भारतमाता की गोद में ऐसे-ऐसे सपूत खेलें हैं जिनपर हमें ही नहीं बल्कि विश्व को भी गर्व होता है। कलमकारों डॉ. कन्हैयालाल गुप्त जी उन्हीं सपूतों के जैसे नए चेहरे अपने भारत में चाहते हैं। भारत की तलाश- उनकी यह कविता पढ़िए।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जो मेरे गाँधी को लाकर दे दे।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जो मुझे सुभाषचंद्र से मिला सके।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जो भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को दे सके।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें चँद्रशेखर आजाद हुए।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें तक्षशिला के कुलपति हुआ करते थे।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें चन्द्रगुप्त, हर्ष, अशोक थे।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें बाणभट्ट, भास और कालिदास थे।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें सीता, अनुसूया और गौतमी हुई।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें चाँदबीबी, हजरत महल और लक्ष्मीबाई हुई।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें सूर, कबीर, तुलसी, जायसी हुए।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें नानक, रामानंद, रैदास हुए।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें प्रसाद, पंत, निराला हुए।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें राजेन्द्र प्रसाद, अम्बेडकर, जवाहरलाल हुए।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें रहीम, रसखान, बिहारी हुए।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें सुभद्रा कुमारी, महादेवी वर्मा और मीराबाई हुई।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जिसमें पतंजलि, पाणिनि और आर्यभट्ट हुए।मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जहाँ भूखमरी, भष्ट्राचार और बेरोजगारी न हो।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जहाँ जाति, धर्म, भाषा के झगड़े न हो।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जहाँ वृद्धों को आदर और माता पिता का सम्मान हो।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जहाँ कोई दवा के अभाव में मृत्यु का वरण न करें।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जहाँ की वायु, जल, मिट्टी प्रदूषित न हो।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जहाँ नेता सत्ता के लिए नंगा नाच न करते हो।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जहाँ सर्वधर्म समभाव हो।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जहाँ मानवता का राज हो।
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जहाँ लोकतंत्र हो न कि भेड़ तंत्र?
मुझे ऐसे भारत की तलाश है।
जहाँ धनबल नहीं बल्कि जनमत है।
क्या आज का भारत ऐसा है?~ डॉ. कन्हैया लाल गुप्त ‘शिक्षक’
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