रक्षा मंत्रालय से सेवानिवृत्त, साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले कलमकार अशोक कुमार शर्मा (वशिष्ठ) की दस कविताएँ हिन्दी-काव्य प्रेमियों के लिए प्रस्तुत हैं।
१) मुझे कभी भूलना नहीं
मान अपमान मैं भूलता नहीं
दंभ और घमंड से मैं कभी फूलता नहीं
किसी प्रकार के नशे में मैं कभी झूमता नहीं
अहं के सरूर को कभी चूमता नहीं
दीन हीनों का हमदर्द हूं
उनके दर्द बांटता हूं
उनका रक्त चूसता नहीं
समानवता का पुजारी हूं ऊंचे लोगों को पूजता नहीं
रिश्तों की गरिमा रखता हूं पुराने मित्रों को भूलता नहीं
हे प्रभु मुझे पर कृपा बनाए रखना
पथभ्रष्ट न हो जाऊं इतना एहसान मुझ पर जरुर करना
मुझे सही रास्ता दिखलाना
यही है मेरी कामना
मुझे कभी भूलना नहीं
२) हंसना एक वरदान
हंसना एक ईश्वरीय वरदान
हंसी है जीवन मे उल्लास और जान
हंसी के विना जीवन नीरस और निष्प्राण
उदास वयक्ति है मुर्दे समान
हंसी है तो जीवन सवस्थ है
हास्य के विना जीवन व्यर्थ है
हास्य है तो जीवन का एक अर्थ.है
नीरस वयक्ति के जीवन मे अनर्थ ही अनर्थ है
हास्य आदमी के चेहरे पर लाता मुस्कान है
हंसी जिंदा दिली की एक पहचान है
उदास आदमी को जिंदगी करती परेशान है
उदास आदमी की जिंदगी एक तरह की शमशान है
हसना जीवन मे बहुत अनमोल
न कोई पैसा न कोई मोल
उदासी छीनती अमूल्य मुस्कान है
जहां हंसी वहां भगवान है
३) हस्पताल पुराण
मेरा इक करीबी मित्र था हस्पताल में दाखिल
कल ही उसे चोट लगी थी हुआ गंभीर रुप से घायल
आज मैं उसे देखने हस्पताल गया
वार्ड में पहुंच कर मेरा दिल दहल गया
वार्ड में थी गन्दगी और जमा थी लोगों की भीड़
समझ नहीं रही थी जो बेचारे रोगी की पीड
बतिया रहे थे और जोर जोर से ठहाके लगा रहे थे
मानो कोई उत्सव मना रहें हों
ऐसी हालत देख कर दिल को लगा धक्का
कैसे होगा इस माहौल में रोगी का दर्द हल्का
कुछ देर के बाद बाहर आया
मैं सोचने लगा कि प्रभु तेरी कैसी ये माया
जिस का अन्त किसी ने आज तक नहीं पाया
आज के युग में हमदर्दी नहीं है भाया
अपनी अपनी पड़ी है
जानत नहीं है पीड पराई
भगवन ये कैसी जालिम दुनिया बनाई
४) लड़कीवालों की व्यथा
मंगल के चक्कर में लड़की रह गई कंवारी
माता पिता के दिल का टुकड़ा, लगे बड़ी प्यारी
सुन्दर सुशील सरल स्वभाव बड़ी न्यारी न्यारी
मां बाप की बगिया की सुंदर क्यारी
बहुत लड़के देखें क्या छोटा वो बड़ा
लेकिन मंगल के कारण कोई रिश्ता सिरे न चढ़ा
यदि मिला भी तो दहेज की बलिबेदी चढा
कोई मांगे बाइक कोई मांगे कार
किसी ने न किया दहेज लेने से इंकार
सब थे दौलत के लिए आतुर और बेकरार
पता नहीं क्यों नहीं डाले इनमें अच्छे संस्कार
लड़की का बाप पागलों की तरह अच्छे वर की तलाश में
मैरिज ब्यूरों के चक्कर लगाता
कुंडली में ग्रह दशा मांगलिक होना
बेटी की राह में आड़े आ जाता
पंडितों और ज्योतिषियों से पूछे उपाय
सारे थे लाचार और असहाय
इस तरह रिश्ता होते होते रहे जाता
यही सोच कर बाबुल था परेशान
कैसे करेगा वो बेटी का कन्यादान
कैसे होगा इस जटिल समस्या का समाधान
रिश्ते नाते देते ताने कसते थे तंज़
