कोरे कागज पर हमने प्यार लिख दिया
कोरे कागज पर हमने प्यार लिख दिया। मुस्कुराहट पर जिन्दगी नाम लिख दिया।। सब लिख रहे थे खुदा, भगवान का नाम। हमने अपने महबूब का नाम लिख दिया।। थक गये हैं लोग खुदा की इबादत करते। मैंने तो इंतजार में…
कोरे कागज पर हमने प्यार लिख दिया। मुस्कुराहट पर जिन्दगी नाम लिख दिया।। सब लिख रहे थे खुदा, भगवान का नाम। हमने अपने महबूब का नाम लिख दिया।। थक गये हैं लोग खुदा की इबादत करते। मैंने तो इंतजार में…
दिन तो याद नहीं, लेकिन कुछ हुआ ज़रूर था, जो हम पहले दूर हुए, और फिर तन्हा हुए, मुझे उस पर खुद से ज़्यादा ट्रस्ट था, और उसने हर बार ट्रस्ट की धज्जियाँ उड़ाईं, जो मेरे हर जख्म का मलहम…
कलमकार प्रोफ़ाइल: ऋषभ तिवारी जन्मदिन: ५ सितंबर १९९५ जन्मभूमि: कर्मभूमि: शिक्षा: LLB 2nd Year (form BHU, Varanasi) शौक: कविताए लिखना Facebook: ऋषभ तिवारी Mobile: +91- Email: Website: - ऋषभ अपने बारे में कहते है- समस्या भारी ज़िन्दगी में कविताए ही…
देश के वीर सपूतों का बलिदान नहीं मैं भूलूँगा दफ़न किया है जहाँ उसे उस मिट्टी को चूमूँगा देश की मिट्टी को जिसने लहू से अपने सींचा है भारत की आजादी जिसने दुश्मन से खींचा है अपनी कुर्बानी से जिसने…
बलिदान देश के लिए ~ दिनेश कुमार आजादी के महापर्व पर YM Dinesh Kumar की एक कविता ठान लो जेहन में जिद बांध लो कफ़न को सिर बढ़ते चलो अपने मंजिल की ओर एक दिन सफलता की निकलेगी उद्विद। …
गैरों की क्या बात करें, अपनों ने ही दामन खींचा है। वो पेड़ तो लहराता है, जिसको अंसुओं से सींचा है।। सोचा था मैंने इक दिन, मुझको देगा हवा वो ताजी। अब तो वो बड़ा हो गया, अब वो चलाता…
सर उठाकर चाहे चलने लगे है लोग सच को अपने आप में छलने लगे है लोग किसी को सिर काटने से डर नहीं लगता अपने सर को देख क्यों डरने लगे है लोग कैसे करे भरोसा हम सर को देखकर…
कलमकार भवदीप सैनी का परिचय मूल नाम: भवानी शंकर साँखला जन्मदिन: ९ दिसंबर १९९१ जन्मभूमि: नागौर, राजस्थान कर्मभूमि: बेंगलुरु, कर्नाटक शिक्षा: इंजीनियर शौक: लेखन Facebook: भवदीप सैनी Twitter: Instagram: Mobile: Email: bhawxxxxxx291@gxxxxl.com Website: - भवदीप सैनी अपने बारे में कहते…
कलमकार प्रोफ़ाइल: राहुल प्रजापति जन्मदिन: २६ जुलाई १९९९ जन्मभूमि: मथुरा (उत्तर प्रदेश) कर्मभूमि: शिक्षा: स्नातक शौक: रचनाएं लिखना Facebook: Twitter: Instagram: Mobile: +91- Email: Website: - राहुल प्रजापति अपने बारे में कहते है- मैं राहुल प्रजापति, मेरा जन्म 26 जुलाई…
कभी कभी, तुम मेरे दुखों से बढ़ कर, मेरा सुख बन जाती हो, वो सुख, जो चिर आनंद प्रक्रिया में, विवाद रहित शयन करता है, जो किसी कोने में छिपी भावनाओं से भयभीत होता है, ही उससे विचलित होता है,…
