आँखें बातें करना भी जानती हैं और इशारों की यह बोली हर कोई जानता है। कलमकार अभय द्विवेदी निगाहों की बात का उल्लेख अपनी कविता में कर रहे हैं।
निगाहों ने की हैं निगाहों की बातें,
नीली नहर सी निगाहों की बातें,
मेरे सुख़न में लिखी हैं मैनें,
उसकी प्यारी निगाहों की बातें,
मिलो तो किसी दिं सुनाऊं तुमको,
बहुत सी उन्की निगाहों की बातें,
बहुत याद आती सताती हैं मुझको,
रुलाती हैं उसकी निगाहों की बातें,
इक रोज़ मिल कर के मैंने पढ़ीं थी,
निगाहें औ उन्की निगाहों की बातें,
ऐ मेरे हुम्नशीँ अब तो साथ आना,
बहुत हो गयी अब निगाहों की बातें,
पागल सा बैठा अभय को तो देखो,
करता दिनभर ही निगाहों की बातें,
~ अभय द्विवेदी