सितंबर ५ – शिक्षक दिवस

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिन्दी कलमकारों ने अपनी कुछ पंक्तियाँ शिक्षकों को समर्पित की हैं।

मेरे गुरु

आलोक रंजन
कलमकार @ हिन्दी बोल India

गर्मियों की तेज हवाओं में
जलते देखा है मैंने उसे,
बदन है तड़प रहा फिर भी है
हिम्मत कसे।
जिंदा है उसके अंदर जलने की तमन्ना अभी,
मुस्कुरा कर जन्नत बनाया है उस जहां को।
बांटता है गली-गली में सत्य प्रेम नाम का मिठाई,
सिर्फ उसने ही इस जगत में रौनक लाई।
वर्षा और ठंड क्या है उस दीवाने के लिए,
लेकिन आज भी छोटा है नजरों में इस जमाने के लिए।
सबकी निगाहें बस जलने पर है चाहे जैसे भी जल रहा हो,
जलाकर जश्न अपना जगमग करता है इस संसार को,
कोई नहीं चुका सकता उसके इस उपकार को।।

गुरु-ज्ञानदीप

सरिता श्रीवास्तव
कलमकार @ हिन्दी बोल India

सत्य-असत्य का ज्ञान हमें कराते हैं,
न्याय के पथ पर चलना हमें सिखाते है,
गुरु हमारे जीवन के ज्ञानदीप होते हैं।।

उंगली पकड़ अक्षर-अक्षर को लिखना सिखाते है,
जीवन के संघर्षों से लड़ना हमें सिखाते है,
गुरु हमारे जीवन के ज्ञानदीप होते हैं।।

जीवन में बहुत जरूरी होती शिक्षा,
है महत्व ज्ञान का, यह बोध कराते हैं,
गुरु हमारे जीवन के ज्ञानदीप होते हैं।।

देकर विद्या हरते अज्ञान,
मुर्ख को भी बना देते सज्ञान,
गुरु हमारे जीवन के ज्ञानदीप होते हैं।।

नव राष्ट्र के लिए प्रेरित करते,
है हम भविष्य कल के, यह बोध कराते हैं,
गुरु हमारे जीवन के ज्ञानदीप होते हैं।।

जिनसे बनी हमारी अस्तित्व की पहचान है,
इस पावन अवसर पर करें हम गुरुओं का आभार,
गुरु हमारे जीवन के ज्ञानदीप होते हैं।।

शिक्षक और शिष्य

दिलवन्त कौर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

जीवन ज्योति का उजियारा
प्रथम नमन है मात पिता
आशीष से जिनकी अलंकृत हुआ जीवन हमारा
जग विदित है प्रथम गुरु है मात पिता
मार्गदर्शन करते पग पग सदा
निश्चल प्रेम की उपमा हैं वह
सेवा और त्याग की उत्तम प्रतिमा
तत्पश्चात मिला आश्रय गुरु चरणों में
अक्षर ज्ञान का उदय हुआ भाषा वर्णों से
ना कोई भेदभाव ना संकुचित दृष्टि
उनके वचनों में उमड़ आती संपूर्ण सृष्टि
आदर सम्मान का भाव जगावे,
भूलों को सही राह दिखावें,
गुरु मेरा है ईश्वर तुल्य
जीवन का जो सार समझावे
ऐसे गुरु को नमन हमारा,
आशीष से जिनकी दूर हुआ जीवन का अंँधियारा।
शिष्य को शिक्षण के उद्देश्य सदैव स्मरण रहें
माता पिता और गुरुजनों का सम्मान जीवन में अविरल रहे
नैतिकता के सौपान से शिष्टाचार की सीढ़ी चढ़ें
उज्जवल भविष्य बनकर, देश को प्रगति पथ पर अग्रसर करें।

गुरु की महिमा

विनय कुमार ‘ओज’
कलमकार @ हिन्दी बोल India

गुरु बिन ज्ञान नही, मिले जग मान नही
झुकते न पेड़ जो वो, ठूठ बन जातें है

ये ज्ञान-विज्ञान सीखो, साहित्य या गान सीखो
गुरु ही तो जीवन का, मर्म समझातें हैं

हैं मानते वें एक से, वो बोल सीधे नेक से
हैं ये रिश्ता न लोभ का, टूट के निभाते हैं

प्रभु से भी मान बड़ा, आगे नही कोई खड़ा
महिमा लगे है प्यारी, सभी गुण गाते हैं


मनहरण घनाक्षरी

गुरु (मुक्तक)

दिनेश सिंह सेंगर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

गुरु से बढ़ के दुनिया में नहीं भगवान होता है
कृपा जिस पर गुरु की हो वही धनवान होता है।
गुरु के प्यार के आगे झुका परमात्मा देखो
कभी वो राम होता है कभी घनश्याम होता है।।

गुरु की करले तू सेवा जो तीरथ द्वार होता है
गुरु से ही तो जीवन का ये पूरा सार होता है।।
ये जीवन भी गुरु की गोद में ही पार हो जाए
गुरु के रूप में प्रभु का कोई अवतार होता है।।

न आदर हो जहां गुरु का वो घर श्मशान होता है
गुरु के पास जीवन का वो सारा ज्ञान होता है।
किसी मण्डप में जो गुरु की चरण रज ही पहुंच जाए
वहीं तीरथ हैं दुनियां के वहीं भगवान होता है।।

