हिमाचल दिवस- ७२ साल का हिमाचल प्रदेश

हिमाचल दिवस- ७२ साल का हिमाचल प्रदेश

१५ अप्रैल, १९४८ को हिमाचल प्रदेश का गठन २८ से अधिक रियासतों किया मिलाकर किया गया था। इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते जन्मदिन का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ नहीं मनाया जा रहा है। हिमाचल की कुछ छात्राओं ने ‘हिमाचल दिवस’ के अवसर पर कुछ कविताएं प्रस्तुत की हैं। कलमकार राज शर्मा ने इन कविताओं को हम तक पहुंचाया है। आइए इन नन्हें कलमकारों (खुशबू, याचिका कौंडल, संजना और कशिश कौंडल) की रचनाएँ पढ़िए।

१. आओ मनाए हिमाचल दिवस

आओ मिलकर बनाएं,
आज हम हिमाचल दिवस।
जहां है कल-कल करती नदियाँ,
वही है मेरा प्यारा हिमाचल।
जहां है भोले-भाले लोग,
वही है मेरा प्यारा हिमाचल
जहां है बर्फ भरे पहाड़,
वही है मेरा प्यारा हिमाचल।
जहां है फलों से भरे बाग,
वही है मेरा प्यारा हिमाचल।
जहां मिलकर रहते हैं लोग,
वही है मेरा ही प्यारा हिमाचल।
जहां है हरे भरे पेड़ों की हरियाली,
वही है मेरा प्यारा हिमाचल।
जहाँ है हँसीन से बादल,
वही है मेरा प्यारा हिमाचल।

~ संजना (दसवीं की छात्रा)
गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा- 176029
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश

२. सबसे प्यारा मेरा हिमाचल

मेरा हिमाचल
सबसे सुंदर है हमारा हिमाचल
प्रकृति की गोद में बैठा हमारा हिमाचल
देवों की भूमि कहलाता है हमारा हिमाचल
सबसे प्यारा और न्यारा हमारा हिमाचल
हिमाचल है हमारी जान
यह है हमारी पहचान
दूर-दूर से लोग इसको देखने आए
जिससे इसकी शोभा और बढ़ जाए

~ याचिका कौंडल (तीसरी कक्षा की छात्रा)
वी वी एम स्कूल, लुधियाना किचलू नगर

३. मेरा हिमाचल

पानी का आकर्षण जहां
हिमाचल की सुंदरता वहां
पहाड़ों पर बर्फ का जमाव जहां
हिमाचल की सुंदरता वहां
प्रदूषण रहित जिंदगी जहां
हिमाचल की सुंदरता वहां
देबू का निवास जहां
हिमाचल की सुंदरता वहां
बाग बगीचा की सुंदरता जहां
हिमाचल की सुंदरता वहां
सुंदर पक्षियों की चहचहाहट है जहां
हिमाचल की सुंदरता वहां

~ खुशबू (दसवीं की छात्रा)
राजकीय उच्च विद्यालय, ठाकुरद्वारा
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश

४. मेरा प्यारा हिमाचल

फूलों से भरा है मेरा प्यारा
हिमाचल
इसमें बहती है नदियां कल कल
हिमाचल है मेरा प्यारा
लगता है सब को निहारा
हिमाचल है मेरी जान
करो इसे परेशान
मेरा हिमाचल की शान निराली
इसकी हरी-भरी है डाली डाली
पक्षियों का यहां चहचहाना
इसकी सुंदरता को चार चांद लगाना
फूल-फूल पत्ता पत्ता डाली डाली
मेरे हिमाचल की शान निराली
चांद तारों का यही है कहना
मेरी हिमाचल में आते रहना।

~ कशिश कौंडल (आठवीं की छात्रा)
राजकीय उच्च विद्यालय, ठाकुरद्वारा
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश

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