जब कभी उस मोड़ से गुजरता हूँ उस जगह से गुजरता हूँ जहाँ कभी मैंने कुछ लम्हा गुजारा था कुछ प्यार बाटा था,तो कुछ प्यार पाया था और, आज भी जब उसी मोड़ से गुजरता हूँ तो उनसे जुड़ी यादें…
साकेत हिन्द स्वरचित चंद पंक्तियाँ आओ हम भी मुसाफिर बन जाएँ, इस मंज़िल-ए-ज़िंदगी के। आओ हम भी मुसाफिर हो जाएँ, इस दौर-ए-ज़िंदगी के।। कोई और मिले या न मिले, हम-तुम हैं काफ़ी। करेंगें पूरा हम ज़रूर, सुहाने सफ़र ज़िंदगी…
माँ निशा सिन्हाकलमकार @ हिन्दी बोल India अब तो आदत सी हो गई है माँ!बिन तुम्हारे रहने कीजब याद तुम्हारी आती है,तुम्हारी तस्वीरें देखा करती हूँ माँ! जब भी करवट बदलती हूँयाद तुम्हारी हीं आती है माँ!जिस हाथ को थाम…
सज चुकी है,पाखण्ड की प्रयोगशाला लेकर गुरुवर की नाम की पहनकर अध्यात्म का चोला छिपा रहें हैं, अपनी अज्ञानता और असफलता न इनका कोई लक्ष्य, और न कोई उद्देश्य युवाओं को भटकाना इनका एकमात्र लक्ष्य हैं खिंचते है चित्र भी,…
जो उड़ चलते हैं दूर गाँव, ऋतुवों के प्रभाव से बचने को, कई बार उड़ते भी हैं, थकते भी हैं, और कुम्लाये से एक आस दिल में जगाये होते हैं, परों का बोझ उठाये से उनकी नन्हे फेफड़ें सांस बटोरने को धौकनी…
रिमझिम - रिमझिम जब बारिश आयी मन में तेरे रौनक और खुशहाली छायी नन्हें पैरों से जब तुम आँगन में चलती थी पकड़ नहीं पाओगे पापा ऐसा कहती थी पग में तेरे पायल बारिष के संग बजते थे पीछे-पीछे तेरे…
जड़ से जुड़े रहे है जो भी, वो ही सदा बड़े हुए है। छोड़ सहारा सब गैरों का, अपने पैरों खड़े हुए है।। हमने देखा है पेड़ों को, जमीं में अपनी जड़े जमाएं। सर्दी, गर्मी, वर्षा के दिन, आंधी, तूफां…
बाधाओं में घिर घबराना, संघर्षां में पीठ दिखाना, एक-दो ठोंकर बस रूक जाना, यह भी कोई जीवन है क्या। पल-पल चलना, चलते रहना, मंजिल के पथ बढ़ते रहना, पर आलस कर बस सो जाना, यह भी कोई जीवन है क्या।…
अध्यापक, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, सांसियों का तला, बाड़मेर- राजस्थान मेरी कलम संपर्क नाम- मुकेश बोहरा ‘अमन’जन्म तिथि- 20 जुलाई 1984जन्मभूमि- बाड़मेर, राजस्थानकर्मभूमि- बाड़मेर, राजस्थानशिक्षा- अधि-स्नातक (हिन्दी), बी.एड.शौक- काव्य लेखन, गद्य लेखन, स्वतंत्र पत्रकारिता, समाज-सेवा, किताबें पढ़ना Above mentioned information…
वन मेले में, मिलकर सबने, सुन्दर द्वारे, प्रोल सजाएं। बन्दर बाजा, भालू डमरू, चित्तल ढ़म-ढ़म, ढ़ोल बजाएं। रंग-बिरंगें, परिधानों में, लदे हुए है सब गहनों में, हाथी, चीता, हिरण, बाघ ने, सुन्दर सुन्दर, रोल निभाएं। चाट-पकौड़ी वाले ठेले, खेल-खिलौने, बड़े…