Category: कहानियाँ
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किसान की कहानियाँ
1. एक अभागा किसान कम्प-कम्पा देने वाली सर्दी में चंद कपडों में लिपट आधी रात में जंगल को चीरता हुआ चला जा रहा था, दिन-रात काम और कड़ी मेहनत के कारण उसके हाथों की चमड़ी सिमटकर ठण्ड से सिकुड़ चुकी थी, पर ना जाने क्यों उसके फ़टे जूते से सनी धूल बोल रही थी उसकी…
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संकलन कुछ नई कहानियों का
1. सफर और मोहोब्बत पुलिस ट्रेनिंग के दौरान जैसे ही बताया गया कि कल से आपको दो दिवसीय अवकाश दिया जाता है और दो दिन बाद निश्चित समय से वापसी करानी है। सभी रंगरूट बैरकों की तरफ भाग लिये और जल्दी से सबने सामान उठाया जो कि पहले से ही सबका पैक रखा हुआ था।…
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मुश्ताक़ की कहानियाँ
अंजली, शामली और मैं अंजली और शामली इस वाक्ये को कई वर्ष गुज़र चुके हैं। लेकिन मैं आज भी शामली को नहीं भुला पाया हुं। रही बात अंजली की तो वो मेरे कॉलेज में मेरे साथ ही पढ़ाई कर रही थी। और मेरी बडी़ अच्छी दोस्त भी वही थी। आप समझ सकते हैं कि दोस्ती…
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सुमित के पाँच संस्मरण
1. चार बार का दण्ड बचपन में कुछ बच्चे इतने शैतान होते हैं कि लगता है कि जाने उनका क्या ही होगा? वो ऊधम करते हैं, पिटते हैं और ऊर्जा इकट्ठी कर फिर सुरू हो जाते हैं। पिटाई का तरीका तो खैर अब बन्द ही हो गया है। हमारे वक्त में नायाब कुटाईयाँ हुआ करती…
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मेरी कुछ यादें – शशीधर चौबे
प्रयागराज से दिल्ली की सड़क यात्रा सुबह के करीब आठ बजे निकले थे हम प्रयागराज से, घर से निकले तो सबसे पहले ATM से पैसे निकाले, फिर बाइक को पेट भर पेट्रोल पिलाया। हालांकि एक दिन पहले ये तय किया गया था कि सुबह पॉंच बजे निकला जायेगा पर देश है तय समय से कहा…
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मकरसंक्रांति से जुड़ी यादें
कलमकार सुमित सिंह पवार “पवार” ने मकर संक्रांति पर्व पर शुभकामनाएं देते हुए कुछ संस्मरण साझा किए हैं। आप भी पढ़ें- १) पतंग और पढ़ाई बात उन दिनों की जब मैं पुलिस ट्रेनिंग खत्म कर लखनऊ में तैनाती पा गया था और पहला थाना मिला मड़ियाव। मड़ियाव थाने की पहली बीट मिली घैला गांव। मैं…
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मेरी कहानियाँ- सुमित पवार
1) माँ-बाप और बचपन आँखें एक जोर की आवाज के साथ खुली और देखा तो माता जी दही चलाने की मशीन चला रही है और मट्ठा बना रही है। मैंनें उठते ही माता जी को प्रणाम किया और माता जी ने प्रणाम स्वीकारा और बोली दर्द तो नहीं हो रहा। ऐसा इसलिए पूछा,”क्योकिं पिछले दिनों…
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इमरान सम्भलशाही की कहानियाँ
१. माँ का थैला हर बार की तरह माँ चूल्हे के पास बैठकर आटा गूँथने में लग गई थी, मन ही मन कुछ बुदबुदाए जा रही थी और हाथ के कोहनी से बार बार आटा गूँथने के दौरान माथे पर झलक रही पसीने की बूंदे पोछे जा रही थी। पचपन बरस की अपनी इस उम्र…
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आलोक कौशिक की कहानियाँ
बदला विजय झा ने शराब की तस्करी करके करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर ली थी और अब उसने अपने काले धन को सफेद करने के लिए एक स्कूल खोल लिया था। उसने उस स्कूल का नाम अपने इकलौते बेटे अभिज्ञान के नाम पर रखा था- ‘अभिज्ञान इंटरनेशनल स्कूल’। अभिज्ञान इंटरनेशनल स्कूल शहर का सबसे बड़ा…
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महावर का रंग
बरगद के पेड़ के नीचे बने पंचायत मैदान में सभी गांव वाले एकत्रित हो चुके थे। मैदान खचाखच भर चुका था। कुछ लोग अभी भी आते जा रहे थे। जब सब एकत्रित हो चुके तो गांव के मुखिया ने पंचो को बैठने का इशारा दिया। पंच बैठ गए। मुखिया ने शोरगुल कर रहे बच्चों, औरतों,…
