हमारे नेता
आजकल की राजनीति और नेताओं से हम सभी अवगत हैं। कलमकार खेम चन्द 'हमारे नेता' कविता में भी नेताओं के कुछ पहलुओं को रेखांकित किया है। देश है मेरा धर्मनिरपेक्ष नाम दिया है हिन्दोस्तान कृष्ण, राम, शिव, विष्णु, ब्रह्मा रहे…
आजकल की राजनीति और नेताओं से हम सभी अवगत हैं। कलमकार खेम चन्द 'हमारे नेता' कविता में भी नेताओं के कुछ पहलुओं को रेखांकित किया है। देश है मेरा धर्मनिरपेक्ष नाम दिया है हिन्दोस्तान कृष्ण, राम, शिव, विष्णु, ब्रह्मा रहे…
कविताओं की खासियत होती है कि वे रचनाकार की कल्पना के सागर में गोते लगाने के बाद उभरतीं हैं। ऐसे ही कलमकार रागिनी स्वर्णकार की एक कविता- 'बारिश मुझ में' मैं बारिश में, बारिश मुझ में... हो रही नेह की…
कुछ हंसता, कुछ रोता हूं मैं, मेघों से कुछ कहता हूं मैं। यहां बरसा, वहा क्यूं नही बरसा, खेतों वाला गांव क्यूं तरसा, रही तुम्हारी जिसे जरूरत, उस खेत का दर्द सुनाता हूं मैं। तुम आओगे सावन लेकर, दिन सोने-से…
जल ही जीवन है। जल संचयन और संरक्षण बहुत ही जरूरी है- यह बात हम सभी भली-भाँति जानते हैं किन्तु अम्ल करने से चूक जाते हैं। कलमकार खेम चन्द भी जल और उसके संसाधनों के संरक्षण पर जोर दिया है।…
कई कारण होते हैं किसी घटना/कार्य पूरा होने के पीछे। हमारी आदतें, इरादे और व्यवहार जैसे अनेक कारण अमित मिश्र ने अपनी रचना में जाहिर किया है। ओस की बूंदों से रेगिस्तां में फूल नहीं खिलता, उधार के पैसे से…
बादलों की खिलखिलाहट एक संदेश लेकर आती है जो प्रकृति को झूमने पर विवश करती है। बरसात के आगमन से सभी आनंदित होते हैं, मुकेश अमन ने अपनी कविता 'खिलखिलाते मेघ देखो' में बादलों की चर्चा की है। खिलखिलाते, गीत…
हम सबने सुना है और माना भी है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। इसी भाव को ऋषभ तिवारी ने अपनी कविता में एक नए अंदाज में प्रस्तुत किया है। है अग्नि काल की स्मृति शेष क्षण…
जीवन में असफलताओं से हमेशा सामना होता रहता है। इन्हीं की वजह से हम मजबूत इरादों और निडरता के साथ स्वावलंबी बनकर सफलता की ओर अग्रसर होते हैं। कलमकार खेमचंद भी अपनी कविता में कभी हार न मानने की सलाह…
अज्ञात से सवाल का अज्ञात सा जवाब है अज्ञात सी मेरी नींद मेंअज्ञात सा इक ख़्वाब है अज्ञात से महासागर में अज्ञात सा ही आब है मेरी हैसियत कुछ भी नहीं कोई अज्ञात ही लाजवाब है। ~ आयुष्मान खुराना साभार:…
ईश्वर ही सबसे बड़ा खिलाड़ी होता है। रागिनी शर्मा ने इस कविता में उनके बारे में लिखा- "बड़ा है खिलाड़ी, खिलाता है तू" बड़ा है खिलाड़ी, खिलाता है तू अदाओं से अपनी रिझाता है तू नमी पत्थरों में जगाता…
किसी का इंतज़ार करना बहुत मुश्किल होता है लेकिन कभी-कभी इंतज़ार करना अच्छा लगता है। रज़ा इलाही की एक गजल- एक इंतिज़ार नज़र उनसे मिलती नहीं तबीयत अब लगती नहीं गुलचीं पुछे बाग़ में क्यों आते नहीं मैं कहूँ, आने…
जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार इंसान भी गुण और अवगुण की खान है। कभी वह अच्छा तो कभी बुरा प्रतीत होता है। ऐसा ही कुछ भवदीप ने अपनी कविता 'खोटा सिक्का' में लिखा है। जीतना…
रागिनी स्वर्णकार ने लिखा है कि जब आँखों में आँसू और वेदना का एहसास हो तो कलम द्वारा गीत रूपी रचनाओं का जन्म होता है। पीर कलम में, अश्रु नयन में होते हैं! गीत तभी हम बोते हैं! चातक…
हमें पर्यावरण की देखभाल स्वयं ही करनी है, अत: अपने परिसर की सफाई करने में जरा भी शर्म नहीं आनी चाहिए। खेम चंद ने कबाड़ीवाले को संबोधित करते हुए कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं- कहते हैं यहाँ लोग हमें कबाड़ उठाने…
कभी-कभी किसी की बातें, साथ और यादें बहुत अच्छी लगती हैं। साकेत हिंद की पंक्तियाँ (बातें तुम्हारी) प्रियजन के साथ और वियोग की दशा को चित्रित करती हैं। बड़ी-बड़ी बातें तुम्हारी, मुझे कहीं गुमराह न कर दें। संग तुम्हारे सारे…
कलमकार खेम चन्द जन्मतिथि: १८ अप्रैल १९९३ जन्मभूमि: कुल्लू, हिमाचल प्रदेश कर्मभूमि: कुल्लू, हिमाचल प्रदेश शिक्षा: स्नातकोत्तर (ग्रामिण विकास IGNOU) शौक: कविताएँ, गाने इत्यादि लिखना, पुस्तकें पढ़ना, बैडमिंटन खेलना, दूसरों की सहायता करना, मो-मो, सिड्डू बनाना मैं खेम चन्द उर्फ…
एक मजदूर झोपड़ी में रहकर भी एक 'मजबूत भारत' के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कुमार किशन कीर्ति की एक कविता पढ़िए- "झोपड़ी के लोग"। झोपड़ी में रहने वाले लोगों का संसार अलग होता है ख्वाबों में महल और…
दुनिया में हम सभी कई लोगों से जुड़े हुए हैं और ढेर सारी यादों को संजोये हुए हैं। प्रियजनों की यादें हमें अक्सर खुशी/गम दे जाती हैं। भवदीप की पंक्तियाँ पढें- उसकी यादें ऐ दिल उसे पाने की चाहत बन्द…
किसी को कमजोर आंकना न्यायसंगत नहीं है। इन पंक्तियों को पढें जिनमें अमित मिश्र ने अपने विचार व्यक्त किये हैं। मेरी कमजोरी मत समझ मैं शांत बैठा हूँ। हौसले के तरकश में लिये ब्रम्हास्त्र बैठा हूँ।। मेरे एक तीर से…
जब सुबह-सुबह अचानक ही उनसे मुलाक़ात हो जाए तो मन में कई ख़्याल तो ज़रूर आएंगे। रज़ा इलाही की एक गज़ल पढ़िए- "बाद ए शबा"। न जाने आज क्या बात हो गई बाद ए सबा थी और उनसे मुलाक़ात हो…