हंसाएंगे फिर से

हंसी-खुशी जो पल बीत जाए वह अनमोल होता है। कलमकार विजय कनौजिया जी कहते हैं कि किसी को भी रूठने न दो, उसे फिर से हंसाने की कोशिश कीजिए। चलो आज उनको मनाएंगे फिर से अगर मान जाएं हंसाएंगे फिर…

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किसान

भारत किसानों का देश है जहाँ कृषि को प्रधानता दी जाती है। कलमकार ऋषभ तिवारी ने अपनी कविता में उन्ही किसानों की कई छोटी-बड़ी समस्याओं का जिक्र किया है। हम सभी को अन्नदाता के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए और उन्हें…

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मजदूर एक योद्धा

हर एक मजदूर योद्धा होता है, वे दो जून की रोटी जीतने के लिए प्रतिदिन संघर्ष करते हैं। कलमकार शुभम सिंह ने मजदूरों की संघर्षगाथा इस कविता में लिखी है और बताया है कि किस तरह उनका संघर्ष एक युद्ध…

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ओ! मतवाले जादूगर

बाल कवि मुकेश ने अमन जादूगर से ढेर सारी इच्छाओं को संभव कराने की मनोकामना अपनी कविता में लिखी है। अब ऐसी कामनाएं तो बच्चों से लेकर बड़ों तक के मन में जागृत होती है जिन्हें पूरा करनेवाला जादूगर केवल…

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शुभम पांडेय ‘गगन’, अयोध्या

बहुत कुछ पाना है, मंज़िल बड़ी है अभी प्रयास जारी। मेरी प्रिये है श्री कुमार विश्वास गुरुदेव जिन्हें सुनकर लिखना शुरू किया। उनके बराबर का पता नहीं लेकिन उनका अंशमात्र बनना चाहूंगा। मेरी कलम संपर्क नाम: शुभम पांडेय ‘गगन’जन्मतिथि: ११…

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हमारा घनश्याम

नन्हे कलमकार नीरव पाण्डेय ने श्री कृष्ण की एक छोटी सी वंदना लिखी है जो आपको भी पसंद आएगी। इस कविता में एक खास बात यह है कि इसकी सभी पंक्तियों में केवल 'आ' की मात्रा का प्रयोग हुआ है…

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परिवार

परिवार से ही परवरिश, परिवार से ही संस्कार, परिवार से ही प्रेम प्राप्त होता है। कभी-कभी परिवार के कुछ सदस्यों से दुख तकलीफ मिल जाती है किन्तु वे सभी हमें प्रिय होते हैं और जीवन में बहुत कुछ सिखाते हैं।…

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हे कृष्ण तुम्हे अब आना होगा

आज के कलयुग में बढ़ते हुए अन्याय, अपराध और अराजकता से निपटारा पाने के लिए सचमुच ईश्वर के किसी नए अवतार की आवश्यकता है। कलमकार आनंद सिंह ने प्रभू श्री कृष्ण को याद करते हुए चंद पंक्तियाँ लिखी हैं जिसमें…

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आत्महत्या

आत्महत्या के बारे में सोचना ही पाप है, इस अपराध को अंजाम देना जघन्य अपराध है। इस कृत्य को करनेवालों को लगता है कि वे सारी समस्याओं का समाधान करने जा रहे हैं किंतु वे अपने प्रियजनों के लिए अनेक…

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हिमालय के वन

कलमकार खेम चन्द ने हिमालय के वनों पर इंसान की दखलंदाजी से प्रकृति में होने वाले बदलाव को अपनी कविता में लिखा है। आप भी पढें और प्रकृति के संरक्षण का संकल्प लीजिए। सुनो और गौर करना, फिर बातों पर…

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झूठा कारोबार

यह दुनिया कितनी मतलबी है इसका एहसास आपको अपने इर्द-गिर्द के लोगों को देख परख कर लग ही गया होगा। मतलबियों की सूची में अपने निकटतम खास लोग भी आते हैं। कलमकार संजय कुमार विश्वास अपनी पंक्तियों में बता रहे…

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, बस्ती

तन समर्पित, मन समर्पित,साहित्य को जीवन है अर्पित। मेरी कलम संपर्क नाम: लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तवजन्मतिथि: २ जनवरी १९७०जन्मभूमि: बस्ती, उत्तर प्रदेशकर्मभूमि: बस्ती, उत्तर प्रदेशशिक्षा: बीएससी, बीएड, एलएलबी, बीटीसीशौक: कविता, कहानी, लेख, लघुकथा, बाल कविता आदि लिखना Above mentioned information…

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प्रश्न

शहंशाह गुप्ता "विराट" ने कुछ सवाल प्रस्तुत किए हैं। जीवन के मर्म को समझाने वाले जवाब यदि आपके पास हैं तो यह कविता पढें और अपनी राय वयक्त कीजिये। कौन सा भाव समर्पण का ह्रदय में भर लाये हो ?…

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शाम उनके नाम- मेरी जिन्दगी

कलमकार खेम चन्द का मानना है कि जीवन का हर दिन बड़े-बुजुर्गों की सेवा में अवश्य बीतना चाहिए। हमारे माता-पिता को वृद्धावस्था में कष्ट मिले तो जीवन व्यर्थ ही समझो। परिवार में बड़े बूढ़े लोगों का सदैव आदर होना चाहिए।…

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राजीव डोगरा

कलमकार राजीव डोगरा जन्मतिथि: ११ फरवरी १९९१ जन्मभूमि: कांगड़ा हिमाचल प्रदेश कर्मभूमि: कांगड़ा हिमाचल प्रदेश शिक्षा: MA BE.d, UGC/NET, CTET, PSTET, LT TET HP शौक: कविताएं और लेख लिखना वर्तमान में मैं भाषा अध्यापक के रूप में कार्य कर रहा…

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गांव बेच दिया

फायदे के लिए इंसानों ने प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है लेकिन आज वह खुद अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। कलमकार आशुतोष सिंह ने 'गांव बेच दिया' कविता में कई समस्याओं का उल्लेख किया है। प्राकृत से जुड़ा हुआ।…

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सलाह

हितकारी और उचित सलाह जो कोई भी दे उसे मानना ही चाहिए। कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी कहते हैं नेक सलाह न मानने वालों का अंजाम अच्छा नहीं होता, उदाहरणार्थ- महाभारत में दुर्योधन का अंत। सलाह श्रीकृष्ण ने भी दुर्योधन…

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मुझे भी तुम भुला दोगे- गुडिया

न्याय में देरी पीड़ितों और उनके प्रियजनों को कष्ट पहुंचाती हैं। हम जन-सामान्य लोग भी उनके लिए न्याय की मांग करते हैं किन्तु कुछ समय बाद भूल जाते हैं कि कोई घटना घटी थी। कलमकार खेम चन्द ने अपनी कविता…

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बीता साल- २०१९

बीते वर्ष की कुछ उपलब्धियों और यादों को कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी ने अपनी कलम से इस कविता में उजागर करने का प्रयास किया है। साल २०१९ में हमने काफी कुछ होगा और बहुत कुछ पाया भी होगा; अब…

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वही आकर रुलाता है

मात्र कहने के लिए हम बोल सकते हैं कि उसे भूला दिया है, किंतु किसी को भूला पाना असंभव है। गैरों को तो हम याद भी नहीं करते जबकि वे हमें कोई भी तकलीफ नहीं पहुंचाते हैं, हमें रूलाने वाले…

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