कोरोना पीड़ित का संदेश

जवानी के उन्माद में निकल आया बाहर गली मोहल्ले चौराहों पर फैला था जहर गलतफहमी थी मुझे कुछ न करेगा कोरोना आईसीयू में अपनी करनी पर आ रहा रोना। कोरोनो के चपेट से मौत सामने हैं खड़ी अपनों को दे…

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भोगो अब परिणाम कोरोना

डॉ. शशिवल्लभ शर्मा जी ने अपनी छात्रा प्राची गोयल की रचना प्रस्तुत की है। कोरोना वायरस ने सभी को चिंतित कर रखा है। वर्तमान समय में आए इस संकट पर कलमकार प्राची गोयल की पंक्तियाँ पढ़े। मेरे महादेव भोले भंडारी…

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लॉकडाउन में बैठे बैठे

लॉकडाउन में बैठे बैठेकोई नहीं सफरकोरोना नाम से चीनीचाचा, दे गए ज़हरकुछ मत सोचो भाईआओ चलें, किचेनदूध, दही, संग खानाखाएं, दूर रखेंगे हेनआओ चलो मलाई कांटेअपने रसोईघर लॉक डाउन में बैठे बैठेकोई नहीं सफरमत निकलो, बाहर कोईवहां पुलिस खड़ी हैबंदा…

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रोटी- लॉकडाउन में मजदूर

भारत में हुये लॉकडाउन से त्रस्त दिहाड़ी मजदूर की पीड़ा वह दिन भर फावड़ा चला रहा था, रूखी-सूखी ही कुटुम्ब को खिला रहा था, हाय कोरोना, तुझे वो बद्दुआ दे रही थी, बच्ची रोटी-रोटी चिल्ला रही थी। सुन नन्ही गुड़िया…

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समझदारी

इतना न घबराओ तुम घर को ही सब कुछ बनाओ तुम ॥ चला जायेगा कोरोना भी इतना न डरो तुम ॥ बस समझदारी दिखाओ तुम बात करती बार दूरी बनाओ तुम ॥ वैश्विक विपदा आन पड़ी जिन्दगी हम सबकी परेशान…

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आवाज़ उठी है

प्रेम की चाहत तो हर इंसान को होती है। कलमकार शुभम पांडेय लिखते हैं कि मन में कभी-कभी अपने प्रणय को पाने की आवाज़ उठती जरूर है। आज फिर से एक बगावत की आग उठी है दिल से मेरे तुम्हे…

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कोरोना संक्रमण की बीमारी

पूरे जग में छाई है महामारी कोराेनो संक्रमण की बीमारी जो मेल मिलाप को बढ़ा रहे यह उन लोगों से ही है जारी। हम सब रहेंगे आज से घर यह अटल प्रतिज्ञा है हमारी, नहीं बढ़ने देंगे इसको अब कोशिश…

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हमें सतर्क रहना कोरोना से

जब मैं निकलता हूँ भीड़भाड़ गलियों से तो एक डर सा लगा रहता है रोशनी से जगमग भीड़ वाली दुकानें मुझे परेशान करती हैं मुझे परेशान करती है बिना मास्क लगाए लोगों के चेहरे भीड़ का नहीं बनना चाहते हिस्सा…

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अनुरोध आप सबसे है

अनुरोध, आप सबसे करती हूँ मैं भी घर में, बैठी हूँ दिन-रात, डाक्टर-नर्स है काम में लगे सही समय पर खा तक, नहीं पा रहे वे। पुलिसकर्मी दिन-रात लाठी चार्ज करते, क्या तुम सबमें, समझ न थोडी़ भी है आज…

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रोक दी रफ़्तार कोरोना

तेजी से भाग रही दुनियाँ की रफ़्तार को पल भर में ही थाम दिया कोरोना चंद पलों का समय नही था मानव को चंद पलों का भी काम न छोड़ा कोरोना। चाँद मंगल पर पहुँचने वाले मानव को एक पल…

