बाल मजदूरी

बाल मजदूरी एक अभिशाप ही है, जिनके हाथों में खिलौने व पुस्तकें होनी चाहिए उन मासूमों से कुछ निर्मम लोग मजदूरी कराते हैं। कुमार किशन कीर्ति की पंक्तियाँ पढें जो इसी मुद्दे को संबोधित करती हैं। इन बाल मजदूरों को…

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शास्वत प्रेम के प्रश्नोत्तर

ऋषभ तिवारी 'ऋषि' की स्वरचित कविता- शास्वत प्रेम के प्रश्नोत्तर जब प्रश्न हो कि प्रेम की वो मधुर भाषा क्या है? यूँ उलझनों के परिपूर्णता की परिभाषा क्या है? क्या ये दो शरीरों के मिलन की आवश्यकता मात्र है? जब…

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पुरानी यादें

यादें पुरानी हो जातीं हैं किन्तु पीछा नहीं छोड़तीं। हम भूलाना तो चाहते हैं लेकिन कई कड़ियाँ एक दूसरे से जुड़ी होती हैं और यह कोशिश निरर्थक सिद्ध होती है। अमित मिश्र की स्वरचित पंक्तियों में पुरानी यादों की एक…

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मुस्कान

चेहरे की मुस्कान हमेशा अच्छी लगती है, जो दूसरों को भी खिलखिलाने के लिए विवश कर ही देती हैं। साकेत हिन्द ने 'मुस्कान' को अपनी पंक्तियों में कुछ इस तरह पेश किया है। अच्छी लगती है हर चेहरे पर मुस्कान…

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तू मुझे देखकर जब मुस्कुराती है

तू मुझे देखकर जब मुस्कुराती है। सच नाजनीन मेरी जान जाती है।। हाल क्या है जिगर का ये कैसे कहें। तेरी अदा हर मेरे दिल पर ज़ुल्म ढाती है।। देखकर तेरा फसाना मौन हूं अब तक। हर कदम पर मुझे…

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उसे पसन्द था

हर किसी की पसंद अलग होती है, मुझे कुछ तो उसे कुछ और पसंद होगा। भवदीप की यह पंक्तियाँ आपको अवश्य पसंद आएंगी। उसे पसन्द था श्रगार का काजल, और मुझे पसन्द थी उसकी कजरारी आँखे। उसे पसन्द था जीन्स…

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मैं साहिल वो किनारा

शिल्पा मिश्रा ने अपनी पंक्तियों में उसे किनारा और स्वयं को साहिल बताकर संबोधित किया है। शिल्पा मिश्रा का आशय है कि दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। जैसे तैसे हमने अपनी ज़िन्दगी को गुज़ारा है, फिर जा के…

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अब तो आश्चर्य नहीं होता

अब तो आश्चर्य नहीं होता, जब दामन कोई छोड़ जाए। पल भर में सदियों का रिश्ता, दिल से कोई तोड़ जाए।। हमने तो देखा है अक्सर, लोगों को जो वादे नहीं निभाए। अब तो दर्द नहीं होता, जब बीच सफर…

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ख्वाब

ख्वाब जो देखे हमने साथ मिलकर मुक़म्मल करना है उसे आगे चल कर। माना इस मंजिल में रहेंगे कांटे हर कदम पर अगर साथ हो तेरा तो पार कर जायेंगे हर मुश्किल सफर। बस तेरे साथ रहकर इस दुनिया को…

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प्रेमगीत

इन हसीं वादियों में इन चहकते पंछियों के बीच इस ढलती शाम में मेरी प्रियतमा, चलो एक प्रेमगीत गाए उस प्रेमगीत में केवल हमारी ही प्रेमगाथा हो कर्णप्रिय जो लगे उसमे वैसा मधुर राग हो हमारी प्रेमगाथा सुनकर ये प्रकृति…

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शादी की इक़तला

शादी एक नए रिश्ते की शुरुआत होती है और कलमकार ने जताया है कि यदि सहमति हो जाए तो अपार खुशी मिलती है। - तुम अपनी यादों को थोड़ा तो समझा दो अपनी बातों को थोड़ा तो लज्जा दो तुम…

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हाँ, मैं लड़की हूँ!

