मेरा रूख़स्त हो जाना [अर्थी]

यह दुनिया तो कुछ दिनों का बसेरा है, और अंततः सभी को प्रस्थान करना ही है। कलमकार खेम चन्द अंत समय की परिकल्पना करते हुए कुछ पंक्तियाँ लिखते हुए उस माहौल का वर्णन करते हैं। निकलेगा जनाज़ा मेरा जब रुकेगी…

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शीरीं ज़बाँ

मीठे बोल हर किसी का मन मोह लेते हैं। रज़ा इलाही ने इन पंक्तियों में उर्दू को हिंदी की बहन बताते हुए कहा है कि यह बहुत ही मीठी जुबान है। भाषा कोई भी हो लेकिन हमें सदैव मीठी बोली…

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भारतीय नारी

खेम चन्द लिखते हैं कि आज भी हमारे समाज में औरतों को वह स्थान नहीं मिल पाया है जिसकी वे हकदार हैं। हम भले ही आधुनिकता का चोला ओढ़ लें, किंतु कहीं न कहीं एक कसर बाकी है। बदलाव लाने…

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माँ की वंदना

आस्था ही हमारे हृदय में श्रद्धा का संचार करती है। श्रद्धा के कारण ही अपने दुखों के निवारण के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। अमित मिश्र ने माँ की वंदना में एक भजन प्रस्तुत किया है और आशा की…

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छात्र मनोव्यथा

छात्र जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना कर हमें अध्ययन करना पड़ता है। यहीं अनुशासन सीखा जाता है जो जीवन भर आप के साथ रहता है। चित्रकूट से शुभम ने अपना अनुभव इन पंक्तियों के सहारे साझा किया है। मेरी…

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राजनीति हिन्दोस्तान की-आम समस्या

आम जनता की अनेकों समस्याएँ होती हैं, उनमें से सभी का समाधान आसानी से हो जाए तो कुछ शिकायत ही न हो। उन समस्याओं को हल करने के बजाय राजनीति होती है जो अत्यंत दुखद है। खेम चन्द ने राजनीति…

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हमारे वीर सैनिक

सीमा पर डटकर सामना करने वाले हमारे सैनिकों की महानता को शब्दों में बयां कर पाना संभव न होगा। कलमकार कुमार किशन कीर्ति ने अपनी कविता में एक छोटी सी कोशिश की है, आशा है कि आपको पसंद आएगी। देश…

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नारी

आजकल स्त्री-पुरुष में समानता का भाव दर्शाया जाता है और यह जो आवश्यक भी है। परंतु पुरूष-प्रधान समाज में क्या हर इंसान इस मत से सहमत है? खेम चन्द द्वारा लिखी हुई यह कविता नारियों के प्रति आदर, सम्मान और…

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आज का पत्रकार

पत्रकारिता एक सम्मानीय, प्रतिष्ठित पेशा है और पत्रकार निष्पक्ष ही होते हैं। जनसाधारण के लिए उपयोगी और महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना हर पत्रकार का दायित्व है। नीरज त्यागी ने अपनी कविता में 'आज का पत्रकार' में अपना विचार व्यक्त किया…

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कैसा ये समाज (हालात-ए-बेटियाँ)

समाज का बेटियों के प्रति कुरीतियों से जुड़ा व्यवहार आदर्श नहीं माना जा सकता है। हालांकि आज बहुत से परिवर्तन हुए हैं और पूरानी रूढियों को मिटाने की कोशिश की जा रही है। कभी-कभी कोई घटना, दुर्व्यवहार उन्हें आहत करतीं…

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वो मासूम चेहरा

हर चेहरा खूबसूरत होता है, फर्क सिर्फ नज़रों का होता है। कई चेहरे आकर्षित किया करते हैं, कलमकार खेम चन्द एक विशेष चेहरे पर अपनी कल्पना से कुछ पंक्तियाँ हमारे समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। लिखता हूँ और मन कहता…

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लोग एहसानों को भूल जाते हैं

धोखा, छल, कपट और विश्वासघात जैसी प्रकृति इंसानों की फितरत होती है। इसी श्रृंखला में एहसान-फरामोशी भी है, हम लोग अक्सर एहसानमंद होने के बजाय एहसानों को भूल जाते हैं। अमित मिश्र ने इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए…

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कुछ लफ्ज़

खेम चन्द ने अपने मन में उठने वाले विचार, सवाल और भाव को शब्दों में गूंथने का प्रयाश किया है। इस मंथन को वे अपनी एक नज्म में पेश करते हैं- कुछ लफ्ज़। रूठ कर तू भी जिन्दगी सांसों के…

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कंधो पे अपने तुम मुझे सोने दो

थकान का एहसास होने पर आराम करने का मन करता है। कलमकार खेम चन्द ने अपनी कविता में लिखा है कि कभी-कभी थकान मिटाने के लिए प्रियजन के कंधों की आवश्यकता पड़ती है। कंधो पे अपने तुम मुझे सोने दो…

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खुदकुशी

जीवन में संघर्ष करना बेहद जरूरी है, इससे छुटकारा पाने के लिए जीवन का अंत करना जघन्य अपराध है। हमें सदैव प्रयासरत रहना चाहिए- कलमकार राहुल प्रजापति ने कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं आप भी पढें। लोग मौत को आसान समझते…

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ताकती पुस्तकें

किताबों में अद्भुत शक्ति होती है, अपार ज्ञान का भंडार उनमें समाहित होता है। कलमकार खेम चन्द बताते हैं कि कि इन ताकतवर पुस्तकों के जरिए हम न जाने कितनी अच्छी बातें सीख सकते हैं। पड़ी रहती है अब वो…

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समाज के रंग

समाज में ही हम पलते बढ़ते हैं, बहुत कुछ सीखने का मौका भी पाते हैं। किंतु कभी-कभी समाज आपको ताने सुनाता है और उंगली भी उठाता है, ऐसा ही अनुभव समीक्षा ने अपनी कविता में साझा किया है। एक आगाज़…

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वसुन्धरा भी रोई

विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों और धरती माता को जो क्षति पहुँचायी जा रही है उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। अब वक्त आ गया है कि हम सभी इस ओर ध्यान केंद्रित करें। खेम चन्द ने अपना…

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एक इत्तिफ़ाक़

कई फ़साने इत्तिफ़ाक़न बन जाते हैं। इत्तिफ़ाक़ की दास्ताँ रज़ा इलाही ने अपनी नज्म में पेश की है, आप भी पढकर अपनी राय वयक्त कीजिये। किताबों का गिरना भी एक अजब इत्तिफ़ाक़ था जैसे खुल गया कोई सफ़्हा जु-ए-हयात का…

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प्रदूषण और बच्चे

आजकल देश में बढ़ते प्रदूषण ने सभी को परेशान कर रखा है, परंतु इसका कारण भी हम ही हैं। कलमकार नीरज इस समस्या पर लिखते हुए बच्चों की मुश्किल को रेखांकित किया है। प्रदूषण का समाधान खोजना और स्वच्छ परिसर रखना हमारी…

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