बिन गाये भी गाया तुमको
आपने भी उस वक़्त का एहसास किया होगा जब मन को ढेर सारी खुशी प्रतीत होतीं हैं और हम मन ही मन गुनगुना उठते हैं। कलमकार विनीत पाण्डेय लिखतें बिन - गाये भी गाया तुमको। बिन गाये भी गाया तुमको…
आपने भी उस वक़्त का एहसास किया होगा जब मन को ढेर सारी खुशी प्रतीत होतीं हैं और हम मन ही मन गुनगुना उठते हैं। कलमकार विनीत पाण्डेय लिखतें बिन - गाये भी गाया तुमको। बिन गाये भी गाया तुमको…
कर्म ही आपको महान बनाता है। आप बहुत कुछ अच्छा कर सकते हो बस अपने मन मस्तिष्क में ठान लेने की देर है। शिम्पी गुप्ता की यह कविता आपको कर्म के प्रति प्रेरित अवश्य करेगी। हे मनुष्य! हैं तूणीर में…
कलमकार शीला झाला 'अविशा' ने एक बेटी के बोल को अपनी इस कविता में लिखा है। बेटी माँ से बहुत सारी बातें और अपना दुःख बयां करना चाहती है लेकिन... मां! मै तेरी नन्ही गुड़िया हां मैं ही तो हूं…
इस संसार में हर इंसान को चिंता ने ग्रसित किया हुआ है फिर भी हम कहते हैं कि चिंता मत करो। कलमकार मुकेश बिस्सा ने इसी चिंता को विस्तार में अपनी कविता में बताया है। हम सभी की जिंदगी में…
तुमसे इश्क़ है मुझे मैं बस इतना जानती हूँ तुम्हारे सवालो के जवाब में मैं अक्सर ख़ामोश हो जाती हूँ जाने दो छोड़ो यार कहकर बात टाल देती हूँ हाँ थोड़ी बेपरवाह हूँ मगर, फ़िक्र है तुम्हारी गुस्सा करती हूँ…
कलमकार देवेन्द्र पाल चाँदनी रात की एक मुलाकात को अपनी कलम से रेखांकित कर इस कविता में चित्रित करने का प्रयास किया है, आप भी पढें। पलकों पर बिजली चमकेगी चाँदनी रात मे बरसात होगीहां यकीं है मुझको जब मेरी…
आज अगर अंधेरा है, निश्चय उजाला भी आएगा। दुःख की बादशाहत सदा न रहेगी, वक्त सुखवाला भी आएगा। फिर से किवाड़ खुलेंगे सारे , हृदय हर्ष-उमंग आएगा। शमा भी रोशन होगी फिर से, महफ़िल में रंग आएगा। शायद तंग आ…
देख उन्हें सड़कों पर, मैं व्यथित हो जाती हुं, दशा देखकर उनकी ऐसी, मैं लाचार हो जाती हुं। वायरस एक प्लेन से आया, प्लेन वाले बचे रहें, ऐसा क्युं हर बार ही होता, गरीब ही मरते रहे। ऊपर वाले तु…
हाथों में सामान थामे कंधों पे बच्चे साधे बीवी को साथ में ले निकल पड़ा है अपने गांँव की ओर नंगे बदन, नंगे पाँव है आँखों में तो बस गाँव है। साथ है पानी और कुछ रोटियाँ ना जाने को…
इतना कमजोर नही समझो की सिर पैर सवारी हो जाए अनुशासन इतना मत लांघो की दुश्मन भारी हो जाए भूखे भी है प्यासें भी है बेबस है लाचार भी है पर इनको इतना मत रोको की ये मजदूर भी ब़ागी…
निरालंब तुम रहना सीखो औरों का क्या दम भरना अपने नैया खुद हीं खेवो आत्म निर्भर जग में रहना औरों के बल पर जो बढ़ता शक्तिहीन कहलाता है जंगल में बोलो गीदड़ कब सिंहों सा आदर पाता है अपने भरोसे…
वो घर बनाते हैं, तब रहते हैं लोग मकान में कोई उधार नहीं देता अब उनको दुकान में क्या खबर थी उन्हें कि इतना सितम होगा कि हम आएंगे ही नहीं अब पहचान में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए लोग…
क्या हमने कभी सोचा था, ऐसी हो जाएगी संसार, जान बचाने के प्रयास में, बंद होना होगा इस बार साबित करने का वक्त है ऐसा, कितनी देशभक्ति की खुमार, कुछ भी नहीं करना है मानव, रहना है परिवार के साथ…
हो गए हैं अजनबी से अपने ही इस शहर में कौन अब किसको यहाँ जानना है चाह रहा जो कभी मिलता था हमसे स्नेह और प्यार से वही आज देखो देख कर आँख है चुरा रहा सोचने की बात है…
एक छोटे से वायरस ने, यूँ कर दी तालाबंदी है. समझौते सँग सब जी रहे क्योंकि, कैद मे जिंदगी है. न होता लड़ाई झगड़ा है, न कही हुयी दरिंदगी है.. कम हुयी हैवानियत भीं, क्योंकि, कैद मे जिंदगी है. धरती…
मानव है सर्वशक्तिमान, इस दंभ को तोड़ा तुमने, इस पुनर्जागृति के लिए तुम्हारा धन्यवाद कोरोना! यहाॅं सबको समय व अपनों का महत्त्व समझाया, ऐसे पुण्य हेतु हम सब करते हैं अभिवाद कोरोना! जिनसे तुम सुदूर हो, उन्हें जीने की उम्मीद…
कहानी एक दिलचस्प सुनाती हूँ आओ तुम्हे एक बात बताती हूँ समय एक आया बड़ा भारी फ़ैलाने लगा जग में महामारी देश विदेश में मचाया तांडव हाहाकार करती जनता बेचारी कोविड-१९ नाम दिया उसको ना जाने कब हो जाये किसको…
घर में रहकर स्वच्छता को अपनाकर सामाजिक दूरी का पालन करेंगे हा, हम कोरोना से जीतेंगे अफवाहों से बचकर कोरोना फाइटर्स की सलाह मानकर समाज और देश को सुरक्षित करेंगे जी हाँ, हम कोरोना से जीतेंगे हम तब तक इससे…
कलमकार महेश माँझी की एक रचना पढें- आज है जो कल न हो कब प्यार करोगे तुम। नजरो से मिला के नजरें कब इज़हार करोगे तुम। आकर के देखो तुम शीश महल बनाया है। दिल के हर दरवाज़े खोले स्वासो…
लॉक डाउन के चौथे चरण में खुलने लगी दुकान, झट पट अधिकतर दौड़ पड़े हैं, खरीदने सामान। पर इतना समझ लीजिए, खतरा नहीं अभी टला, सोशल डिस्टेंस न बनाया, जीना न होगा आसान।। अभी संभल कर रहना होगा, इसी में…