न दिख मज़बूर
हर इंसान किसी कारणवश मजबूर होता है किंतु वह उसका सामना खुद ही करता है। नीरज त्यागी कहते हैं की लाख मजबूरियों से गुजरो लेकिन मजबूर न दिखो। इस प्रकार की मनोबल बढ़ाती हुई पंक्तियाँ हमें लाचारी से संघर्ष का…
हर इंसान किसी कारणवश मजबूर होता है किंतु वह उसका सामना खुद ही करता है। नीरज त्यागी कहते हैं की लाख मजबूरियों से गुजरो लेकिन मजबूर न दिखो। इस प्रकार की मनोबल बढ़ाती हुई पंक्तियाँ हमें लाचारी से संघर्ष का…
प्रकृति की हर एक रचना बच्चों को प्यारी होती है। जीव-जंतु, सूरज, तारे, चांद, पशु, पक्षी, फूल और पौधे सभी बच्चों को अति सुंदर लगते हैं। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए बाल कवि मुकेश अमन ने यह कविता…
हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा है- वन। पंक्षियों और जानवरों की न जाने कितनी प्रजातियाँ विलुप्त हो गईं और कई लुप्त होने के कगार पर हैं। जंगलों संरक्षण हमारा कर्तव्य है - यही संदेश कलमकार खेम चन्द अपनी कविता के…
माँ जैसा कोई और नहीं! सिर्फ माँ ही है जो हमें हर तरह की तकलीफ़ों से दूर रखने के लिए सबसे आगे खड़ी मिलती है। वह बिना किसी स्वार्थ के हमारा हित चाहती है। कलमकार इरफान ने माँ की ममता…
विवाह एक पवित्र बंधन होता है जिसमें न जाने कितने रिश्ते पनपते और खिलते हैं। विवाह के सालगिरह पर दम्पति को शुभकामनाएं और संदेश भेजें जाते हैं, कलमकार विजय कनौजिया ने अपना आशीष इस कविता में लिखकर प्रस्तुत किया है।…
परोपकार से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है। आपने तो सुना ही होगा - "नेकी कर दरिया में डाल" और "परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई"। अमित मिश्र की स्वरचित पंक्तियों में भी परोपकार की भावना को…
अपराध का कड़ा जबाव देने के बजाय हम खामोश हो जाते हैं। यह खामोशी विभागों से लेकर व्यक्तिगत तौर पर हर जगह पसर जाती है जो अपराधियों को सीख नहीं दे पाती। कलमकार खेम चन्द ने इसी समस्या को अपनी…
यदि प्यार से किसी को 'पागल' कह दो तो उसे जरा भी बुरा नहीं लगता है, लेकिन गुस्से से पागल कहना झगड़े का रूप ले लेता है। कलमकार भवदीप की कुछ पंक्तियाँ एक लड़की की तारीफ कर रहीं हैं जिसे…
एक मजबूत रिश्ता बनाए रखने के लिए हमें आपस में कोई राज छिपाकर नहीं रखना चाहिए और न ही कोई गलतफहमी पालनी चाहिए। विजय कनौजिया जी कहते हैं कि ऐसी परिस्थिति का निर्माण कीजिये जहाँ मन में कोई भेद न…
ठंड के मौसम में ठिठुरन आम बात है। यह ठंड हर जीव को सताती है, फिर भी लोग इसका इंतजार करते हैं और बिना शर्त झेलते हैं। कलमकार नीरज त्यागी ने इस बालगीत में सर्दियों के आगमन की चर्चा की…
ईश्वर एक विश्वास है जो हम सभी में है, अपने अंतर्मन में यदि हम टटोलेंगे तो हमें अवश्य ही उसका आभास होगा। शुभम द्विवेदी ने अपनी कविता में भगवान के प्रति श्रद्धापूर्ण कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं जो हमारे विश्वास को…
हालात सही न हों तो रोना आ ही जाता है, आजकल हमारे देश में बेटियों के आँसू थम नहीं रहें हैं। अमानवीय व्यवहार उन्हे बड़ी चोट पहुंचा रहा है और अब एक बड़ा मुद्दा बना है- उनकी सुरक्षा। आजाद भारत…
भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का स्वर्णिम युग माना गया है। संतों और कवियों ने काव्य को अनेक विधाओं में प्रस्तुत कर मनमोहक रचनाओं का संग्रह हमें विरासत में दिया। आज हम आधुनिक हिंदी में काव्य रचनाएं अधिक करते हैं, लेकिन…
लाख मनाने पर भी जब कोई नहीं मानता तो हमारे मन में अनेक सवाल पनपते हैं और कुछ अच्छा भी नहीं लगता। ऐसे वक्त में प्रतीत होता है कि मानो प्रकृति ही हमसे रूठी हुई है। कलमकार विक्रम कुमार ने…
हम सभी की कोई न कोई ख़्वाहिश होती है, कुछ पूरी हो जाती है तो कई पूरी होने वाली होती हैं। कलमकार रज़ा इलाही ने अपनी नज्म "आरज़ू" में चंद ख़्वाहिशों का जिक्र किया है। चाँदनी रात में मख़मली राह…
हम सिर्फ उसे ही चाहते हैं- उसको यह बता पाना बहुत कठिन होता है। बड़ी जटिल स्थिति उत्पन्न हो जाती है क्योंकि उसे विश्वास ही नहीं होता है। ऐसी दशा में हमें कहना ही पड़ता है, "तुम मानो या न…
बेटियाँ हमसे क्या चाहतीं हैं? क्या वह नामुमकिन है? भारत जैसे राष्ट्र जहाँ बेटियों को पूजने की प्रथा है वहाँ बेटियों को कष्ट सहना शोभनीय नहीं है। हमें स्वयं में ही कुछ बदलाव लाने की आवश्यकता है- ऐसा खेम चन्द…
विविधताओं से भरा देश है भारत, यहाँ अनेक भाषाओं, त्यौहारों और संस्कृति से जुड़े लोग रहते हैं। कलमकार अपनी कलम से होली के त्यौहार के रंगों को उजागर करने की कोशिश की है। खेम चंदकलमकार @ हिन्दी बोल India रंगों…
कल्पना कीजिये और उसे साकार करने के लिए प्रयास भी कीजिये। कलमकार दिनेश कुमार की कविता 'तुम कल्पना करो' में ऐसी ही प्रेरणात्मक विचारों और भावों को प्रस्तुत किया गया है। तुम कल्पना करो सुंदर कल्पना करो तेरा अजीज क्या…
अक्सर सुनने को मिलता है कि स्त्रियों, लड़कियों से जबर्दस्ती और आपराधिक मामले बढ़ रहें हैं। कई घटनाएँ तो जघन्य अपराध में बदल जाती हैं, कुछ दरिंदों की मासिकता इंटनी घृणित है की वे ऐसे कृत्य करने से जरा भी…