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कोरोना से बचने के उपाय

डरो मत कोरोना से, लड़ते रहो मगर अपनी तैयारी करते रहो नहीं पार करना ये देहलीज घर की निकलना ना बाहर ये चींखें हैं दर की गले को रखो तर, ना उसको सुखाओ ये सब से अहम है सभी को…

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कोरोना से डोल गया संसार

कोरोना से डोल गया सारा संसार, चहूँ ओर मचा है कैसा ये हाहाकार। देखो विष ने क्या कर दिया काम, सरहदें बन्द सब ओर लगा विराम । चीन से उपजा विष यह भयानक, प्रबल वेग से फैल गया अचानक। मानुज…

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थोड़े स्वच्छ बन जाओ तुम

थोड़े सहम हो जाओ तुम, उतने भी ना घबराओं तुम, है, कोरोना वायरस का कहर, थोड़े स्वच्छ बन जाओ तुम। सर्दी खाँसी है, जिन्हें थोड़े दूर रखो उन्हें, जब बुख़ार-थकान लगे उन्हें, तुरंत डॉक्टर से मिलाओ उन्हें। हाथ-मुँह पर रखो…

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कोरोना पर प्रतिबंध लगाओ मां जगदम्बा

नवरात्रों में धरा लगे बड़ी शोभित महामाया दुर्गा का घर-घर पूजन।। सृष्टि सृजन का प्रथम दिवस है यही किए थे इस दिन विधाता आवाहन। महामारी को नष्ट करो मां जगदम्बा यही विनय करें हम हिन्द के पुजारी।। जब जब हाहाकार…

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वक्त कुछ कहना चाहता है

अच्छा हो या बुरा, हर वक्त कुछ कहना चाहता है। इसकी बातों को भांपकर और समझकर जीवन में अनुसरण करना चाहिए। हर पल हम कुछ नया ही सीखते हैं, आइए कलमकार डोमन निषाद 'डेविल' की यह रचना पढ़ते हैं। हर…

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कोरोना मुक्ति प्रार्थना

हे प्रभु आनंद दाता उपकार हम पर कीजिए कोरोना के संकट से उबार हमें दीजिए। फंसी है बीच मझधार नैया पार इसे कीजिए हे प्रभु आनंद दाता उपकार हम पर कीजिए। भूल हुई अगर कोई हमसे तो भूल माफ कीजिए…

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ईश्वर वंदना- कोरोना मुक्ति

हे जगत नियंता, हे पालनहारी आन पड़ी हम पर विपदा भारी। सजा दी किस भूल की इतनी भारी त्राहि-त्राहि कर रही दुनिया सारी। संकट पड़ा जगत पर भारी फैली जब से कोरोना बीमारी। खांसत-छींकत डरें अब नर-नारी कोरोना कहीं ले…

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ग़लतफ़हमी हो तुम

जब कोई समझ न आए या फिर उसकी बातों का अलग अर्थ मिले तो कहा जा सकता है कि कुछ ग़लतफ़हमी हो गई है। कलमकार गौरव शुक्ला 'अतुल' जी ऐसे ही कुछ भाव अपनी कविता में संबोधित करते हैं। ग़लतफ़हमी…

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माँ तेरा ही एक सहारा है

हे माँ भगवती अपने लाल को ये वरदान देना। टूटे हौसला जब भी मेरा हाथ माता थाम लेना।। दुख में सुख में हर स्थिति में माँ तुझे ही पुकारा है। भंवर में फंसी है नैया माता तेरा ही एक सहारा…

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नव वर्ष में प्रीत का पैग़ाम

हिंदू नव वर्ष में प्रीत का देना चाहता पैगाम, तोड़ने का न, वरन जोड़ने का करूँगा काम। अपने ईमान से न कभी भी मैं लड़खड़ाऊंगा, नव वर्ष में अच्छा करूँगा लोग लें मेरा नाम।। नव वर्ष में इंसानियत ही बन…

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