मदद करने को कोई नहीं , उसे था रंज
जाने इस समाज में आएगा कब बदलाव
लड़कों की कमी न होगी, न होगा अभाव
जब पैसे और हैसियत का खत्म होगा प्रभाव
इसी आस में जी रहा है कन्या का पिता
इक दिन ऐसा आएगा जब दूर होगी चिंता
समाज का होगा कायाकल्प
बेसहारा बेटियों का होगा बेड़ा पार
अंधविश्वास को नकार कर, समाज का होगा उद्धार
मांगलिक बेटियों को मिलेगा तारणहार
खुश रहेगा लड़की का पिता सुखी होगा संसार
५) शराब का प्रभाव
शराब है महफ़िल की शान
बनती इस से महफ़िल की जान
यह है शराबी की पहचान
नशे मे हो जाए ज्ञान और गुणवान
क्या गरीब क्या अमीर
बहुधा हैं इस के गुलाम
पी कर समझे अपने को गुलफाम
सदा होवें इस के गुलाम
बीवी बच्चों को भूला कर
छिड़के सदा शराब पे जान
नशे के आलम मे अपने आप को समझे बेसुरा तानसेन
छेड़े गीत की बेसुरी तान
शराब के मद में बनता शेर
बीवी के सामने हो जाता ढेर
नशे के आलम में झूमता रहता
गमों को हल्का करता रहता
कभी हंसता वो रोता रहता
अपनी धुन में रमता रहता
पल भर की खुशी के लिए घर है, अपना वो जलाता
पूरे घर को सूली चढ़ाता
नशे में अनाप-शनाप बकता जाता
होश आने पर सूफी हो जाता
नशे में समझे खुद को साहिर
ढूंढता रहता है वो साहिल
पी कर बन जाता वो जाहिल
इस से कुछ नहीं होगा हासिल
६) अभागा बच्चा
बदनसीब है वो बच्चा जो बचपन मे अनाथ हो जाता है
उसका बचपन खो जाता है प्यार लुट जाता है
ज़ालिम समाज उसे नहीं है अपनाता उसे ठोकरों से नबाज़ा जाता है
बचपन मे दुलार की जगह फटकार मिलती है
बही दुत्कार उसके जीवन मे जहर घोलती है
जीने के लिए रोटी जरूरी है
उसे हासिल करने के लिए भीख मांगना मजबूरी है
क्योंकि समाज ने बनाई उस से दूरी है
बचपन मे संजोए सपने टूट जाते है
रिश्ते नाते सब रुठ जाते हैं
अपने सब साथ छोड़ जाते हैं
अनाथ होते ही बच्चे के नसीब फूट जाते हैं
आज हमें इस असहाय की सहायता हेतु आगे आना होगा
हर अनाथ बच्चे को अपनाना होगा
उसके भविष्य को बनाना होगा
समाज मे उसे जीने का सलीका सिखाना होगा
७) भ्रष्टाचार
इस देश में वह रही है भ्रष्टाचार की गंगा
इन्सान जानवर बन गया करता फिरता दंगा
इन्सानियत को भूल गया हमाम में हो गया नंगा
पैसा पैसा करता फिरता और फिर करता पंगा
भ्रष्टाचार के युग में निर्धन के नहीं होते काम
ईमानदारी भूल कर पैसे के बने गुलाम
अमीरों के दर पर ठोकें भ्रष्ट सलाम
भ्रष्टाचार की बदौलत समाज में इनका नाम
हरेक काम का है इक नियत दाम
ये करवा दे सब के बिगड़े काम
प्रभावशाली की चौखट में हाजरी दें हुक्काम
भ्रष्टाचार ही तेरा हर जगह है नाम
भ्रष्ट तंत्र में उसूलों की कोई नहीं है कीमत
पैसा बिगाड़ देता अच्छे अच्छों की नीयत
घुन की तरह चूस रहे राष्ट्र को भ्रष्ट दीमक
काश लोगों मे चेतना आ जाए
भ्रष्टाचार जड़ से मिट जाए
आम जनता को इस समस्या से राहत मिल जाए
समाज मे सही अर्थों मे जनता का उद्बार हो जाए
८) उनको सलाम
मेरा उन लोगों को सलाम
जिन्होंने पिया शहादत का जाम
दिया प्राणों का बलिदान
देश हित में आए काम
राष्ट्र लेवे उनका नाम
आतंकियों से यह टकराते
