कारगिल विजय दिवस-  शौर्य और पराक्रम का विजयोत्सव

कारगिल विजय दिवस- शौर्य और पराक्रम का विजयोत्सव

भारतीय सेना के बहादुर जवानों के साहस, बलिदान और शौर्य का प्रतीक है- “कारगिल विजय दिवस” और हम उन शूरवीरों को नमन करते हैं जिन्होंने करगिल की दुर्गम पहाड़ियों शत्रु को भगाकर वहाँ तिरंगा लहराया। भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत विजय हुआ। मातृभूमि की रक्षा करने में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले भारत के वीर जवानों को हिन्दी कलमकारों का सलाम, आइए उनकी कुछ रचनाएँ पढ़तें हैं।

सैनिक की राष्ट्र भक्ति ~ दिनेश सिंह सेंगर

जब जब वीर जवानों ने, अपना पौरुष दिखलाया है
तब तब दुश्मन के सीने पर, वज्रपात सा छाया है।
वीर जवानों की शहादत पर, रोटी सेक रहे हैं जो
उनको क्या मालूम है कैसे, अब तक देश बचाया है।।

गद्दारों की फौज खड़ी, देखी जब दुश्मन के पीछे
तनिक न सोचा उसने, क्या होगा उसके आगे पीछे।
लडते लडते उसने अपनी, जान न्यौछावर कर डाली
अब भी कुछ गद्दार मिलेंगे, देखो तुम आगे पीछे।।

अपने लाल रक्त से जिसने, माता का श्रृंगार किया
प्राण न्योछावर करके अपना, हमको जीवनदान दिया।
उन्हीं शहीदों की शहादत पर, राजनीति करने वालों
उनका भी सम्मान करो कुछ, जिसने यह वलिदान दिया।।

लडते लडते वो दुश्मन से, वलिवेदी पर खड़ा हो गया
राष्र्टप्रेम देखो सैनिक का, निज जीवन से बड़ा हो गया।
देख आज उसकी कुर्बानी, मेरी कलम नमन् करती है
”मेरेमन” सम्मान में उसके, आज मेरा मन खड़ा हो गया।।

लोकतंत्र का पर्व मनाते हैं, हम कितनी शान से
मगर भूल जाते हैं उसको, हैं जिसके वलिदान से।
हम सब केवल अपना अपना, स्वार्थ ताकते रहते हैं
अपनी झोली भरते हैं हम, खुशियों के गुलनार से।।

आज सुलगते देश को देखा, तो आंखों में पीड़ा है
काश्मीर तो अपनो के ही, आज लहू से गीला है।
आज तिरंगे के ऊपर फिर, कीचड है अंगारे हैं
श्वेतवर्ण वो माँ का आंचल, रक्तपात से गीला है।।

कब तक सहन करोगे बोलो, गीदड़ बाली धमकी को
कब तक क्षमा करोगे बोलो, तुम दुश्मन की गलती को।
कब तक और सुलगने दोगे, काश्मीर की धरती को
कब तक कंधा देंगे हम सब, संविधान की अर्थी को।।

अगर पडोसी सज्जनता, दिखलाऐ तो सम्मान करो
वरना टुकड़े टुकड़े करके, सियारों को तुम दान करो।
जागो जागो कर्णधार तुम, अपनी भ्रकुटी तान कहो
कालकूट का पान करो, अब अग्नि का संधान करो।।

कह दो अधम पडोसी से अब, कोई पहल नहीं होगी
चंदसिरफिरों को समझा दो, गलती और नहीं होगी।
एक विधेयक पारित करदो, घाटी गैर नही होगी
मातृभूमि से बिमुख चलेगा, उसकी खैर नहीं होगी।।

दिनेश सिंह सेंगर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

कारगिल युद्ध के 21 वर्ष~ सोनल ओमर

करती हूँ शत-शत नमन उन वीरों को आपरेशन विजय में जिनकी जान गई।
दो माह के भयंकर जंग में विजय मिली 26 जुलाई को जिसकी शुरुआत थी मई।।

तेरह सौ लगभग घायल हुए थे पाँच सौ से अधिक जवानों ने अपनी जान गँवाई थी।
सन उन्नीस सौ निन्यानबे के वीभत्स युद्ध से देश में जन-जन की आँख भर आई थी।।

पाकिस्तानी सेना को धूल चटाकर मार गिराया नाकाम किया उनकी चालों को।
कारगिल पर तिरंगा फहराया जिन्होंने चलो आज याद करते हैं उन वीर कुर्बानों को।।

कितनी बहनों की राखियाँ रोयीं कितने सुहागिनों का सुहाग रूठा था।
कितने माँ-बाप से उनके लाल छिने कितनों के सिर से पिता का साया उठा था।।

लोग अपने घरों पर चैन की नींद सो सके इसके ख़ातिर सैनिक शरहद पर जागते हैं।
माँ भारती के वीर सपूतों का अदभुत शौर्य देखकर दुश्मन डरकर भागते हैं।।

है ईश्वर से यही प्रार्थना हर बार मेरी मेरा सर झुके बस उनकी ही शहादत में।
जंग में दुश्मनों की गोलियों का सामना करते हुए जो शहीद हो जाते हमारी हिफाजत में।।

