Category: कविताएं
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एक पुराना मौसम
मौसम तो आते रहते हैं और गुजर भी जाते हैं, लोगों को नए मौसम का बेसब्री से इंतजार रहता है। कलमकार मुकेश बिस्सा ने एक पुराने मौसम और कुछ यादों की चर्चा इन पंक्तियों में की है। वो एक पल था एक सोच तेरी मेरी दिशा भी साथ वाली रास्तें हुए अब अलग अलग कसर…
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प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आइए हम सभी पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लें। पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। आज हमारे हिन्दी कलमकारों ने अपने विचार, अभिव्यक्ति और संदेश अपनी कविताओं में प्रस्तुत किए हैं। प्रकृति का संतुलन बनाने और प्रकृति से मिली सम्पदाओं के सरंक्षण…
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पर्यावरण दिवस २०२०
प्रकृति का संतुलन बनाने और प्रकृति से मिली सम्पदाओं के सरंक्षण करने के लिए हमें आगे बढ़ना चाहिए। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आइए हम सभी पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लें। पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। आज हमारे हिन्दी कलमकारों ने अपने विचार, अभिव्यक्ति…
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विश्व पर्यावरण दिवस २०२०
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आइए हम सभी पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लें। पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सन १९७२ में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। प्रकृति का संतुलन बनाने और प्रकृति से मिली सम्पदाओं के सरंक्षण करने…
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लॉकडाउन और मजदूर- १
कोरोना महामारी के दौर में हर इंसान परेशान है। सेहत का ख्याल रखना है, आजीविका चलानी है परंतु काम करने के स्थान भी बंद हैं। इस समय मजदूरों का बुरा हाल है जो अपने घर से दूर शहरों में गएं हैं और इस संकट की घड़ी में फिर से अपने परिवार के पास आना चाहते…
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मलप्पुरम जिले में गर्भवती हथिनी की मौत
केरल में एक गर्भवती हथिनी के साथ दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है जिसमें हथिनी की मौत हो गई। कुछ स्थानीय लोगों ने उसे पटाखों से भरा अनानास खिलाया और वह हाथी के मुंह में फट गया जिससे वह बुरी तरह से जख्मी हो गई थी। मलप्पुरम जिले में एक वन अधिकारी मोहन कृष्णन्न ने…
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बरगद और बुजुर्ग
बड़े-बूढ़ों की छत्रछाया में रहना सदैव हितकारी होता है। इस कथन को डॉ. कन्हैयालाल गुप्त ‘किशन’ ने अपनी कविता ‘बरगद और बुजुर्ग’ और बखूबी बताया है, आप भी पढ़ें। बुजुर्ग व्यक्ति भी बरगद समान ही होता है, जैसे बरगद की छाया घनेरी होती है, वैसे ही बुजुर्ग व्यक्ति का आश्रय है, बरगद कई पीढ़ियों का…
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विश्व साइकिल दिवस २०२०
विश्व साइकिल दिवस के अवसर पर बच्चों को साइकिल की महत्ता बताने के साथ-साथ उनको गुनगुनाने के लिए विनय कुमार वैश्कियार की यह कविता पढ़ें… मेरी प्यारी साइकिल मेरी अच्छी साइकिल, मेरी प्यारी साइकिल। चलो घूम आयें, कुछ घूर आयें। तुम हल्की-फुल्की, तुम पतली-दुबली। पर सवारी हो तगडी, चढ़े बंटी और बबली। तेरे माथे की…
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ज्योति कुमारी