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पाँच सोपान: वोतर और वृता की प्रेम कहानी
कलमकार विराट गुप्ता रचित काव्य संग्रह “साँसो की कहानी” का कुछ अंश जिसमें मुगलकालीन सैनिक वोतर की प्रेम कथा का वर्णन है। प्रेमानुराग, दांपत्य जीवन की शुरुवात के क्षणों से लेकर उसके वीरगति पश्चात स्वर्गारोहण का सामयिक विवरण है। यह कहानी ५ समय काम में विभक्त है जिसे पद्य और गद्य दोनों के जरिए प्रस्तुत…
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ऊँची दुकान बासी पकवान (लघुकथा)
घर का राशन लाना था। बच्चों ने किसी बड़े और नामी मॉल में जाने का प्रोग्राम बनाया और मुझे भी साथ ले गये। मॉल में बहुत भीड़ थी और बहुत सारी वस्तुओं पर भारी छुट थी। दो लीटर की कोल्ड ड्रिंक की दो बोतल पर एक फ्री, पैक किये हुए खाद्य पदार्थों पर चालीस प्रतिशत…
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५ लघुकथाएँ
आत्मनिर्भर बड़े गाँव के बड़े मुखिया साहब वर्षों से अपनी खुशहाल जिंदगी जी रहे थे, घर द्वार सब भंडार भरे थे, गांव के सभी किसान, नौकरपेशा, मजदूर किसी को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी। अचानक गांव में बड़ा भारी संकट आ गया। दूसरे गावँ में से पूरे गाँव में एक बीमारी फैल जाती…
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कोरोना संबंधित लघुकथाएँ
रिश्ते अपने अपने गाँव लौटने के लिए लोगो द्वारा सभी सामान सहेजे जा रहे थे। सभी लोगो मे जल्दी जल्दी सामान बटोरने की ललक साफ देखी जा रही थी। एक तरफ जुम्मन मियाँ अलग बौखलाहट में चिल्लाए पड़े थे तो दूसरी तरफ सीताराम पंडित अलग ही सुर अलापे जा रहे थे कि जल्दी करो भाई,…
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छोटी-छोटी कहानियाँ ~ संजय रॉय
१) आवारा आवारा कुत्तों ने अपने इलाके में एक अकेली कुतिया को घेर रखा था ! अपने को असहाय घिरता देख, कुतिया जोर-जोर से भौकना शुरू किया ! उसकी आवाज़ सुन आस-पास के इलाके से बहुत सारे कुत्ते इक्कठा हो गये ! कुत्तों का प्रतिनिधित्व करते हुए एक बुज़ुर्ग कुत्ते ने कहा- घबराओ नहीं बहन!…
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स्नेहा कुमारी की लघुकथाएँ
१. अनार की चाहत एक शहर में दो बहनें रहती थी। एक का नाम शोभा और दूसरे का नाम बेबी था। दोनों में बहुत प्रेम था। दोनों एक साथ स्कूल आती और जाती थी। एक दिन की बात है, दोनों रोज की तरह स्कूल से घर आ रही थी। अचानक दोनों बहनों की नजर अनार…
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राज शर्मा की लघुकथाएं
1) जैसे मति वैसी गति आज भी शेर खान देर से घर आया। वह काफी हताश लग रहा था। परन्तु ये क्या? आदमी अगर थका हो या हताश हो और ऊपर से रात्रि का समय हो तो वह उस कार्य को दूसरे दिन पर टाल देता है। परन्तु शेर खान पर शिकार का भूत सवार…
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संजय रॉय की ५ लघुकथाएँ
१) ऊंची उड़ान खाने की चाह लिए कबूतरों का झुंड मंदिर से उड़कर मस्जिद से होते हुए गुरुद्वारे के गुंबदों पर आ बैठा। चारों ओर सन्नाटे को देखते हुए बुजुर्ग कबुतर ने अपने समूह से कहा- “दोस्तों इस वक्त मंदिर की घंटियां मस्जिद से सामुहिक नमाज़ सहित गुरुद्वारे की अरदास अवरूद्ध है यह प्रलयकारी संकेत…
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कलमकार किशनजी की कुछ कहानियाँ
डॉ. कन्हैयालाल गुप्त द्वारा लिखी गईं कुछ लघुकथाएँ पढ़िए। १) अंगुठी मोहन के ससुर ने सगाई में अपनी बेटी राधा को पहनाई गयी अंगुठी वापस करते हुए अनाप शनाप कह रहे थे। इसका कारण यह था कि जब राधा की शादी तय की तब मोहन के घर वालों ने देखा कि राधा सुन्दर है, एम…
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डॉग लवर
ओमप्रकाश भारतीय उर्फ पलटू जी शहर के सबसे बड़े उद्योगपति होने के साथ ही फेमस डॉग लवर अर्थात् प्रसिद्ध कुत्ता प्रेमी भी थे। पलटू जी ने लगभग सभी नस्ल के कुत्ते पाल रखे थे। उन्हें कुत्तों से इतना प्रेम था कि कुत्तों के मल-मूत्र भी वे स्वयं साफ किया करते थे। उनके श्वान प्रेम पर…