सुभाष चंद्र बोस की १२५ वीं जयंती- विशेष कविताएं

मूलमंत्र आजादी ~ डॉ.राजेश पुरोहित

आत्मबल अंतर में रख जिसने स्वतंत्रता दिलाई थी।
गौरों को सबक सिखाकर जिसने वीरता दिखाई थी।।

आज़ादी जिसका मूलमंत्र कसम देश की खाई थी।
नेताजी संग नोजवानों ने ली तब अंगड़ाई थी।।

दूर फिरंगियों को करने की ताकत तभी दिखाई थी।
बोस के भाषण से अंग्रेजी शासन की नींद उड़ आई थी।।

जापान में जाकर जिसने आजाद हिन्द फ़ौज बनाई थी।
विदेशों में सुभाष ने जमकर धाक जमाई थी।।

डॉ.राजेश पुरोहित

सुभाष चंद्र बोस ~ मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका

अटल था स्वदेश प्रेम
इरादे थे उनके ठोस
नेताजी कहते थे सब
नाम था सुभाष चंद्र बोस

विलक्षण बुद्धि के थे वो
अद्वितीय था पराक्रम
देश की आज़ादी के लिए
किए उन्होंने सारे श्रम

स्वाधीनता के बदले
वीरों से माँगते थे रक्त
करता है राष्ट्र नमन
वो थे सच्चे देशभक्त

मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका

तेईस जनवरी देशप्रेम दिवस ~ डॉ.राजेश पुरोहित

दिल्ली चलो, के नारे से भारत मे अलख जगाई थी।
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा महिमा गाई थी।।

पूर्ण स्वराज्य के लक्ष्य को जिसने आगे रखा था।
ओजस्वी भाषण से अपने भारत को जोड़े रखा था।।

राष्ट्र भक्ति का भाव जिसने जन जन में जगाया था।
सुभाष के कथनों से अखिल विश्व घबराया था।।

झुकना नहीं शेर की तरह दहाड़ना चाहिए।
सिर आगे किसी के भी न झुकाना चाहिए।।

विश्वशक्ति बने भारत इसके लिए गम्भीर था।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस सचमुच महावीर था।।

तेईस जनवरी देशप्रेम दिवस फिर आया है।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के विचारों ने जगाया है।।

डॉ.राजेश पुरोहित

अमर सेनानी सुभाष चंद्र बोस ~ ऋचा प्रकाश

भारत के थे वो महान सपूत,
जो महान राष्ट्रवादी कहलाए,
एक अकेला योद्धा जो
पड़ा अनेक अंग्रेजों पर भारी,
देश के प्रति अटूट जज्बा,
भारतीयों से बढ़ती उनकी मान,
भारत माता में बसी उनकी जान,
लेकर दृढ़ संकल्प
भारतीयों को सम्मान दिलाने,
किसानों को उनका हक दिलाने,
निकल पड़े भारतीयों को आह्वान देने
आजादी के बदले खून की माँग,
निकल पड़े आजाद हिन्द फौज का गठन करने,
निकल पड़े जय हिन्द का नारा लगाने,
सब भारतीयों को एकता का पाठ पढ़ाकर
एक जुट होना सिखाया,
ऐसे महान पराक्रमी सच्चे देशभक्त,
कर्मठ और साहसी अमर सेनानी,
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम
इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है|

ऋचा प्रकाश

खून की मांग ~ प्रीति शर्मा “असीम”

“खून मांग “कर आजादी के,
सपने को साकार किया ।
सुभाषचंद्र बोस ने आज़ाद,
भारत का निर्माण किया।।

“खून मांग “कर आजादी के,
सपने को साकार किया।
कौन भूला पाएगा ।
मातृभूमि के सपूत ने जो किया।
होकर खड़े अकेले
“आजाद हिंद “
सेना को साकार किया।।

“खून मांग ” कर आजादी के,
सपने को साकार किया।
भीख में नहीं मिलती आजादी।
जीवन देकर यह आह्वान किया।।

अपने खून के कतरे -कतरे को ,
आज़ाद भारत के नाम किया।।

प्रीति शर्मा “असीम”

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