हे माँ! आशीष देना

सतत कर्मशील और आशावादी बनकर ही रहना चाहिए, ऐसा करने में हम ईश्वर का आशीर्वाद अवश्य चाहेंगे। कलमकार उमा पाटनी ने एक रचना साझा की है जो उनकी प्रकाशित पुस्तक के पहले पृष्ठ का अंश हैं। आसमां में घिर गये…

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हमारे सरकार खफ़ा हैं

कोई अपना जब रूठ जाता है तो मन बहुत बेचैन हो जाता है और उसे मनाने के लिए अनेकों उपाय ढूंढता है। कलमकार अजय प्रसाद जी ने भी लिखा है कि अब क्या करें? हमारे सरकार तो खफ़ा हो चुके…

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क्रांति

क्रांति का स्वर लोगों के दिल और दिमाग को छू जाता है। इसका असर इतना गहरा होता है कि लोग स्वयं ही इसका हिस्सा बनने के लिए आगे आते हैं। कलमकार राजेश्वर प्रसाद ने क्रांति के बारे मे कुछ पंक्तियाँ…

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बेटियाँ

कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी की कविता पढ़ें- बेटियाँ। परिवार में बेटियाँ अनेक रंग भरती हैं और वे कुल की शान होती हैं। बेटियों की एक अलग और खास पहचान होती है। बेटियां घर की आन होती है। बेटियां घर…

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मुकेश बिस्सा, जैसलमेर

केंद्रीय विद्यालय वायुसेना जैसलमेर में गणित शिक्षक के रूप में कार्यरत हूं। शौक के रूप में लिख लेता है। देश के विभिन्न समाचार पत्रों में कविताएं प्रकाशित हुई है।कविता संकलन अभिव्यक्ति, एक अहसास,काव्यांजलि तथा सफर ए जिंदगी प्रकाशित हो चुकी…

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सरस्वती वंदना

विद्या की देवी माता सरस्वती की यह स्तुति कलमकार आनंद सिंह की रचना है, आप भी पढें और अपने विचार व्यक्त करें। हे वागेश्वरी हे वाग्देवीहे विणापाणी ज्ञानदाहे हंसवाहिनी हे महाश्वेताहे मात सरस्वती शारदाआदिशक्ति का रूप मात तुमश्री विष्णु का…

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आज फिर से मनाऊंगा

रूठने मनाने का दौर न तो कम हुआ है और न ही समाप्त होगा। इसी में तो प्यार के कई पल उलझे होते हैं जिन्हें सुलझाना हमारा दायित्व है। कलमकार विजय कनौजिया जी कहते हैं कि तुम्हे मुस्कान देने के…

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ऐसा करो, ऐसा करो

देवरिया से कलमकार डॉ. कन्हैया लाल गुप्त अपने बचपन और बीते दिनों को याद करते हुए कुछ पंक्तियाँ लिखते हैं जो उनके संघर्ष को भी बयान करतीं हैं। वे अपने गाँव 'भाटपार रानी' का भी ज़िक्र करते हैं, आइए उनके…

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एक बुराई- छोड़ दूं

समाज में अनेक बुराईयां भी हैं जिनका शिकार सभी बनते हैं और उससे लड़ने का प्रयास हर इंसान करता है। इन सबसे लड़ते हुए जब व्यक्ति का हौसला टूटने सा लगता है तो वह यह लड़ाई छोड़ने की बात सोचता…

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तन्हाई

अकेलापन क्या होता है, इससे कैसे गुजरना होता है? यह तन्हाई का शिकार हुआ व्यक्ति ही बता सकता है। कलमकार राजेश शर्मा पुरोहित जी ने इसे समझाने के लिए एक कविता प्रस्तुत की है। जुदाई का दुख तुम क्या जानो…

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बच्चों की खुशी

माता-पिता बच्चों की खुशी के लिए न जाने कितना परिश्रम करते हैं। वे हर हाल में उनकी इच्छा पूरी करना और मुस्कुराते हुए देखना चाहते हैं। कलमकार कुमार संदीप की यह कविता पढ़ें और अपने विचार व्यक्त कीजिए। आँखों में…

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माँ की परछाईं

सभी को यह एहसास होता है कि कोई तो कि उसकी माँ उसके साथ है। कभी-कभी माँ से दूर होने पर उनकी यादें/बातें परछाई बनकर हमारे संग रहती है। कलमकार साक्षी सांकृत्यायन की यह पंक्तियाँ आपको माँ की महानता वयक्त…

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हे भोलेशंकर

महाशिवरात्रि महोत्सव पर कुमार संदीप की लिखी हुई एक शिव वंदना पढें। सबका कल्याण करें भोले नाथ- यही हमारी मनोकामना है। हे, भोलेशंकर! आप तो सभी का कल्याण करते हैं न तो हे, भोलेशंकर! दीन दुखियों को दिन भर क्योंं…

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चलो गुनगुनाएं, कोई गीत गाएं

जीवन के उथल-पुथल में हम बहुत सारी तकलीफें सहते हैं, लेकिन हंसी खुशी हर पल आगे बढ़ते रहते हैं। कवि मुकेश अमन लिखते हैं कि दिलों के बीच की दूरियां मिटाकर हमें खुशी के गीत गुनगुनाना चाहिए। चलो गुनगुनाएं, कोई…

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दूर नहीं होती

बहुत सारी ऐसी जोड़ियाँ हैं जो एक दूसरे के बिना अधूरी हैं। कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी ने कुछ जोड़ियों का वर्णन अपनी कविता में किया है। फूल से शबनम जुदा नहीं होती। आकाश से तारें गुम नहीं होते। जल…

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नदियाँ

नदियों का हमारे विकास में बहुत योगदान है। प्राचीन काल से ये हमारी संस्कृति और समृद्धि की परिचायक रहीं हैं। नदियों का संरक्षण हमारी जवाबदेही है। आओ हम कलमकार मुकेश ऋषि वर्मा के विचार इस कविता में जानें। सृष्टि का…

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प्रेम

प्रेम बहुत सरल है किंतु इसे समझ पाना मुश्किल है। प्रेम क्या है? इसके कई रूप रंगों का उल्लेख कलमकार रजनी ने अपनी इस कविता में किया है। अगर प्रेम होता केवलआलिंगन, स्पर्श या चुंबन तो प्रेम के लिए कविताएं…

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महाकाल

महाशिवरात्रि महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ। महाकाल- कलमकार राजीव डोगरा की यह कविता पढ़ें। काल हूँ महाकाल हूँ अनंत का विस्तार। रुद्र का भी अवतार भाव से करता भक्तों को भव पार हूँ। न दिखे सत्य तो संपूर्ण संसार का करता…

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प्यार

प्यार की नई परिभाषा बता रहे हैं कलमकार मनन तिवारी। हर इंसान का प्रेम के प्रति अपना अलग-अलग नजरिया होता है, किंतु सबका सार एक ही है। प्यार शायरी की तलम है। प्यार ख्वाबो से चलती कलम है। प्यार आँखो…

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कुमुदिनी बसंत

बसंत ऋतु का वर्णन कलमकार इमरान संभलशाही अपने शब्दों में कुछ इस तरह करते हैं। संध्या सुंदरीअपने आगोश में लेबस सुता देना चाहती हैवृक्ष की शाखाओं तलेकुमुदिनी वसंत कोऔर टहनियों की भीनी खुशबू संगअरुण वक्ष की श्वेत कणिकाधार पा दुहिताकरुणामयी…

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