Category: कविताएं
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बिन गाये भी गाया तुमको
आपने भी उस वक़्त का एहसास किया होगा जब मन को ढेर सारी खुशी प्रतीत होतीं हैं और हम मन ही मन गुनगुना उठते हैं। कलमकार विनीत पाण्डेय लिखतें बिन – गाये भी गाया तुमको। बिन गाये भी गाया तुमको जीवन के हर पतझड़ में मधुसुगंध सा महकाया तुमको सीमा तेरे-मेरे निश्छल प्रेम की जानकर…
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नन्ही कली की पीड़ा
कलमकार शीला झाला ‘अविशा’ ने एक बेटी के बोल को अपनी इस कविता में लिखा है। बेटी माँ से बहुत सारी बातें और अपना दुःख बयां करना चाहती है लेकिन… मां! मै तेरी नन्ही गुड़िया हां मैं ही तो हूं वो जादू की पुड़िया तेरा आंचल व आंगन ही तो मेरी दुनियां थी जब मैं…
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अनवरत चिंता
इस संसार में हर इंसान को चिंता ने ग्रसित किया हुआ है फिर भी हम कहते हैं कि चिंता मत करो। कलमकार मुकेश बिस्सा ने इसी चिंता को विस्तार में अपनी कविता में बताया है। हम सभी की जिंदगी में चिंता की बहुत भूमिका है। जैसे ही धरती पर आये वैसे से ही चिंता ।…
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तुमसे इश्क़ है मुझे
तुमसे इश्क़ है मुझे मैं बस इतना जानती हूँ तुम्हारे सवालो के जवाब में मैं अक्सर ख़ामोश हो जाती हूँ जाने दो छोड़ो यार कहकर बात टाल देती हूँ हाँ थोड़ी बेपरवाह हूँ मगर, फ़िक्र है तुम्हारी गुस्सा करती हूँ तुमपे यूँ बेवजह ये मैं मानती हूँ तुमसे इश्क़ है मुझे मैं बस इतना जानती…
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चाँदनी रात
कलमकार देवेन्द्र पाल चाँदनी रात की एक मुलाकात को अपनी कलम से रेखांकित कर इस कविता में चित्रित करने का प्रयास किया है, आप भी पढें। पलकों पर बिजली चमकेगी चाँदनी रात मे बरसात होगीहां यकीं है मुझको जब मेरी तुझसे मुलाकात होगी तू लाख छुपाना दिले हसी कोफिर भी चेहरे पर छलकेगीमन ही मन…
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वक़्त सुखवाला भी आएगा
आज अगर अंधेरा है, निश्चय उजाला भी आएगा। दुःख की बादशाहत सदा न रहेगी, वक्त सुखवाला भी आएगा। फिर से किवाड़ खुलेंगे सारे , हृदय हर्ष-उमंग आएगा। शमा भी रोशन होगी फिर से, महफ़िल में रंग आएगा। शायद तंग आ चुकी थी प्रकृति, अब खुलकर अंगड़ाई लेने दो। कुछ सबक सिखाने थे वक्त ने, उसे…
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मजदूरों की करुणव्यथा
देख उन्हें सड़कों पर, मैं व्यथित हो जाती हुं, दशा देखकर उनकी ऐसी, मैं लाचार हो जाती हुं। वायरस एक प्लेन से आया, प्लेन वाले बचे रहें, ऐसा क्युं हर बार ही होता, गरीब ही मरते रहे। ऊपर वाले तु भी क्या, गज्जब की रंग दिखाता है, मरे हुए को मार कर ही, शायद तु…
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आँखों में तो बस गाँव है
हाथों में सामान थामे कंधों पे बच्चे साधे बीवी को साथ में ले निकल पड़ा है अपने गांँव की ओर नंगे बदन, नंगे पाँव है आँखों में तो बस गाँव है। साथ है पानी और कुछ रोटियाँ ना जाने को है कोई घोड़ागाड़ियाँ कंधों पे लटक रही हैं कुछ पोटलियाँ पैरों में पड़ गई हैं…
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कमजोर न समझो
इतना कमजोर नही समझो की सिर पैर सवारी हो जाए अनुशासन इतना मत लांघो की दुश्मन भारी हो जाए भूखे भी है प्यासें भी है बेबस है लाचार भी है पर इनको इतना मत रोको की ये मजदूर भी ब़ागी हो जाए ~ अमित अनमोल
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आत्मनिर्भरता
निरालंब तुम रहना सीखो औरों का क्या दम भरना अपने नैया खुद हीं खेवो आत्म निर्भर जग में रहना औरों के बल पर जो बढ़ता शक्तिहीन कहलाता है जंगल में बोलो गीदड़ कब सिंहों सा आदर पाता है अपने भरोसे जीने वाले उन्नति के अधिकारी रहे जैसे जल में तूंबी रहती वैसे सब पर भारी…
