उम्मीद

प्रीति शर्मा ने उम्मीद पर चंद पंक्तियाँ लिखी हैं और हर परिस्थिति में एक उम्मीद बनाए रखने की सलाह दी है। जिंदगी उम्मीद पर टिकी है। परेशानियां, कितनी भी आ जाए। आने वाली हर खुशी की, उम्मीद पर टिकी है।…

0 Comments

एक पुराना मौसम

मौसम तो आते रहते हैं और गुजर भी जाते हैं, लोगों को नए मौसम का बेसब्री से इंतजार रहता है। कलमकार मुकेश बिस्सा ने एक पुराने मौसम और कुछ यादों की चर्चा इन पंक्तियों में की है। वो एक पल…

0 Comments

प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आइए हम सभी पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लें। पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। आज हमारे हिन्दी कलमकारों ने अपने विचार, अभिव्यक्ति और संदेश अपनी कविताओं…

0 Comments

पर्यावरण दिवस २०२०

प्रकृति का संतुलन बनाने और प्रकृति से मिली सम्पदाओं के सरंक्षण करने के लिए हमें आगे बढ़ना चाहिए। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आइए हम सभी पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लें। पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे…

1 Comment

विश्व पर्यावरण दिवस २०२०

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आइए हम सभी पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लें। पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सन १९७२ में विश्व पर्यावरण…

0 Comments

लॉकडाउन और मजदूर- १

कोरोना महामारी के दौर में हर इंसान परेशान है। सेहत का ख्याल रखना है, आजीविका चलानी है परंतु काम करने के स्थान भी बंद हैं। इस समय मजदूरों का बुरा हाल है जो अपने घर से दूर शहरों में गएं…

0 Comments

मलप्पुरम जिले में गर्भवती हथिनी की मौत

केरल में एक गर्भवती हथिनी के साथ दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है जिसमें हथिनी की मौत हो गई। कुछ स्थानीय लोगों ने उसे पटाखों से भरा अनानास खिलाया और वह हाथी के मुंह में फट गया जिससे वह बुरी…

0 Comments

बरगद और बुजुर्ग

बड़े-बूढ़ों की छत्रछाया में रहना सदैव हितकारी होता है। इस कथन को डॉ. कन्हैयालाल गुप्त 'किशन' ने अपनी कविता 'बरगद और बुजुर्ग' और बखूबी बताया है, आप भी पढ़ें। बुजुर्ग व्यक्ति भी बरगद समान ही होता है, जैसे बरगद की…

0 Comments

विश्व साइकिल दिवस २०२०

विश्व साइकिल दिवस के अवसर पर बच्चों को साइकिल की महत्ता बताने के साथ-साथ उनको गुनगुनाने के लिए विनय कुमार वैश्कियार की यह कविता पढ़ें... मेरी प्यारी साइकिल मेरी अच्छी साइकिल, मेरी प्यारी साइकिल। चलो घूम आयें, कुछ घूर आयें।…

0 Comments

ज्योति कुमारी

ज्योति ने बीमार पिता को गुरुग्राम से दरभंगा साइकल पर बिठाकर पहुंचाया; १२०० किलोमीटर से की दूरी तय करने वाली ज्योति की सराहना इवांका ट्रंप ने भी की है। देश की ज्योति कोरोना महामारी के इस दौर में जहाँ अनगिनत…

0 Comments

डॉ कन्हैयालाल गुप्त ‘किशन’ जी की दस कविताएं

१. रामायण सदा शुभ आचरण करना, सिखाती रोज रामायण। हमें संमार्ग पर है चलना, बताती रोज रामायण। ये भावों से भरी तो है, ये गीतों से तो गुंज्जित, यहाँ श्रीराम का मुखड़ा, ललित सुरधाम देता है। ये पावन करती पतितों…

0 Comments

कोरोना संकट और लॉकडाउन से जुड़ी कविताएं

कोरोना महामारी के कारण भारत में भी लॉकडाउन पसरा हुआ है, हिन्दी कलमकारों ने लॉकडाउन और जन-सामान्य की समस्याओं को जाहिर करते हुए अपने मन के भाव इन कविताओं में लिखें है। वर्ष २०२० के महीने में लगा हुआ लॉकडाउन…

0 Comments

तुम समझती क्यों नहीं हो

आदत-सी हो गई है मुझको तेरी तुम समझती क्यों नहीं हो मिलना है हमारा बेहद जरूरी तुम समझती क्यों नहीं हो सच में तुम हो गई हो मेरी मजबूरी तुम समझती क्यों नहीं हो सर्द मौसम की गुनगुनी धूप-सी हो…

0 Comments

चलती साँसे

पूजा कुमारी साव इस कविता में जिंदगी और साँसों की चर्चा करती हैं। साँसें चल रही है और यह जिंदगी भी आगे बढ़ रही है। जब तक साँसे चलती है, ये सांसे गर्म होती है शरीर और मस्तिष्क, बुध्दि अभी,…

0 Comments

मत पूछो

प्रेम की परिभाषा अनेक हो सकती है किन्तु सार एक ही है। कलमकार पूजा कुमारी साह ने इन पंक्तियों में ऐसे प्रेम के बारे में बताया है जो अनछुआ है, मग़र सच्चा है! मीरा की तरह.... मत पूछो मैं कैसी…

0 Comments

अपना बताकर चला गया

वो मुझे अपना बताकर चला गया मेरी मुश्किलें बढ़ा कर चला गया।। क्या नाम दूं मैं ऐसे शख्स को जो मिला कर छुड़ाकर कर चला गया।। मतलबी पराया कहूं भी तो कैसे वो एहसास अपना दिलाकर कर चला गया।। मैं…

0 Comments

आ अब लौट चलें

कलमकार कुलदीप दहिया की एक कविता पढिए जिसमें उन्होने इंसानी फितरत और मौजूदा हालातों को चित्रित किया है। हैं चारों ओर वीरानियाँ खामोशियाँ, तन्हाईयाँ, परेशानियाँ, रुसवाईयाँ सब ओर ग़ुबार है! आ अब लौट चलें चीत्कार, हाहाकार है मृत्यु का तांडव…

0 Comments

पुष्पों की भावना

फूल भी बोलते हैं, उनकी भावनाओं को जानने के लिए उनसे बातें करनी होतीं हैं और यह काम कवि को ही सूझता है। कलमकार रोहिणी दूबे ने पुष्पों की भावना इस कविता में वयक्त की है। देखों न!मैं कितनी प्यारी…

0 Comments

नारी की कहानी

कलमकार मुकेश बिस्सा नारी शक्ति के सम्मान में यह कविता प्रस्तुत कर रहें हैं, आइए इसे पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया दें। अपनी इच्छाओं आकांक्षाओ का दमन करती नारी हर पल घुटकर हंसी का लिबास ओढ़ती है नारी।सहनशीलता और कर्तव्यपरायणता की…

0 Comments

तपस्या

बचपन गुजार के जवानी पाया समाज के रीति को देखकर रात दिन को एक किया, अब क्यों करने लगे तपस्या? सम्मान पाने के लिए? खून पसीना एक किया एक पल भी नहीं बर्बाद किया जितने भी तुमको दर्द मिले, उसको…

0 Comments