कलमकार मनोज बाथरे ने अपने कुछ विचार इन पंक्तियों में आपके समक्ष प्रस्तुत किये हैं।
१) विचारवान
हम सदा यही
प्रयत्न करें कि
हमारे विचारों से
सब को
चाहें वो
हमारे हित में
सबको इन विचारों
का लाभ मिले
जिससे संसार
विचारवान बन सकें।
२) व्याकुल हृदय
व्याकुल हृदय
तलाश रहा है
उन सुकून के
पलों को
जिनकी छांव में
वो कुछ पल
सुख-शांति
अमन चैन
एकता भाईचारा
की
सांस ले सकें।
३) हकीकत क्या है?
मन में उठी रही
व्यथित करती
हृदय को
उन भावनाओं को
कैसे समझाऊं मैं
जो जानती है कि
हकीकत क्या है
फिर भी
उनको कैसे भूल जाऊं मैं
~ मनोज बाथरे
चीचली, नरसिंहपुर- मध्य प्रदेश