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मजदूरों का दर्द
वो घर बनाते हैं, तब रहते हैं लोग मकान में कोई उधार नहीं देता अब उनको दुकान में क्या खबर थी उन्हें कि इतना सितम होगा कि हम आएंगे ही नहीं अब पहचान में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए लोग कर देते हैं अक्षर मिलावट सामान में कभी-कभी रोना आ जाता है मुल्क की हालत…
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कोरोना कर्मवीर
क्या हमने कभी सोचा था, ऐसी हो जाएगी संसार, जान बचाने के प्रयास में, बंद होना होगा इस बार साबित करने का वक्त है ऐसा, कितनी देशभक्ति की खुमार, कुछ भी नहीं करना है मानव, रहना है परिवार के साथ थोड़ी तो उनका भी सोचो, छोड़ अपना घर -परिवार, जान हथेली पर लेकर भी, करते…
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कोरोना- कर्मो का फल
हो गए हैं अजनबी से अपने ही इस शहर में कौन अब किसको यहाँ जानना है चाह रहा जो कभी मिलता था हमसे स्नेह और प्यार से वही आज देखो देख कर आँख है चुरा रहा सोचने की बात है ये क्यों कब कैसे हुआ हर कोई यहाँ अपना अपना ज्ञान है बतला रहा आदमी…
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कोरोना- छोटा वायरस
एक छोटे से वायरस ने, यूँ कर दी तालाबंदी है. समझौते सँग सब जी रहे क्योंकि, कैद मे जिंदगी है. न होता लड़ाई झगड़ा है, न कही हुयी दरिंदगी है.. कम हुयी हैवानियत भीं, क्योंकि, कैद मे जिंदगी है. धरती माता स्वच्छ हुयी, गंगा मे अब न गंदगी है. साफ सी हो गयी हवा भीं,…
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धन्यवाद कोरोना
मानव है सर्वशक्तिमान, इस दंभ को तोड़ा तुमने, इस पुनर्जागृति के लिए तुम्हारा धन्यवाद कोरोना! यहाॅं सबको समय व अपनों का महत्त्व समझाया, ऐसे पुण्य हेतु हम सब करते हैं अभिवाद कोरोना! जिनसे तुम सुदूर हो, उन्हें जीने की उम्मीद है शेष, तुम्हारी उपस्थिति है भय व घोर अवसाद कोरोना! आख़िर तुम्हारा जन्मदाता है कौन-सा…
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कोरोना की कहानी
कहानी एक दिलचस्प सुनाती हूँ आओ तुम्हे एक बात बताती हूँ समय एक आया बड़ा भारी फ़ैलाने लगा जग में महामारी देश विदेश में मचाया तांडव हाहाकार करती जनता बेचारी कोविड-१९ नाम दिया उसको ना जाने कब हो जाये किसको सोच के भी जनता डर जाती घर में अपना समय बिताती मेल जोल थे उसके…
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कोरोना से जीतेंगे
घर में रहकर स्वच्छता को अपनाकर सामाजिक दूरी का पालन करेंगे हा, हम कोरोना से जीतेंगे अफवाहों से बचकर कोरोना फाइटर्स की सलाह मानकर समाज और देश को सुरक्षित करेंगे जी हाँ, हम कोरोना से जीतेंगे हम तब तक इससे लड़ेंगे जब तक इसका वजूद ना मिटाएंगे डॉक्टर्स, पुलिस और सफाईकर्मियों का हौसला बढ़ाएंगे जी…
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कब प्यार करोगे तुम?
कलमकार महेश माँझी की एक रचना पढें- आज है जो कल न हो कब प्यार करोगे तुम। नजरो से मिला के नजरें कब इज़हार करोगे तुम। आकर के देखो तुम शीश महल बनाया है। दिल के हर दरवाज़े खोले स्वासो को बिछाया है। सूरत देखी है जबसे होश अपना खोये हम खुद को खोकर तुझ…
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खतरा अभी टला नहीं है
लॉक डाउन के चौथे चरण में खुलने लगी दुकान, झट पट अधिकतर दौड़ पड़े हैं, खरीदने सामान। पर इतना समझ लीजिए, खतरा नहीं अभी टला, सोशल डिस्टेंस न बनाया, जीना न होगा आसान।। अभी संभल कर रहना होगा, इसी में समझदारी, वरना चपेट में ले लेगा, न पहचाने यह महामारी। सड़कों पर अब बढ़ रही,…