माँ के बिना

माँ की कमी तो कोई भी नहीं पूरी कर सकता है। हम सभी माँ के ऋणी होते हैं और यह भाव सदैव प्रकट करना चाहिए कि माँ हम आपके उपकारों का ऋण नहीं चुका पाएँगें। कलमकार राज शर्मा की कविता…

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रंग बदलती दुनिया में

कलमकार अभिषेक कुमार की रचना पढें जो आजकल के माहौल में लोगों के व्यवहार और प्रकृति को दर्शाती है। सच कहा जाए तो हमें मानवता की जाति अपनानी चाहिए, यही सबसे बड़ा धर्म है। ए ख़ुदा तू ही बता,किसे मैं…

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उपवन

बाग-बगीचे हमारे पर्यावरण का हिस्सा हैं और हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं। इनकी अपनी भी एक कहानी होती है, कलमकार कन्हैयालाल गुप्त जी उपवन के बारें में चंद पंक्तियाँ लिखकर प्रस्तुत की हैं। बाग उपवन सेहत को मजा देता…

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हाँ! मैं पत्रकार हूँ

समाज में पत्रकार वर्ग की भूमिका बहुत ही अहम मानी गई है। उनके प्रयासों से देश विदेश की खबरें सत्यता के साथ हम तक पहुंचती है। ईमानदारी की कलम से सच्चाई को उजागर करने वाले सभी पत्रकारों महानुभावों को कलमकार…

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मानव-जीवन

सृष्टि में मानव जीवन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है जो बुद्धिमान और प्रगतिशील है। कलमकार रमाकान्त शरण जी लिखते हैं कि आजकल हमारी मानवता जैसे खो सी गई है; वे हम सबसे पूछतें हैं कि क्या! यही है मानव जीवन? सद्ग्रन्थों…

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क्या करें

असमंजस की स्थिति में कभी-कभी सूझता ही नहीं कि क्या करें। हर इंसान ने ऐसी परिस्थितियां देखी हैं जब दिल का कहा मानना उचित होता है किंतु दिमाग गवाही नहीं देता है। कलमकार इरफान आब्दी मांटवी गाजीपुरी अपनी कविता में…

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समय की कीमत

कलमकार राहुल प्रजापति की चंद पंक्तियाँ पढें। वक्त बहुत बड़ी सीख दे जाया करता है। समय की कीमत जानना और उसका सदुपयोग करना हमारा कर्तव्य है, और यही कार्य सफलता की राहें आसान बनाता है। समय की कीमत मालूम तो…

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ज़रा याद करें

दकियानूसी विचारधाराओं और परंपराओं को अब समाप्त करना चाहिए। कलमकार विजय डोगरा लिखते हैं कि एक आदर्श समाज के निर्माण हेतु हमें अपने पूर्वजों के त्याग और उपलब्धियों को एक बार याद करना बेहद जरूरी है। आओ मिलकर विचारों की…

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ताउम्र साथ नहीं छोड़ेगा

प्रियजन की नाराजगी, अनबन हमारे मन को दुख और ठेस पहुंचाती है। हम उसे और उन लम्हों को भूल भी नहीं पाते हैं। कलमकार भवदीप सैनी इन हालातों पर लिखते हैं कि सारी उम्र हम उनके साथ इसी तरह जुड़े…

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अहिंसा के पुजारी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर बापू के स्मरण में कुछ पंक्तियाँ सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 'राज' ने लिखी है। बापू के जीवन से हम सभी को अनेक प्रकार की अच्छी सीख मिलती है, जिसे अपनाने में विलंब नहीं करना…

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जिंदगी

जिंदगी की परिभाषा क्या है? हर इंसान अपने अनुभव से इसे परिभाषित करने का प्रयास करता है, सबके अलग अलग मायने होते हैं। कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी ने भी जिंदगी का अर्थ बताने की कोशिश की है। जिंदगी प्रेम…

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तू जो मुस्कुराई तो मैं भी मुस्कुराउंगा

यदि कोई मुस्कराकर आपसे मिले तो आप भी मुस्कान के साथ ही उसका स्वागत करते हैं। मुस्कान ही मुस्कान को आमंत्रित करती है। कलमकार अमित मिश्र की यह रचना पढें जिसमें मुस्कुराहट का वर्णन है। आप भी हमेशा मुस्कराते रहिए।…

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किसान हूँ

कलमकार चुन्नी लाल ठाकुर ने किसानों की रोजमर्रा की समस्याओं को अपनी कविता में बताने का प्रयास किया है। किसान होना तो गर्व की बात होनी चाहिये क्योंकि उन्हीं की मेहनत से विश्व में अन्न की भरमार है। ऐसे अन्नदाता…

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जन्म दिवस का हर्ष आज है

कलमकार विजय प्रकाश कनौजिया को जन्मदिन (२७ जनवरी) की बधाई और शुभकामनाएं। 'जन्म दिवस का हर्ष आज है' उनकी यह कविता पढ़ें। जन्म दिवस का हर्ष आज है अपनों का स्पर्श आज है जीवन का जो भी पल बीता उसका…

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अनायास

कभी-कभी कई सारी चीजें अनायास ही घटित हो जातीं हैं। सपने में हम बहुत कुछ अनायास ही देख लिया करते हैं। कलमकार स्वाति बर्णवाल ने अपनी कविता में इसका जिक्र किया है। सपनों में जब भी तुम आते हो तुम्हारे…

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एक रहस्य

कलमकार ओटेरी सेल्वाकुमार की रचना- एक रहस्य। हमारे आस-पास अनेक घटनाएं जनसामान्य के साथ घटित हो जातीं हैं और कुछ एक घटना रहस्यमय ढंग से सभी को अचंभित/भयभीत कर देती हैं। एकमात्र शोर उस शोर में किसी को भी कमाओ…

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लहराओ तिरंगा

कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी ने चंद स्वरचित पंक्तियाँ भारतीय गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में 'लहराओ तिरंगा' कविता में लिखी और हम सभी को इस महापर्व की शुभकामनाएं दी हैं। लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा। कि देश हमारा गणतंत्र हुआ है।…

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गणतंत्र दिवस

कलमकार खेम चन्द ने भी आज गणतंत्र दिवस के सुअवसर यह कविता साझा की है। एक बार फिर से गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई। वक्त लगा था वक्त को वक्त बनाने में देश को राजतन्त्र से गणतन्त्र बनाने में॥ वक्त…

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फिर ये पर्व मनाना है

कलमकार विजय कनौजिया की गणतंत्र दिवस पर्व पर एक विशेष रचना- फिर ये पर्व मनाना है। आओ साथ हमें फिर मिलकर उत्सव का पर्व मनाना है गणतंत्र दिवस का हर्ष आज है ये सबको बतलाना है..।।भारत का सम्मान आज फिर…

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गणतंत्र

कलमकार पंकज भूषण पाठक "प्रियम" ने भी गणतंत्र दिवस की शुभकामना के साथ यह कविता साझा की है। आया दिवस गणतंत्र है अपना देश स्वतंत्र है। फिर तिरंगा लहराएगा राग विकास दोहराएगा देश अपना स्वतंत्र है आया दिवस गणतंत्र है।…

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