रुख़-ए-रौशन
किसी की खूबसूरती, मुख के तेज की प्रशंसा में आप कितनी मिशालें देंगे। उसकी बनावट, रंग-रूप असली हैं और उन्हें वयक्त करने में आपके पास शब्द कम पड़ जाएंगे। कलमकार रज़ा इलाही ने चंद पंक्तियाँ पेश की हैं जो खूबसूरती…
किसी की खूबसूरती, मुख के तेज की प्रशंसा में आप कितनी मिशालें देंगे। उसकी बनावट, रंग-रूप असली हैं और उन्हें वयक्त करने में आपके पास शब्द कम पड़ जाएंगे। कलमकार रज़ा इलाही ने चंद पंक्तियाँ पेश की हैं जो खूबसूरती…
बसंत ऋतु बड़ी मनमोहक होती है, इसे ऋतुराज भी कहा जाता है। चारों ओर हरियाली पसरी होती है जो सभी का हृदय जीत लेती है। कलमकार चुन्नीलाल ठाकुर की कविता पढ़ें जो बसंत ऋतु की कई विशेषताओं का वर्णन करती…
दोस्ती का रिश्ता बहुत ही प्यारा होता है, आप अपने दोस्त चुन सकते हैं किन्तु पारिवारिक रिश्ते बने बनाए मिलते हैं। कलमकार अनुभव मिश्रा चहीते यारों को यह पंक्तियाँ समर्पित करते हैं। बेशक दोस्तों की बदौलत ही खुशनुमा ये जहान…
फेसबुक आजकल लोगों की चौपाल बन गया है। यहां पर कई लोग अनेक अप्रिय गतिविधियों को भी अंजाम देने में नहीं कतराते। कलमकार मनकेश्वर भट्ट ने इस कविता में कुछ प्रसंगों का उल्लेख किया है। फेसबुक का दौर चल रहा…
साफ सफाई बनाए रखना हमारे स्वयं के लिए ही बहुत फलदायी सिद्ध होता है, इससे स्वास्थ्य और परिसर दोनों ही सुंदर रहते हैं। कलमकार खेम चन्द ने स्वच्छता पर जोर देते हुए अपना संदेश इस कविता में दिया है। ये…
मनोकामनाओं का संदेश डॉ. राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित" जी इस कविता में दे रहे हैं। उनकी आशाएँ ईश्वर फलीभूत करे, यह कामना हम सभी करते हैं। होंसलों से उड़ने का जज्बात दे। तू जरा जमाने को नया पैगाम दे।। मोहब्बत…
वीरतापूर्ण बातें आपका साहस और मनोबल दोनों बढाती हैं। बातों-बातों में ही मुँह से निकल जाता है - 'माँ का दूध पिया हो तो यह कठिन कार्य कर दो'। ऐसी बातें सुनकर आप ऊर्जा और वीररस से भर जाते हो।…
आपके चरित्र के निर्माण में व्यवहार की बहुत बड़ी भूमिका होती है। उत्तम व्यवहार होने से आप किसी का अहित नहीं करते और सभी को आप प्रिय होते हैं। कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी व्यवहार के बारे में यह कविता…
एकाकीपन, हवाएँ, चांद-तारे, लोगों की बातें अक्सर किसी की याद दिला देतीं हैं। कलमकार अमित मिश्र ने विरहिणी की मनोदशा को वयक्त करते हुए लिखा है कि कब-कब उसे अपने प्रियतम की याद आ जाती है। जब चलने लगी हवा…
जय सिन्हा ने अपने पिता प्रो. राजेश्वर प्रसाद जी की कविता 'गरीब बस्तियाँ' इस पटल पर प्रतुत की है। कलमकार राजेश्वर प्रसाद जी ने गरीबों की बस्तियों की दास्तान इन पंक्तियों में समेट ली है, उन लोगों के अभाव को…
कभी-कभी छोटी-छोटी बातें अफसाना बन जाती है। कलमकार सुरेन्द्र गोयल जी भी ऐसा मानते हैं, आइए उनकी कलम से लिखीं चंद पंक्तियाँ पढें। दर्द-ए-दिल मेरा अफ़साना बन गया मैकदे में आना मेरा अफ़साना बन गया। जाम अभी दिया ही था…
कन्हैया लाल गुप्त जी प्रीत/प्रेम के बारे में अपनी इस कविता में लिखते हैं। कई उदाहरणों द्वारा अपने विचारों को प्रकट करने का उत्तम प्रयास किया है। प्रीत ऐसे ही किसी से नहीं होती। राधा ऐसे ही किशन पर नहीं…
इश्क़ के इज़हार में भी डर लगता है। अक्सर आप अपनी बातें उससे कहने में झिझकते हैं। कलमकार कुमार किशन कीर्ति ने इस दुविधा को अपनी कविता में दर्शाया है। कैसे कह दूँ मैं तुमसे मैं इश्क है तुम्ही से…
जीवन क्या है? लोगों का अलग अलग नजरिया है इस मुद्दे पर क्योंकि हर किसी ने नए अंदाज में इसे महसूस किया होता है। कलमकार आनंद सिंह ने जीवन की परिभाषा जानने की कोशिश की है। इस जीवन की कहू…
इश्क़ मे पड़ना ज़रूरी है क्या? नज़रों मे चुभना ज़रूरी है क्या? रिश्ते-नाते दोस्त,देश तो है ही हसिनों पे मरना ज़रूरी है क्या? बनाओ पहले बजूद अपना तुम खुद से सड़ना जरूरी है क्या? क्यों करते हो वक्त का…
वैलेंटाइन डे है, इस अवसर पर कलमकार सुशीला कुमारी सियाग की रचना पढें जो प्रेम को सदा बरकरार रखने का संदेश देती हैं। प्रेम ही अमन, एकता, सुख-समृद्धि और भाईचारे की जननी है। प्रेम प्यार भरा सदा बना रहे, यही…
वक्त हमेशा एक जैसा नहीं होता है, कभी सही तो कभी गलत। कलमकार शुभम पांडेय 'गगन' ने वक्त के साथ अपने अनुभव को इस कविता में साझा किया है। हर बार जो लिखता था आज थोड़ा अलग लिखता हूँ तुम्हें…
धन से दिवालिया हो जाना लोगों को स्वीकार्य होगा किंतु दिमाग से दिवालिया होना गवारा न होगा। धन तो आता जाता रहता है लेकिन सद्बुद्धि चली जाने से बहुत अहित होता है। कलमकार अजय प्रसाद जी ने दिमागी दिवालियेपन पर…