नीर अब नीर नहीं रहा रग में

नीर अब नीर नहीं रहा रग में, विषाक्तता फैल रही तीव्र रसद में मानव मन को वशिकरण नहीं बिन पानी सब सून कहे जग में। अग्रज जल देखें नद में, हमने देखा टब और नल में भावी पीढी के लिए…

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रंग बिरंगे बादल

रंग बिरंगे बादल, कहाँ जा रहे हो नीली, काली, श्वेत चादर ओढ़े किसे बहला रहे हो हाथी, पेड़, चेहरे, वाहन जैसी अनेकों आकृतियाँ बनकर हमें फुसला रहे हो ठहरने की आदत है नहीं कभी धीमी, कभी तीव्र गति से सतत…

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आत्माराम रेवाड़ रचित अनमोल दोहे

कमठ कथा सुण आतमा,भज  लीजै भगवान ।बात रति नहीं भेख में, जाचक ने कुण जान।।1।। रूप  पद  वेद  वेद  ते, अयन  अयन  रुत  तीन ।रुत  ते  जनकगुरु  भये, सदेह  विदेह  कीन।।2।। याचक बिन दाता नहीं, दीन बिना धनवान ।भले  सिष …

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प्यार का इज़हार

हम अपने प्यार का इज़हार नहीं कर पाते, उन्हें लगता है हम किसी और को हैं चाहते।हमसे है उनका नाता काफी पुराना, फिर भी वे हमे क्यों समझ नहीं पाते। क्या करूँ, कैसे दिलाऊ उन्हें यह यकीं, हमारे दिल मे…

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अदाएं

वो तो लहरा के जुल्फें चली ही गई। दिल में सावन की घटा मेरे छाने लगी।। उसने हँस कर जब देखा मेरी तरफ। टूटे दिल में मोहब्बत फिर आने लगी।। वो हँसती थी जब भी शरमाती हुई। ऐसे लगता था…

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आत्माराम रचित ५0 दोहे (सार संग्रह)

दोहा हिंदी साहित्य की एक लोकप्रिय काव्य विधा है। आत्माराम रेवाड़ के दोहे प्रस्तुत हैं जो आपको अवश्य पसंद आएंगें। कमठ कथा सुण आतमा, भज लीजै भगवान। बात रति नहीं भेख में, जाचक ने कुण जान।। रूप पद वेद वेद…

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बहुत सुहानी लगती ये बरसात है

बहुत सुहानी लगती ये बरसात है।मिली धरा को अनुपम ये सौगात है।। दादुर मोर पपीहा बोलेबदरा गरजे छैल छबीलेभीग गये हैं पवन झकोरेइंद्रधनुष के रंग में बोरे घटा दीवानी हर पल ही मदमात है।बहुत सुहानी लगती ये बरसात है।। छंद-…

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तनहाइयाँ

तनहाइयाँ भी कट जाती हैं, यादों के आँगन मेंफिर भी जी नहीं लगता, दिल के विरानेपन में। हो गया है मेरा हमदम, मेरा ही यह अश्क़साथ देता है जो, ज़िंदगी के सूनेपन में। चाहा था बहुत, चाहते भी हैं, भूलाना…

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रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)

कलमकार प्रोफ़ाइल: रागिनी स्वर्णकार शर्मा जन्मदिन: जन्मभूमि: कर्मभूमि: शिक्षा: शौक: Facebook: Twitter: Instagram: Mobile: +91- Email: Website: - विनोद सेन रागिनी जी के बारे में कहते है- प्रकाशित कृतियाँ: पुरस्कार और सम्मान: अन्य जानकारियाँ Note: यह जानकारी 'विनोद सेन' द्वारा…

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किसे गलत कहें?

किसे गलत कहें, किसे कहें सही,सब ही तो अपने हैं। हम हैं गलत किसी के लिएकोई है हमें सही मानताठीक उसी तरह हम किसी को हैं गलत ठहरातेजो है दूसरों का चहीता। हम रूठ जाते हैं उनसेउन्हें भी है हमसे…

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कौन हैं वो

क्या हैं, कैसे हैं, कौन हैं वोयह बताएं भी हम कैसे?हम तो खुद ही बेहोश हैंउनकी एक झलक पाने के बाद। कुछ कहूँ तो क्या कहूँवो कितने हसीन हैं?ख़ुद तो हंसीं हैंउनकी हँसी और भी हसीन है। आँखें भी है…

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कुछ पाने की खातिर कुछ खोना पड़ता है

कुछ पाने की खातिर कुछ खोना पड़ता हैमुश्किल राहों से भी दो चार होना पड़ता है यूँ ही नहीं मिलती आसानी से कोई मंजिलमंजिल पाने के लिए मीलों चलना पड़ता है भाग्य भरोसे बैठने से किस्मत नहीं चमकतीहीरे को चमकाने…

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खयालात

तेरे गालों पर ये जुलफें मुझे लुभाती हैंसोचता हूँ तुझे फिर नींद नहीं आती है देख मुझको जब तू मुस्कुराने लगती हैऐसा लगता है तू मुझसे प्यार करती है तेरी कातिल अदाओं से बचना मुश्किल हैजब से देखा हूँ तुझे…

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दिन पर दिन बीत गए

दिन पर दिन बीत गए, कई खुशियों से भरे थे। कई गम के साये थे, कई सुख-दुःख के संगम।हर दिन अपनी अलग छाप बना गए, .. दिन पर दिन बीत गए। आज के दिन खड़े होकर, उन सभी दिनों को…

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साकेत हिन्द लिखित कुछ दोहे

दिखावा बहुत हो चुका, बढ़ गया ताम-झाम।।सत्य पुरुष तो हैं अब, सदा भरोसे राम।। अधम कार्य हम करते, कहें आया कलयुग।अपनी गलती मानकर, कर लो सुंदर यह युग।। चोरी गुस्सा छल अहम, ईर्ष्या गरम मिजाज।सब इंसानी फितरत है, दिल पर…

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तुम निराश मत होना

जीवन का ये मूल मंत्र है तुम सदैव खुश रहना कितने भी हों दुःख तुम्हें किसी से मत कहना होगा जो होना है तुम किस्मत से लड़ते रहना कल कल करते सरिता जैसे तुम बहते रहना घनघोर प्रलय की आभाओं…

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ग्रीष्म ऋतु

ग्रीष्म ऋतु के मौसम मेंदिन बड़े हो जाते हैंरात में लोग घर से बाहरसोने लग जाते हैंसूरज दादा भी अपनी गर्मी सेसबको परेशान करते हैंबच्चें, बूढ़े, औरत और मर्द सबव्याकुल हो जाते हैंगौरैया नहाती हैं धूलों मेंतो कही मेढक जलाशय…

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दुनिया का दस्तूर तो देखो

तम्मना भाटिया लिखती हैं- "मेरे अंदर का सर्वोत्कृष्ट अभिनेता हमेशा प्यार के विचार के साथ प्यार करता है। यहाँ इसपर मेरे तुलनात्मक विचार प्रस्तुत हैं। कहा जाता है कि, सच्चा प्यार आत्मप्रेम से शुरू होता है!" दुनिया का दस्तूर तो…

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इसका मुझे यक़ीन नहीं है

मैं कैसा बन गया हूँ, कैसे तुम्हें बताऊँतुम मेरा यक़ीन करोगे,इसका मुझे यक़ीन नहीं है। पहले तो मै ऐसा न था, तुम भी तो ऐसे न थे।पलभर में सब बदल जाएगा, इसका मुझे यक़ीन नहीं है। गल्ती की मैंने,सजा पछतावा…

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