गुरु से पाओ ज्ञान रस, होवैं रस की खान
कठिन अभ्यास से ना डरो, लगा दो अपने प्राण।

अनुमति बिन नहिं आओ, बिन आज्ञा न जाओ
आतै जातै पांव छुओ, जीवन धन्य बनाओ।

गुरु शिष्य की परंपरा, नष्ट कभी ना होई
पीढ़ी दर पीढ़ी चलै, मनुज सदा इसे ढ़ोई।

गुरु

सुजीत संगम
कलमकार @ हिन्दी बोल India

गुरुवर तेरे उपकार का,
कैसे चुकाऊँ मैं मोल।
लाख कीमती धन भले,
हैं गुरुवर मेरा अनमोल।।
कच्ची मिट्टी ठोक ठोक,
एक आकर दे जाते हैं।
फिर तपाकर कर्मआग में,
वो पक्का घड़ा बनाते हैं।।
शिक्षा के मंदिर का वो,
एक देवता अद्भुत है।
सबकुछ लुटा देते बच्चों पर,
कहते विद्धादान ही सबकुछ है।।
दिव्य धरा पावन धरती पर,
मिला जिसको सानिध्य गुरु का।
पार लग गई जीवन की नैया,
हुआ जिसपर उपकार गुरु का।।

गुणवान गुरु

विनय कुमार ‘ओज’
कलमकार @ हिन्दी बोल India

गुरु दीप्तमान
रहें गुणवान
जाने जहान
कृष्णन महान

उत्तम विचार
सदय व्यवहार
न तनिक गुमान
ईश्वर समान

क्या हो बख़ान
था सब निदान
दे योगदान
रचा संविधान

मिली पहचान
वो धन्य स्थान
जन्मा सपूत
वो राष्ट्र दूत

कोरोना काल और शिक्षक

प्रीति शर्मा असीम
कलमकार @ हिन्दी बोल India

कोरोना काल में घर में बंद होकर।
सबको जिंदगी के अहम सबक याद आए।
कोरोना काल में घर में बंद होकर।
सड़कों पर भटकते मजदूर,
गरीब होने की सजा पा रहे थे।

जिंदगी के अच्छे दिन आएंगे
यह स्लोगन भी याद आ रहे थे।
कोरोना ने कर दिया क्या हाल।
टीवी देख कर आंख में,
कुछ के आंसू भी आ रहे थे।

विडंबना देखिए
हालात और शिक्षण नीतियों के मारे।
शिक्षक किस हाल में है।
ना किसी को प्राइवेट,
और ना सरकारी शिक्षक याद आ रहे थे।

जो इस महामारी में,
समस्त विषमता से परे।
दुनिया को कोरोना क्या शिक्षा दे रहा है।
इस बात से अनभिज्ञ,
ऑनलाइन पाठ पुस्तकों के चित्र घूमा रहे थे।

बस ऑनलाइन सिस्टम की,
कठपुतलियां बन के,
बच्चों को नोट-पाठ्यक्रम पहुंचा रहे थे।

जिंदगी की सच्चाई से ना खुद शिक्षित हुए।
ना इसका मूल्य समझा पा रहे थे।
कोरोना जिंदगी को,
जिस हाशिए पर खड़ा कर गया ।
कहीं वेतन कट ना जाए।

शिक्षक पाठ्यक्रम,
पेपर ऑनलाइन का राग गा रहे थे।
जिंदगी के असल सच से कितना परे थे।
हमारे शिक्षक स्थल आज घर में बंद होकर भी,
कुदरत का पाठ ना पढ़ पा रहे थे।
न समझा पा रहे थे।

शिक्षा सफर

रक्षा गुप्ता
कलमकार @ हिन्दी बोल India

दुनिया एकदम बदल गयी एक महामारी के आने से,
जिन्दगी जैसे ठहर गयी थी इस प्रलय के आने से.

मन्दिर क्या मस्जिद क्या गुरुद्वारे भी शान्त हुए,
इस दौर में शिक्षा के आलय भी सुनसान हुए.

विद्या देवी का वीणा भी क्रन्दन सा करने लगा,
पर धरती के इन गुरुओं ने कर्तव्य पथ न डिगने दिया.

अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाया तकनीकी के माध्यम से,
अनुशासन भी खूब सिखाया ऑनलाइन के साधन से.

नमन मेरा उन सब गुरुओं को, शिक्षा-सफर न रुकने दिया,
वीणा धारी माँ सरस्वती का मस्तक भी न झुकने दिया.

गुरु महिमा

मनीषा झा
कलमकार @ हिन्दी बोल India

हे राष्ट्र निर्माता भाग्यविधाता,
गुरुवर को शत् शत् प्रणाम,
समाज को सही राह दिखाते,
भला बुरा का ज्ञान कराते,
शिक्षक ही सफलता का
स्वाद चखाते,
गलती करने पर फटकार लगाते,
भटके हुए को रास्ता दिखलाते,
शिक्षक ना होते तो क्या,
हम बड़े बड़े वैज्ञानिक पाते,
डाक्टर बने या बने अभियंता,
शिक्षक ही है भाग्यविधाता!!
शिक्षा के बल पर ही हम,
मनचाहा काम कर पाते!!
शिक्षक ही है जो हमको,
जीवन जीने की कला सिखलाते,
बिन द्रोणाचार्य क्या कभी अर्जुन,
सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बन पाते,
बिना परशुराम के कर्ण ना ,
अर्जुन को ललकारने योग्य बन पाते!!
बिन गुरु ज्ञान सम्भव नहीं है,
बिन गुरु ज्ञान अधुरा,
देश के सृजनहार शिक्षक है
इनसे ज्ञांन पाकर ही हम,
करते अपने अधुरेपन को पुरा!


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