ज्योति ने बीमार पिता को गुरुग्राम से दरभंगा साइकल पर बिठाकर पहुंचाया; १२०० किलोमीटर से की दूरी तय करने वाली ज्योति की सराहना इवांका ट्रंप ने भी की है। देश की ज्योति कोरोना महामारी के इस दौर में जहाँ अनगिनत घटनाएं देखने-सुनने को मिल रही है। वहीं इन्ही घटनाओं में कुछ ऐसी असाधारण घटनाएं भी…
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डॉ कन्हैयालाल गुप्त ‘किशन’ जी की दस कविताएं
१. रामायण सदा शुभ आचरण करना, सिखाती रोज रामायण। हमें संमार्ग पर है चलना, बताती रोज रामायण। ये भावों से भरी तो है, ये गीतों से तो गुंज्जित, यहाँ श्रीराम का मुखड़ा, ललित सुरधाम देता है। ये पावन करती पतितों को, ये भावन लगती भक्तों को। प्रभु श्री राम की महिमा, उमड़ पड़ती है भक्तों…
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कोरोना संकट और लॉकडाउन से जुड़ी कविताएं
कोरोना महामारी के कारण भारत में भी लॉकडाउन पसरा हुआ है, हिन्दी कलमकारों ने लॉकडाउन और जन-सामान्य की समस्याओं को जाहिर करते हुए अपने मन के भाव इन कविताओं में लिखें है। वर्ष २०२० के महीने में लगा हुआ लॉकडाउन जून माह में भी समाप्त नहीं हो पाया है; इसका मुख्य कारण कोरोना महामारी है…
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तुम समझती क्यों नहीं हो
आदत-सी हो गई है मुझको तेरी तुम समझती क्यों नहीं हो मिलना है हमारा बेहद जरूरी तुम समझती क्यों नहीं हो सच में तुम हो गई हो मेरी मजबूरी तुम समझती क्यों नहीं हो सर्द मौसम की गुनगुनी धूप-सी हो तुम तुम समझती क्यों नहीं हो इश्क़ हक़ीक़ी हो तुम ही मेरी तुम समझती क्यों…
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चलती साँसे
पूजा कुमारी साव इस कविता में जिंदगी और साँसों की चर्चा करती हैं। साँसें चल रही है और यह जिंदगी भी आगे बढ़ रही है। जब तक साँसे चलती है, ये सांसे गर्म होती है शरीर और मस्तिष्क, बुध्दि अभी, मैं मरा नहीं कहता है, बीमार व्यक्ति अभी साँसे, चल रही है मैं सोच, पाता…
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अपना बताकर चला गया
वो मुझे अपना बताकर चला गया मेरी मुश्किलें बढ़ा कर चला गया।। क्या नाम दूं मैं ऐसे शख्स को जो मिला कर छुड़ाकर कर चला गया।। मतलबी पराया कहूं भी तो कैसे वो एहसास अपना दिलाकर कर चला गया।। मैं रूठ भी गया था एक बार उससे वो आया और मना कर चला गया।। ‘राहुल’…
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आ अब लौट चलें
कलमकार कुलदीप दहिया की एक कविता पढिए जिसमें उन्होने इंसानी फितरत और मौजूदा हालातों को चित्रित किया है। हैं चारों ओर वीरानियाँ खामोशियाँ, तन्हाईयाँ, परेशानियाँ, रुसवाईयाँ सब ओर ग़ुबार है! आ अब लौट चलें चीत्कार, हाहाकार है मृत्यु का तांडव यहाँ, है आदमी के भेष में यहां भेड़िये हजार हैं! आ अब लौट चलें खून…
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पुष्पों की भावना
फूल भी बोलते हैं, उनकी भावनाओं को जानने के लिए उनसे बातें करनी होतीं हैं और यह काम कवि को ही सूझता है। कलमकार रोहिणी दूबे ने पुष्पों की भावना इस कविता में वयक्त की है। देखों न!मैं कितनी प्यारी हूँ,निहार तो लो मुझे मैं खिल गयी हूँ,जरा चाह तो लो मुझे भौरें मेरी पंखुड़ियों…
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नारी की कहानी
कलमकार मुकेश बिस्सा नारी शक्ति के सम्मान में यह कविता प्रस्तुत कर रहें हैं, आइए इसे पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया दें। अपनी इच्छाओं आकांक्षाओ का दमन करती नारी हर पल घुटकर हंसी का लिबास ओढ़ती है नारी। सहनशीलता और कर्तव्यपरायणता की बनी प्रतिरूप दो पाटों के बीच मे सदा पिसती जाती है नारी। नौ देवियों…
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