ताउम्र तुझपे लिखूं

कलमकारों अभिषेक प्रकाश लिखते हैं कि कभी-कभी मन करता है कि सारी उम्र सिर्फ उसी के बारे में लिखते रहें। आखिर क्यों न लिखें वह इतना भाता है कि दूसरा कुछ सूझता ही नहीं है। सोचता हूँ ताउम्र तुझपे लिखूं!वो…

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कोरा-काग़ज़

हम कविताएँ तो लिखते हैं किन्तु क्या आपने कभी यह सोचा है कि जिस कागज पर लिखना है वह भी हमसे बात करेगा? कलमकार साक्षी सांकृत्यायन की यह कविता पढें जिसमें कोरा कागज़ कई सवाल पूछ रहा है। कोरा-काग़ज़ ये…

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कभी मैं देखती थी

सुख समृद्धि जब तक हमारे आंगन में रहती है तब तक अनेक मित्र इर्द-गिर्द मंडराते रहते हैं। कलमकार अपरिचित सलमान ने प्रकृति के उदाहरण से इस तथ्य को संबोधित किया है। दुख की घड़ी में साथ देने वाले दुर्लभ हो…

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हर युग में चीर हुआ औरत का

कलमकार साक्षी सांकृत्यायन लिखतीं हैं कि हर युग में औरतों को उनका सम्मानित स्थान नहीं मिल पाया। समाज के संस्कार में जरा सी कमी रह ही जाती है जिससे स्त्रियों के मन को पीड़ा पहुंचती है। हर युग में चीर…

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स्याह

अंधेरा कुछ पलों के लिए ही होता है, क्योंकि वह ज्यादा देर तक टिक ही नहीं सकता है। हर रात का अंत सूरज की पहली किरण के साथ ही हो जाता है। इसी तरह जीवन में आनेवाली विपदाओं का भी…

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नहीं मिलते दर्द साझा करने वाले

गम की कमी जीवन में नहीं है, हर एक के पास अनेकों गम होते हैं। हमारे इन गमों को बांट लेने वाले लोग नहीं मिलते हैं, हमें ही उनका समाधान खोजना पड़ता है। कलमकार राहुल प्रजापति की इस रचना में…

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एक पत्र ईश्वर के नाम

ईश्वर में आस्था आपके भीतर की सकारात्मक ऊर्जा ही है जो आपको अकेला या हीन नहीं महसूस कराती है। कलमकार राजीव डोगरा 'विमल' की एक पाती पढ़ें जो उन्होंने ईश्वर के नाम लिखी है। मेरे प्रिय ईश्वर मैं तुम्हें जानता…

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दिवस आया एक नया

हर दिन, हर घड़ी शुभ होती है और कोई भी पल अशुभ नहीं होता है। फाग का महीना है, सभी लोग उत्साहित हैं, आज फिर एक नया दिन आया है और कलमकार मुकेश वर्मा यह कविता प्रस्तुत की है। दिवस…

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पैगाम

भारतवर्ष के इतिहास की गाथाओं से प्रेरित होकर कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी एक पैगाम दे रहे हैं कि उन कहानियों/कथाओं से जो कुछ भी सीखा हो उसे भूलो नहीं बल्कि जीवन में आत्मसात करो। मैं पैगाम मुहब्बत का देने…

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मै भी एक स्त्री हूँ

किसी दरिंदे का हृदय परिवर्तन करना कठिन कार्य होता है। कलमकार अतुल कुमार मौर्य 'अल्फाज़' की यह रचना उन हैवानों को समझाने की कोशिश कर रहीं हैं जो अपनी हवश में सब कुछ भूल जाते हैं। हर स्त्री सम्माननीय है…

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दुनियाँ से ज़ुदा हो जाऊँ

कहते हैं कि दिल का दर्द दूसरों से साझा कर देने पर हल्का/कम हो जाता है। हम सभी ने यह महसूस किया होगा कि जब दिल बेचैन हो तो अपने मन की बात हम किसी को बताना चाहते हैं और…

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शिक्षक

हम सबका एक करीबी रिश्ता होता है शिक्षक के साथ। कलमकार अभिषेक कुमार ने शिक्षक के प्रति अपने विचार और भावों को इन शब्दों में जताया है। शिक्षक मार्गदर्शक, मित्र और पिता की भी भूमिका निभाते हैं। मेरे दिल में…

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वक़्त की दास्ताँ

वक्त लोगों का न जाने कैसे कैसे हालातों से परिचय करवाता है। वक्त की मार और फटकार हमें जीवन जीने का सही तरीका सिखाती हैं। कलमकार खेम चन्द ने अपनी कविता में वक्त से जुड़ी हुई कुछ बातें लोगों से…

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बहनें भाई की जान होती है

भाई-बहन का रिश्ता भी नोंक-झोंक से भरा होता है परन्तु इस रिश्ते में प्यार अपार होता है। कलमकार शेष नाथ त्रिपाठी बहनों के लिए लिखते हैं कि वे तो भाई की जान होती हैं। बहनें जान होती है भाई की,…

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तलाश भारत की

भारतमाता की गोद में ऐसे-ऐसे सपूत खेलें हैं जिनपर हमें ही नहीं बल्कि विश्व को भी गर्व होता है। कलमकारों डॉ. कन्हैयालाल गुप्त जी उन्हीं सपूतों के जैसे नए चेहरे अपने भारत में चाहते हैं। भारत की तलाश- उनकी यह…

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चंद्रशेखर आज़ाद

क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के शहीदी दिवस पर शत शत नमन और सादर स्मरण। कलमकार प्रीति शर्मा ने श्रद्धांजली स्वरुप यह कविता हम सभी से साझा की है जो आजाद जी के जीवन पर आधारित है। अपना नाम... आजाद पिता का…

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बावला मन

कलमकार मनीषा मीशा ने यह कविता साझा की है जो मन में उठने वाले विचार और भावों को वयक्त करती है। हम सभी के मन में तरह-तरह की भावनाएं, इच्छाएं और प्रश्न हमेशा उठते रहते हैं। कविताएँ उन्हें जाहिर करने…

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मैं चाहता हूँ

कलमकार अपरिचित सलमान की एक कविता पढें जिसमें उन्होंने अपनी चाहत लिखी है। हम सभी के मन में अनेक इच्छाएं और अरमान होते हैं, उन्हें सबके सामने बता पाना थोड़ा कठिन सा लगता है। चाहता हूं मैं भी उस श्वेत…

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मै पतझड़ हूं

पतझड़ का मौसम मन को नहीं भाता है, लेकिन यह एक सत्य है कि हर साल यह आएगा। इसी प्रकार जीवन में भी अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं किन्तु वे क्षणिक होते हैं। हमें किसीका क्षणिक व्यवहार देखकर कोई अप्रिय राय…

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मैं समय हूं

समय बड़ा बलवान होता है, यह सतत प्रगतिशील होकर अपने साथ चलनेवाले लोगों का हमसफर बन उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाता है। कलमकार राजीव डोगरा जी समय की कुछ बातें अपनी इस कविता में बता रहे हैं, आप भी पढें।…

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