निर्दोषों की है जान बचाते
सीने पर है गोली खाते
जान देते पर पीठ ने दिखाते
सदा के लिए अमर हो जाते
पैसे कमाना उन्हें नहीं आता
कुर्बानी देना बस उन्हें है भाता
राष्ट्र हित है उन्हें लुभाता
राष्ट्र धर्म वो सदा निभाता
रात दिन वो जागता रहता
देश के हित मे जान लुटाता
अथक हो कर करें काम
कभी न पांए पूर्ण आराम
चलते रहते सुबह शाम
कर्म क्षेत्र है उनका धाम
देश प्यार का दें पैगाम
खतरों से नही यह घबराते
बड़े नाज़ से जान लुटाते
मां भारती को शीश नवाते
मर कर भी वो अमर हो जाते
९) शहीदों के नाम
यह देश है बांके वीरों का
यह धरती है बलिदानों की
प्रणाम है इन शहीदों को
जिन्होंने दी कुर्बानी थी
देश की आजादी हेतु लुटाई अपनी जवानी थी
जब जब राष्ट्र पर संकट आया
राष्ट्र भक्तों ने सब कुछ लुटाया
देश प्रेम का दिया जलाया
स्वतंत्रता का बिगुल बजाया
आजादी की छेड़ी लडाई
देशभक्ति की अलख जगाई
जातपात से ऊपर उठ कर
सब ने मिलकर लडी लडाई
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
सबने इस यज्ञ मे आहुति पाई
तब जा कर आजादी पाई
लेकिन अंग्रेजों को यह आजादी रास नआई
भाईचारे का हुआ विभाजन
दो भाईयों मे फूट डलवाई
देश का बटवारा हूआ
भाई से भाई जुदा हुआ
मानवता का खून हुआ
भारत के दो टुकड़े हुए
हिंदुस्तान और पाकिस्तान
यह बडी है दुखद दास्तान
देशद्रोहियों को आजादी रास न आई
छेड़़ दी इन्होंने परोक्ष लडाई
मासूमों को किया तंग
देश का माहौल किया बदरंग
लोगों को गुमराह किया, मिलाया अपने संग
राष्ट्रीय एकता तोड़ने के मंसूबे सारे हुए भंग
निर्दोषों की हत्याओं का सिलसिला चला
आंतकवाद का धंधा खूब फूला फला
निर्दोषों का घर जला,।इंसानियत शर्मसार हुई
राष्ट्रविरोधी तत्वों के संरक्षण मे आतंकवाद पला
देश के वीरों को कोटि कोटि प्रणाम
जो पी रहे शहादत का जाम
राष्ट्र हित मे आए काम
पा जाते वो परमधाम
मां भारती की वीर संतान
करें सदा तुम पर मान
देश की आन बान और शान
आओ करें इन का सम्मान ।
१०) आधुनिक बहु
आधुनिक बहु की पहचान
मायके वालों पर छिड़के जान
सास ससुर का करे अपमान
कर दे उनका जीना हराम
देवर को दिखलाए तेवर
सास ननद के छीने ज़ेवर
घरेलू कामों से जी चुराए
पति को अपना गुलाम बनाए
अपनी उंगलियों पर उसे नचाए
ससुराल वालों को सदा धमकाए
पैसे को फिजूल उड़ाए
जेठानी के छक्के छुड़ाए
आधुनिक बहु होवे दबंग
ससुराल पक्ष को मारे डंक
पल में बदले अपना रंग
खुशनुमा माहौल को बनाए बदरंग
मायके का करे गुणगान
हरदम उन पर छिड़के जान
मायका ही उसकी है शान
सदा रखे मायके का मान
सुनो बहु अपना दृष्टिकोण बदलो
जबकि जमाना बदल रहा है
संस्कारी बनो और मायके का नाम ऊंचा करो
POST CODES
SWARACHIT1229A | मुझे कभी भूलना नहीं |
SWARACHIT1229B | हंसना एक वरदान |
SWARACHIT1229C | हस्पताल पुराण |
SWARACHIT1229D | लड़कीवालों की व्यथा |
SWARACHIT1229E | शराब का प्रभाव |
SWARACHIT1229F | अभागा बच्चा |
SWARACHIT1229G | भ्रष्टाचार |
SWARACHIT1229H | उनको सलाम |
SWARACHIT1229I | शहीदों के नाम |
SWARACHIT1229J | आधुनिक बहु |