। भारत इसे जरूर हराएगा। यूं तो देखे थे सभी, इस संसार में महामारी बहुत हर दौर में दौरों का गुज़र है, मौत की सवारी बहुत नहीं दवा है इस सितम की, ख़ुद रहो महफूज़…

0 Comments

हर हिंदुस्तानी का फर्ज़ है

हर हिंदुस्तानी का जो अभी फर्ज़ है, मां भारती का हम सब कर्ज है। घर में रहे सब यही हमारा अर्ज़ है, कॉरोना को हराने का यही मर्ज है।। करे इक्कीस दिन का तप यही राष्ट्रधर्म है, अपनों के लिए…

0 Comments