हाँ, मैं लड़की हूँ निडर और प्रतिभावान हूँ इस समाज के लिए प्रतिष्ठा हूँ ईश्वर की वरदान भी हूँ हाँ, मैं लड़की हूँ विद्या मेरा सिंगार है अस्मिता ही मेरी वस्त्र है समाज की रूढ़िवादी जंजीरों से मुक्त हूँ हाँ,…

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एक ग़ज़ल हो तुम जैसी

जब जब हरीम-ए-दिल को तन्हा पाते वो मिल जाते आते जाते अबरू-ए-ख़मीदा, निगह-ए-मस्त, सर्व-क़ामत बयाँ ख़िज़्र-ए-हुस्न को हम जो कर नहीं पाते दूर से ही हो जाता सलाम दुआ काश! हम उनको कभी अपना कह पाते नहीं कोई अब आरज़ू-ए-चश्मा-ए-कौसर…

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ज़िंदगी

ज़िंदगी शब्द नहीं एक महाकाव्य है इसमें छुपी अनगिनत कहानिया है जिसने महाकाव्य की कहानियों को समझ लिया उसने ज़िन्दगी को जीना सिख लिया मेरी ज़िन्दगी महाकाव्य कम और महाभारत ज्यादा थी मेरी ज़िन्दगी, ज़िन्दगी कम बवाल ज्यादा थी मेरी…

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मतलबी दुनिया

यह दुनिया इतनी मतलबी क्यों है? ऐसे ही कुछ प्रश्न अमित मिश्र की पंक्तियों में पूछे गए हैं। ये दुनियाँ इतनी मतलबी क्यूँ है, किसी के आंसुओं पे हँसती क्यूँ है न दे सके सहारा तो कोई बात नहीं किसी…

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रज़ा इलाही, नोएडा

I am a journalist, author and poet. Having worked with many leading English newspapers and have authored 2 books on media education and 1 book (Jazba-e-Mohabbat) on poetry. मेरी कलम संपर्क नाम: रज़ा इलाहीजन्मदिन: १२ दिसंबर १९७३जन्मभूमि:कर्मभूमि: नोएडा, उत्तर प्रदेशशिक्षा:…

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डूबती शाम

ऋषभ तिवारी की एक कविता - डूबती शाम ... आजकल के इंसान की फितरत और कड़वे सच का जिक्र करती हुई कुछ पंक्तियाँ। इस तरह बादलों ने जमी को घेरा न था हर सांस में डूबा शाम कहीं सबेरा न…

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जब एक रोज़

रोज़ दिखती थी वह रोज़ मिलती थी वह चौराहे पे जैसे खो गई थी वह अपना सदक़ा समझ कर चंद पैसे दे कर गाड़ी बढ़ा देता ज़िन्दगी के रफ़्तार से रफ़्तार मिला देता पर उसकी हिजाबी आँखें और उजरी क़बाएँ…

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माँ की व्यथा

संतान को माँ अपनी पीड़ा कभी जाहिर होने नहीं देती। ऋषभ तिवारी की कविता "माँ की व्यथा" इसी भाव को दर्शाती हैं। दरवाजे पे हो दस्तक, तो माँ समझे कि मैं आया सोती न जगती कहती रहती, बेटा देखो घर…

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कोशिश

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती चुपचाप बैठे रहने से सफलता की प्राप्ति नहीं होती अगर पाना चाहते हो कामयाबी तो कुछ नहीं, एक कार्य करना होगा असफलता को भुलाकर पुनः कोशिश करना होगा इतनी मेहनत करो की माथे…

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