एक खिलौना

एक खिलौना

बच्चों को खिलौने कितने पसंद होते हैं- यह आप से बेहतर और कौन जान सकता है? याद करें बचपन में खिलौने न होने पर आप खुद ही बनाने में जुट जाया करते थे। कलमकार मुकेश बिस्सा ने एक यह बाल कविता प्रस्तुत की है जिसमें लड़की ने पापा से खिलौने की मांग की है।

पापा मैंने देखा खिलौना
चाहिए वो मुझको खिलौना
मेरे मन को भाए खिलौना
सुंदर सा प्यारा खिलौना

पापा मुझको ला दो ना
मनभावन सा खिलौना
चाबी भरके चलने वाला
सुंदर सा प्यारा खिलौना

बाजार अब मैं जाऊंगी
रुपये पैसे ले जाऊंगी
मन अपना बहलाऊंगी
सुंदर सा प्यारा खिलौना

पापा ने माना कहना
बेटी तुम्हे भी संग चलना
मान लूं तुम्हारा कहना
सुंदर सा प्यारा खिलौना

पाकर बहुत मुस्काना
सपनों में खो जाना
हर पर संग रहना
सुंदर सा प्यारा खिलौना

~ मुकेश बिस्सा

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