सोनल ओमर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

कारगिल विजय~ आलोक कौशिक

सन् निन्यानवे था
थी वो माह जुलाई
शत्रु से हमारी पुनः
छिड़ी हुई थी लड़ाई

मार रहे थे शत्रुओं को
हमारे वीर महान्
राष्ट्र की रक्षा हेतु
दे रहे थे बलिदान

दिन सोमवार था वो
तिथि छब्बीस जुलाई
कारगिल पर जब
भारत ने जय पाई

नमन उन वीरों को
वो हैं भारत की शान
भारत भूमि के लिए
जो हुए थे बलिदान

आलोक कौशिक
कलमकार @ हिन्दी बोल India

शहीदो को नमन~ स्नेहा धनोदकर

हर किसी की चाहत अलग,
हर कोई किसी मे मरता हैं,
दिन हैं वो वीर शहीद,
जो देश के लिये मरता हैं…

नमन उसकी शहादत को,
नमन उसे हम करते हैं,
हर उस माँ को जिसके,
बेटे देश पर मरते हैं…

छोटी सी उम्र मे हर जवान,
त्याग अपने सपने तमाम,
सैनिक बनने जाता हैं,
ना जाने क्या सोचता होगा,
क्या उसके मन मे आता हैं..

ना कोई सुख
ना कोई सुविधा,
फिर भीं सदा मुस्कुराता हैं..
देश मे कोई भीं मुसीबत,
सबको वो हराता हैं….

बेटी का जन्म हो,
या बहन की शादी,
वो घर नहीं आ पाता हैं…
चिट्ठियां लिख लिख,
बस सबको अपनी,
याद दिलाता हैं….

धन्य हैं वो परिवार,
जिसका बेटा हैं वीर,
नमन सभी को करते हम,
जो ना होते कभी अधिर..

क्या हाल उस पिता का होता हैं,
ज़ब कोई बेटा तिरंगे मे लपटा आता हैं,
फिर भीं एक वीर की भांति ही,
उसकी शहादत पर वो सीना,
गर्व से फुलाता हैं…
आँखों मे आँसू लिये,
चिता को अग्नि दे पाता हैं….
नमन तुम्हे हैं कर्मवीर,
शहीद जो कहलाता हैं….

स्नेहा धनोदकर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

जय हिंद~ पीताम्बर कुमार ‘प्रीतम’

शामो सहर है खड़ी हमारी टोलियाँ
फुर्सत मिले तो सोचना इक मर्तबा
हँसते हुए क्यूँ खायी हमने गोलियाँ

हो रक्तरंजित खेली हमने होलियाँ
गर याद रह गया तो बस मेरे यारों
तू लगा देना जय हिंद की बोलियाँ।।

पीताम्बर कुमार ‘प्रीतम’
कलमकार @ हिन्दी बोल India

कारगिल विजय ~ पूजा कुमारी बाल्मीकि

धरणी के वीर को एक मेरा पैग़ाम देना।
देश के शहीदों को एक मेरे नाम का सलाम देना।

और देना पैग़ाम, दुश्मनों को मेरे नाम का।
गिद्धों की फितरत, सिंहों के ना काम का।

भरत मां के जख्मी दिल की हुई, सुनवाई ।
जब वीरों ने कारगिल में विजय पताका फहराई।

हृदय मेरा झूम कर, मुझसे यह कहता है।
चूम लूं उस मां के चरण मैं, रक्त जिनका वीरों में बहता है।

पूजा कुमारी बाल्मीकि
कलमकार @ हिन्दी बोल India

कारगिल विजय दिवस ~ कुलदीप दहिया

वार दिये हैं सर हमने
ताकि आबाद रहे मेरा ये वतन,

लहराये तेरा ये आँचल केसरिया
मेरे हिंद में रहे सदा चैनो-अमन,
मेरी उल्फ़त बस तू ए भारत माँ
हो जाऊँ फ़ना, हो तिरंगा ये कफ़न,

लहू से लिख इंकलाब चले हम
ए मेरी जमीं तुझको है नमन,
हर जन्म मिले तेरी गोदी में
अरमाँ है यही बस जन्म-जन्म ।

कुलदीप दहिया “मरजाणा दीप”
कलमकार @ हिन्दी बोल India

वीर महान ~ सरिता श्रीवास्तव

ये है हमारे देशी के वीर महान,
निडर साहस हिम्मत है जिनकी पहचान,
जिन्होंने देकर अपना बलिदान,
बचाया है भारत माँ की शान।।

लुटाकर अपनी आन बान शान,
दुश्मनों से छिन लेते हैं उनकी जान,
सरहदों पर हर वक़्त रहते तैयार,
दिलो में लिए जज्बा हो जाते हैं कुर्बान।।

दुश्मन की बुरी नज़र गर हो देश की गिरेबान,
मिटा देते है दुनिया से उनका ये नामो निशान,
मिट कर खुद हम सबको दिलाते राहत की साँस,
ले जाते बस लिपट कर तिरंगे में संसार का सबसे बड़ा सम्मान।।

सरिता श्रीवास्तव
कलमकार @ हिन्दी बोल India

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This Post Has One Comment

  1. दिनेश सिंह सेंगर

    रचना प्रकाशन के लिए हिन्द बोल इंडिया का बहुत बहुत आभार

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